सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में कारगर साबित होगा आइआरएडी एप
जागरण संवाददाता मीरजापुर सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में इंटीग्रेटड रोड
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में इंटीग्रेटड रोड एक्सीडेंट डाटा बेस (आइआरएडी) मोबाइल एप्लीकेशन एप रामबाण साबित होगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) द्वारा आइआइटी मद्रास के सहयोग से मोबाइल एप्लीकेशन एप तैयार किया गया है। इसमें घटित दुर्घटनाओं का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। विशेषज्ञों द्वारा इनका विश्लेषण कर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के साथ ही घायलों को त्वरित मदद पहुंचाने पर भी मंथन किया जाएगा।
सड़क दुर्घटना के समय 60 मिनट घायलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, इसीलिए इसको गोल्डेन आवर भी कहते हैं। घायलों की मदद संग समुचित इलाज के लिए भारत सरकार द्वारा मुहिम चलाया जा रहा है। इस मुहिम से चार मुख्य विभाग परिवहन, पुलिस, स्वास्थ्य व राजमार्ग आपसी सामंजस्य बनाकर सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रभावी भूमिका बनाने और उनकी जिम्मेदारियों को तय करने में भी सहायता मिलेगी। परिवहन और पुलिस विभाग ने कर्मचारियों के मोबाइल में एप को फीड कराने का कार्य आरंभ कर दिया है। इस दौरान प्रशिक्षण को पूर्ण कराने और फीडिग का कार्य चल रहा है। सड़क दुर्घटनाओं के बाद कई बार अस्पतालों से घायलों को बिना भर्ती किए ही वापस भेज देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। एप में एक्सीडेंट के संबंध में किए गए उपचार के बारे में स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देना होगा। उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। जिला सूचना विज्ञान केंद्र के रोल आउट मैनेजर नितिन श्रीवास्तव ने बताया कि चेन्नई में एप का प्रयोग करके सड़क हादसों में 50 फीसद की कमी लाई गई है। संभागीय परिवहन विभाग के आरआई पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि लगभग 70 वाहनों के संबंध में डाटा फीड किया जा चुका है। वर्जन
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने लिए सराहनीय पहल है। इससे घायल व्यक्ति को गोल्डेन आवर 60 मिनट में मदद मिल सकेगी। पुलिस, परिवहन, स्वास्थ्य व राजमार्ग सभी चारों विभागों की जिम्मेदारी तय हो सकेगी।
- राजेश कुमार वर्मा, संभागीय परिवहन अधिकारी, प्रवर्तन।