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'जमाना बदलने को' जीवनपर्यंत संघर्ष के पर्याय रहे बाबू यदुनाथ सिंह पटेल

चुनार विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक यदुनाथ सिंह के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई। उनके अंतिम दर्शन लिए वाराणसी सोनभद्र चंदौली व चुनार क्षेत्र के आम व खास लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इनका निधन रविवार की रात करीब आठ बजे हो गया था। खबर मिलते ही अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का रात से ही आना शुरू हो गया था। लोगों ने नम आंखों से जननेता को अंतिम विदाई दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 06:07 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 10:02 PM (IST)
'जमाना बदलने को' जीवनपर्यंत संघर्ष के पर्याय रहे बाबू यदुनाथ सिंह पटेल
'जमाना बदलने को' जीवनपर्यंत संघर्ष के पर्याय रहे बाबू यदुनाथ सिंह पटेल

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : चुनार क्षेत्र के नियामतपुर गांव के मूलनिवासी पूर्व विधायक यदुनाथ सिंह पटेल ने रविवार की रात में अंतिम सांस ली तो जिले में शोक की लहर फैल गई। वह जीवनपर्यंत जमाना बदलने के लिए संघर्षों के रास्ते पर चलकर जनता की सेवा किए और जिले से लेकर प्रदेश तक अपने कीर्तिमान स्थापित किए। अपने संपूर्ण जीवन मे उन्होंने सादगी और ईमानदारी को ही अपना पथ प्रदर्शक माना। छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी विचार के यदुनाथ सिंह पटेल गरीबी और अन्याय को करीब से देखा और उसके खिलाफ संघर्ष करना प्रारंभ किया। बीएचयू से मैकेनिकल में इंजीनियरिग की पढ़ाई करते वक्त उन्होंने छात्र राजनीति में हिस्सा लेना प्रारंभ किया और विज्ञान वर्ग के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। 1977 में मु़गलसराय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने तब के चर्चित नेता व विधायक जंगी यादव को कड़ा मुकाबला दिया और चुनाव हारे।

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जंगी यादव ने किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह से यदुनाथ सिंह पटेल जी की मुलाकात करवाई और वर्ष 1980 में चुनार से ऐतिहासिक जीत दर्ज करके अपना नाम संघर्ष और गरीबों के मसीहा के रूप में दर्ज किया। वर्ष 1980 और 1985 लोकदल तथा 1989 और 1991 में जनतादल से लगातार चार बार विधायक रहे। वह जीवनपर्यंत चौधरी परिवार के करीबियों में रहे। वर्ष 1991 के नामांकन जुलूस को Xह्नह्वश्रह्ल;लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डXह्नह्वश्रह्ल; में दर्ज करवाया। अपने राजनैतिक जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव के बाद भी यदुनाथ सिंह पटेल (जनतादल अ) के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वर्ष 1996 में जनता दल सेकुलर से चुनाव लड़े और पूर्वप्रधानमंत्री देवगौड़ा की ऐतिहासिक रैली करवा कर विरोधियों में अपनी लोकप्रियता का लोहा मनवाया। वर्ष 2002 में भाजपा व जनतादल यू से राजगढ़ से चुनाव लड़े और हारे। फिर 2007 में राष्ट्रीय लोकदल से चुनार से चुनाव लड़े और यही चुनाव यदुनाथ सिंह पटेल के जीवन का अंतिम चुनाव रहा। लगातार गिरते स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से अलग होते चले गए, लेकिन आज भी जब यदुनाथ सिंह पटेल का नाम जहां भी आता है, लोग बड़े अदब और सम्मान के साथ लेते हैं। यदुनाथ सिंह पटेल अक्सर कहा करते थे- Xह्नह्वश्रह्ल;तू जमाना बदल'। जीवनभर किसान, गरीब, असहाय की मदद और सेवा करते हुए रविवार की रात 9 बजे अंतिम सांस लिए। यदुनाथ सिंह पटेल की चार बेटियां और एक बेटा धनंजय सिंह हैं। इनके दूसरे दामाद श्री विनोद कटियार भोगनीपुर, कानपुर देहात से विधायक हैं। आज एक जून को दिनभर क्षेत्रीय जनता अपने लोकप्रिय जनसेवक के अंतिम दर्शन करने उमड़ती रही। शाम चार बजे स्थानीय रायपुरिया घाट चुनार, मीरजापुर पर अंतिम संस्कार किया गया। नम आंखों से जननेता यदुनाथ सिंह को दी गई अंतिम विदाई

जासं, नरायनपुर (मीरजापुर) : चुनार विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक यदुनाथ सिंह के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई। उनके अंतिम दर्शन लिए वाराणसी, सोनभद्र, चंदौली व चुनार क्षेत्र के आम व खास लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। उनके निधन की खबर मिलते ही अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का रात से ही आना शुरू हो गया था। लोगों ने नम आंखों से जननेता को अंतिम विदाई दी। सोमवार सुबह प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री रमा शंकर सिंह पटेल, नवल किशोर सिंह, पूर्व विधायक जगदंबा सिंह, राष्ट्रीय लोक दल नेता रवींद्र सिंह पटेल, सपा नेता सुनील सिंह पटेल, पूर्व प्रमुख अनमोल सिंह, राजेश पटेल, माता प्रसाद सिंह पटेल, विवेकानंद सिंह, गुलाब पांडेय, शमीम देवलासी, सिद्धनाथ सिंह, प्रहलाद सिंह, दौलत राम सिंह, महेंद्र सिंह, राम सिंह बागीश, राजेंद्र सिंह, शिवधनी सिंह, बजरंगी सिंह कुशवाहा, हरिवंश सिंह, सरदार सतनाम सिंह, रामभरोसे सिंह, चौधरी यशवंत सिंह, शिवकुमार सिंह पटेल, लोक गायक डॉ मन्नू यादव, चौधरी राजेंद्र सिंह, जालिम सिंह सहित हजारों लोगों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

महिलाओं को हमेशा मिले प्राथमिकता

यदुनाथ सिंह छात्र राजनीति से ही महिला अधिकारों के हिमायती थे। 1971 में ये बीएचयू छात्रसंघ चुनाव में महामंत्री के उम्मीदवार थे। इनके विरोध में शकुंतला शुक्ला चुनाव मैदान में थीं। लंका चौराहे पर देवव्रत मजूमदार, सूबेदार सिंह आदि से साथ ही चुनावी सभा थी। जब यदुनाथ सिंह की बोलने की बारी आई तो इन्होंने सबसे पहले यही कहा कि जब तक आधी आबादी को उसका हक नहीं मिलेगा, समाज का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। बनारस के डीएम भूरे लाल से भिड़े

घटना 1908 के आसपास की है। सूचना मिली की पड़ाव पर डांड़ी में किसी दुकान पर सरकारी राशन की कालाबाजारी हो रही है। ये अब्दुल सत्तार, सरदार सतनाम सिंह सहित अन्य साथियों को लेकर संबंधित दुकान पर पहुंच गए। राशन को अपने कब्जे में लेकर गरीबों में बंटवाने लगे। जिलाधिकारी भूरे लाल उसी समय उधर से गुजर रहे थे। भीड़ देखकर रुक गए। प्रकरण की जानकारी लेने के बाद डीएम आक्रामक मुद्रा में उनकी ओर डंडा ताने आगे बढ़े। नजदीक आए तो यदुनाथ सिंह उनसे भिड़ गए। करीब आधे घंटे तक दोनों में मल्लयुद्ध चला। पुलिस वाले आगे बढ़े तो डीएम ने उन्हें रोक दिया। कहा कि कोई ईमानदार आदमी ही उनसे भिड़ने का साहस कर सकता है। बाद में दोनों में गहरी दोस्ती हो गई।

हेलीकाप्टर को उतार दिया कब्रिस्तान में

1974 में ये मुगलसराय विधान सभा से निर्दल उम्मीदवार थे। कांग्रेस उम्मीदवार उमाशंकर तिवारी के समर्थन में देश के रक्षा मंत्री जगजीवन राम को सभा करने आना था। इस सभा को फेल करने के लिए यदुनाथ सिंह के निर्देश पर इनके साथी हरिवंश सिंह, सरदार सतनाम सिंह, अब्दुल सत्तार, शमीम मिल्की, मोहनलाल सोनकर, शकुन्तलाल यादव ने मुगलसराय के कब्रिस्तान में धुआं करके पायलट को चकमा दे दिया। उसने हेलीकाप्टर को वहीं उतार दिया और सभा नहीं हो सकी। बिजली बताती थी उनकी स्थिति

ये जब तक विधायक रहे, चुनार वालों को बिजली की किल्लत कभी नहीं हुई। बिजली नहीं आती थी तो लोग कहने लगते थे कि शायद विधायक जी लखनऊ चले गए हैं। एक बार तो इन्होंने खुद सीमेंट फैक्ट्री की बिजली कटवा कर थ्रेसरिग के लिये आपूर्ति कराई। लखनऊ तक हंगामा हो गया था।


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