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झूम के बरसे बदरा, उमस और गर्मी से मिली राहत

पिछले कई दिनों से हो रही कड़ी धूप व उमस भरी चिपचिपी गर्मी से सोमवार की शाम इंद्रदेव की मेहरबानी से आमजन को राहत मिली। शाम करीब पांच बजे शुरू हुई झमाझम बारिश से लोगों ने राहत की सांस ली। करीब एक घंटे तक कारे बदरा जमकर बरसे और लोगों का मनमयूर खिल उठा। मौसम में ठंडक घुली और लोगों को गर्मी से राहत मिल गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Jul 2021 07:50 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jul 2021 07:50 PM (IST)
झूम के बरसे बदरा, उमस और गर्मी से मिली राहत
झूम के बरसे बदरा, उमस और गर्मी से मिली राहत

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : पिछले कई दिनों से हो रही कड़ी धूप व उमस भरी चिपचिपी गर्मी से सोमवार की शाम इंद्रदेव की मेहरबानी से आमजन को राहत मिली। शाम करीब पांच बजे शुरू हुई झमाझम बारिश से लोगों ने राहत की सांस ली। करीब एक घंटे तक कारे बदरा जमकर बरसे और लोगों का मनमयूर खिल उठा। मौसम में ठंडक घुली और लोगों को गर्मी से राहत मिल गई।

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सोमवार की सुबह से ही चिलचिलाती धूप खिलने के पश्चात लोग गर्मी और उमस से त्रस्त हो गए। शाम को अचानक आसमान में काली घटाओं ने डेरा डाला और देखते ही देखते बारिश शुरू हो गई। बारिश के दौरान तेज हवाओं के चलने से मौसम सुहावना हो गया। वहीं बारिश से किसानों के चेहरे खुशी से खिले हुए है। खेती के जानकारों की माने तो बारिश के बाद धान की रोपाई में तेजी जाएगी। सोमवार को अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तामपान 28 डिग्री सेल्सियम रिकार्ड किया गया। धान की खेती में जुटे किसानों के लिए यह बारिश सोने पर सुहागा जैसे वाली होगी। किसानों ने कहा कि धान की फसल को अमृत मिल गया है। पिछले कुछ दिनों से बारिश की जरूरत महसूस की जा रही थी। दस दिनों बाद हुई बारिश

भांवा : दस दिनों से बरसात न होने से किसानों की नर्सरी सूख रही थी और लोगों को भारी उमस भरी जिदगी जीने पर मजबूर होना पड़ रहा था। ऐसे में सोमवार की शाम आधे घंटे के जोरदार बारिश से किसानों के चेहरे पर रौनक लौटी तो वही आमजन गर्मी से राहत महसूस कर रहा है। क्षेत्र के राधेश्याम पटेल, अखिलेश्वर मौर्य, अंगद यादव, जमुना प्रसाद पाल आदि किसानों ने कहा कि बरसात से सूख रही फसलों को जीवनदान मिला है। वहीं दूसरी तरफ जिन किसानों का भदैला फसल नहीं बोया गया है उन्हें बोने का मौका मिल जाएगा। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डा. श्रीराम सिंह ने बताया कि धान की नर्सरी में पानी बिल्कुल न रहे नहीं तो नर्सरी विकसित नहीं होगी। इसलिए किसान धान की नर्सरी में जल निकासी का प्रबंध करें।


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