हाइवे से मिल रही ग्रामीण सड़कों से हादसों का बढ़ा खतरा
जनपद में हो रहे हादसों पर नजर डाली जाए तो वे स्थान जहां किसी नेशनल हाइवे या स्टेट हाइवे से कोई ग्रामीण सड़क मिलती है वहां ज्यादा हादसे होते हैं। दरअसल इन सड़कों की इंजीनियरिग में ही खोट है। एक तरफ टोल वसूले जाते हैं मगर हाईवे पर होने वाले इंतजाम नदारद हैं। सड़क डिवाइडर सहित जो भी इंतजाम होने चाहिए वे नहीं किए जाते जिसकी वजह से हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद में हो रहे हादसों पर नजर डाली जाए तो वे स्थान जहां किसी नेशनल हाइवे या स्टेट हाइवे से कोई ग्रामीण सड़क मिलती है, वहां हादसे अधिक होते हैं। दरअसल इन सड़कों की इंजीनियरिग में ही खोट है। एक तरफ टोल वसूले जाते हैं मगर हाईवे पर होने वाले इंतजाम नदारद हैं। सड़क, डिवाइडर सहित जो भी इंतजाम होने चाहिए, वे नहीं किए जाते, जिसकी वजह से हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं।
जनपद से निकलने वाले तमाम हाईवे पर भी बिना अनुमति के डिवाइडर बना दिए हैं। संकेतक गायब हैं और लाइटिग की बेहतर व्यवस्था नहीं हुई है जिसकी वजह से समस्या कम होने की बजाय बढ़ गई है। साथ ही नई बनाई जाने वाली सड़कों की डिजाइनिग खामियां आखिर लोगों के जान की दुश्मन बन जाती हैं और लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं। जिन गांवों के करीब से हाइवे गुजरते हैं , वहां की ग्रामीण सड़क के टी-प्वाइंट्स पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। मीरजापुर से वाराणसी वाया चुनार हाइवे पर पड़री, भरपुरा, डगमगपुर जैसे स्थानों पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं का यही कारण है। इसके अलावा मीरजापुर से राबर्ट्सगंज और मीरजापुर से रीवां हाइवे से जुड़ने वाली ग्रामीण सड़कों पर आए दिन हादसे होते हैं। यातायात विभाग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि इन हाइवे पर ब्रेकर व डिवाइडर लगाने का कोई शासकीय आदेश नहीं है इसके बावजूद जगह-जगह पर ब्रेकर लगा दिए गए हैं। कोहरे के समय में ये ब्रेकर व डिवाइडर वाहनों के लिए खतरनाक बन जाते हैं।
हाईवे पर हादसा रोकने के क्या इंतजाम
जनपद के हाइवे पर हादसे रोकने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं। वाराणसी-शक्तिनगर हाइवे पर ही पीली पट्टियां व कई जगहों पर संकेतक लगाए गए हैं जो कि आम लोगों के लिए थोड़ी राहत प्रदान करते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि हाइवे पर जगह-जगह ऐसे संकेतक जरुर लगाए जाएं जिससे वाहन चालकों को दूर से पता चल सके कि आगे सड़क किस तरफ मुड़ी है। लेकिन ऐसा न होने से कोहरा जानलेवा बन जाता है।
नहीं लगे संकेतक व रिफ्लेक्टर
कुछ हाइवे को छोड़ दें तो किसी स्टेट हाइवे या ग्रामीण सड़क पर रिफ्लेक्टर नहीं लगाए गए हैं। संकेतकों का भी कहीं अता-पता नहीं है जिसकी वजह से आम यात्रियों को परेशानी होती है। कोहरे के मौसम में इनकी कमी ज्यादा खलती है क्योंकि ज्यादा कोहरा होने के कारण सड़क का किनारा तक दिखाई नहीं है। जहां तक एनएचएआइ का काम है तो हादसों के बाद घटनास्थल का मुआयना करके खानापूर्ति कर ली जाती है।
लोगों ने कहा
कोहरे के समय हाइवे सबसे ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं क्योंकि किसी भी हाइवे पर रिफ्लेक्टर नहीं लगाए गए हैं। तमाम दुर्घटनाएं होती हैं लेकिन प्रशासन पर इसका असर नहीं पड़ता।
- अफरोज अली
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किसी भी रोड पर लाइटिग की व्यवस्था नहीं है। अंधेरे में सड़क किनारे की खाइयां भी नहीं दिखाई देती हैं जिसकी वजह से हादसे हो जाते हैं। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
- सुरेंद्र नाथ शुक्ला
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हमारा कहना है कि सरकार सड़क पर चलने का टैक्स लेती है। वाहन चलाने का टैक्स लेती है और कई तरह के यातायात कानून भी हैं लेकिन सड़कों की हालत खराब ही बनी हुई है।
- रमेश कुमार शर्मा
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ग्रामीण सड़कों पर रोजाना लोग गिरकर चोटिल होते हैं लेकिन उसकी रिपोर्ट कहीं नहीं होती है। आज आवश्यकता है लेकिन सड़क सुरक्षा को लेकर जिस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए, वह नहीं है।
- रायचंद्र दूबे
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शहरी क्षेत्र की ही कई सड़क ऐसी हैं जिन पर रात में चलना जान जोखिम में डालने जैसा है। कोहरे के दिनों में तो और भी हालात खराब हो जाते हैं। जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
- विकेश्वर प्रताप सिंह
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जहां पर हादसे होते हैं वहां पर कुछ न कुछ डिजाइनिग की खामियां होती हैं। इसे लेकर कभी कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई जाती है। जबकि आज इसकी जरुरत है।
- रमेश बिद