शिक्षकों की उपेक्षा कर रही सरकार, मिले पुरानी पेंशन
सदभावना नगर में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ जनपद इकाई की बैठक सत्यभूषण सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को हुई। मंडल अध्यक्ष केदारनाथ दूबे ने कहा कि पूर्व में संगठन ने संघर्षो के बल पर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं उसे वर्तमान में सरकार छिनती जा रही है। सरकार शिक्षकों के हितों की अनदेखी व उपेक्षा कर रही है। पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक आगामी 21 जनवरी को सामूहिक अवकाश लेकर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : सदभावना नगर में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ जनपद इकाई की बैठक सत्यभूषण सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को हुई। मंडल अध्यक्ष केदारनाथ दूबे ने कहा कि पूर्व में संगठन ने संघर्षो के बल पर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उसे वर्तमान में सरकार छिनती जा रही है। सरकार शिक्षकों के हितों की अनदेखी व उपेक्षा कर रही है। पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक आगामी 21 जनवरी को सामूहिक अवकाश लेकर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
मंडलीय मंत्री गणेश प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षक सम्मान बचाओ के चौथे चरण के आंदोलन में प्रत्येक शिक्षक साथी शिक्षक महासंघ के बैनर तले धरना के लिए अवकाश लेकर प्रतिभाग करें। जिला मंत्री बलवंत सिंह ने कहा कि शिक्षकों के मांगों की लगातार उपेक्षा हो रही है। राज्य कार्यकारिणी सदस्य जितेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा का लाभ अनेक प्रकार के नागरिकों और कर्मचारियों को प्राप्त हो रहा है। सरकार द्वारा इसकी उपेक्षा की जा रही है। बैठक में धर्मराज सिंह, तेजई राम, रमाकांत सिंह, भुवनेश्वर पांडेय, राधाकांत, हीरालाल, हीरालाल मिश्रा, राकेश सिंह, अखलाक अहमद, अंतेश सिंह, कौशल सिंह, अरविद दूबे, श्यामधर, राकेश आदि मौजूद रहे।
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माध्यमिक शिक्षकों की मांगें
- अंतरजनपदीय स्थानातरण नीति में समय सीमा समाप्त हो।
- राज्य कर्मचारियों की भांति मिले एसीपी का लाभ।
- योग्यताधारी शिक्षामित्रों को पूर्णकालिक शिक्षक बनाए।
- संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों को सुविधाएं मिले।
- अनुदेशकों को स्थाई किया जाए।
- समाज कल्याण से अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों को पेंशन व पारिवारिक योजना का लाभ मिले।
- माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती हो।
- एलटी ग्रेड के शिक्षकों को प्रोन्नत वेतनमान देने के लिए परास्नातक की बाध्यता समाप्त हो।
- गैर अनुदानित मदरसों को अनुदान मिले।