कण-कण में विद्यमान प्रभु श्रीराम का स्वरूप
क्षेत्र के बहादुरपुर गांव में आयोजित नौ दिवसीय भक्तिमय श्रीराम कथा में जौनपुर से पधारे कथा वाचक पं. वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने राम जन्मोत्सव की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा रसिकों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जगत मिथ्या नहीं हैं बल्कि इसके कण-कण में ब्रह्म अर्थात प्रभु श्रीराम का स्वरूप विद्यमान है।
जासं, जमालपुर (मीरजापुर) : क्षेत्र के बहादुरपुर गांव में आयोजित नौ दिवसीय भक्तिमय श्रीराम कथा में जौनपुर से पधारे कथा वाचक पं. वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने राम जन्मोत्सव की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा रसिकों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जगत मिथ्या नहीं हैं, बल्कि इसके कण-कण में ब्रह्म अर्थात प्रभु श्रीराम का स्वरूप विद्यमान है। संसार की कोई भी वस्तु असत्य नहीं हैं। हमारे भाव ही मिथ्या तत्व को जन्म देते हैं, और यहीं भाव ही जगत को मिथ्या बना देता है। मानव धर्म के आदर्श प्रभु श्रीराम है। रामचंद्र जी मानव के कल्याण के लिए मानव धर्म के आदर्श को धरती पर अपने पद चिन्ह के रूप में छोड़ जाते हैं। अगर वर्तमान में मनुष्य प्रभु श्रीराम के पद चिन्हों पर चले तो परिवार, समाज एवं राष्ट्र में राम राज्य की स्थापना हो जाएगी। इस दौरान रामप्रकाश, सुरेश जायसवाल, धर्मेंद्र जायसवाल, प्रकाश मीरजापुरी, केडी सिंह, आलोक श्रीवास्तव, प्रभुनाथ, उमाशंकर गिरि आदि थे।