अपनी चिता छोड़ सेवा में लीन स्वास्थ्यकर्मी
जागरण संवाददाता पटेहरा (मीरजापुर) कोरोना से जंग जीतने के लिए स्वास्थ्यकर्मी आगे आ गए
जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर) : कोरोना से जंग जीतने के लिए स्वास्थ्यकर्मी आगे आ गए हैं, जिन्हें न अपने परिवार की चिता है और न ही अपने शरीर की। चिता बस कोरोना ते जंग जीतने की है। हिम्मत से काम लेने में निपुण कुछ महिला स्वास्थ्य कर्मियों की दाद मानी जा रही है। घर-परिवार व बच्चे संभालने के बाद मरीजों की सेवा में जो जुटी रहती हैं। वहीं घंटी बजते ही संक्रमित को पीएचसी या रेफर होने के बाद स्वयं की चिता छोड़ मंडलीय अस्पताल तक पहुंचाने की ललक एंबुलेंस 108 व 102 के चालकों को रहती है। इनको न तो समय से खाना नसीब होता और न सोना नसीब हो रहा है, लेकिन उन्हें मरीजों की जान बचाने की चिता रहती है।
----------- बोले, स्वास्थ्यकर्मी व एंबुलेंस चालक
छोटे-छोटे बच्चों को कमरे पर छोड़ ड्यूटी पर निडर होकर सभी को कोरोना की वैक्सीन लगाने का काम करती हूं। जरूरत पड़ी तो कोरोना जांच व गांव में जाकर संक्रमित को दवा वितरण से लेकर अन्य टिप्स भी देती हूं। कोरोना से जंग जीतने के लिए उपचार देकर अपने को गौरवांवित महसूस करती हूं।
- शशिकला, आशा संगिनी, पीएचसी पटेहरा।
----------- दस वर्षों की सरकारी सेवा के दौरान दहशत भरा माहौल कभी नहीं देखा था। कोरोना से लोग दहशतजदा है। इन्हें समझाकर हिम्मत देती हूं। वैक्सीन लगाने से नहीं हिचकती। जरूरत पड़ी तो तुरंत डाक्टर से सलाह लेकर मरीजों को सदर अस्पताल भेजने से नहीं चूकती। घर पर छोटे बच्चे हैं, जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। फिर भी सावधानी से रहकर सेवा के लिए सदैव तैयार रहती हूं।
- बृंदा देवी, एएनएम, पीएचसी पटेहरा।
----------- घंटी बजते ही फौरन मरीज को हाथ लगाकर आक्सीजन के साथ पीएचसी पर लाया जाता है। मरीज के तीमारदार भी दूरी बना लेते हैं। कभी-कभी तो खाना भी नसीब नहीं होता। परिवार से भी बातचीत नहीं हो पाती।
समरजीत कुशवाहा, चालक, एंबुलेंस।
----------- बराबर हाथ में ग्लब्स और मुंह पर मास्क लगाकर मरीज की सेवा में लगा रहता हूं। कोरोना से जंग जीतने की ललक है। सभी को हिम्मत देता हूं और सावधानी पूर्वक सेवा करने से नहीं चूकता।
अखिलेश दूबे, चालक, एंबुलेंस 102।