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पांच साल बाद भी पुलिस मुख्यालय तक नहीं पहुंची पत्रावली

मूलरूप से जनपद के खम्हरिया कला गांव निवासी व सोनभद्र के एसपी कार्यालय में तैनात रहे आरक्षी स्व. कैलाश प्रसाद पाठक की मौत के बाद उनके बेटे ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लिए आवेदन क्या किया मानो कोई गुनाह कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 11:47 PM (IST)
पांच साल बाद भी पुलिस मुख्यालय तक नहीं पहुंची पत्रावली
पांच साल बाद भी पुलिस मुख्यालय तक नहीं पहुंची पत्रावली

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मूलरूप से जनपद के खहरिया कला गांव निवासी व सोनभद्र के एसपी कार्यालय में तैनात रहे आरक्षी स्व. कैलाश प्रसाद पाठक की मौत के बाद बेटे ने मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी के लिए आवेदन क्या किया मानो कोई गुनाह कर दिया। तमाम कागजात, खानापूर्ति, लिखा-पढ़ी के बाद जब 2014 में सारी प्रक्रिया पूरी हो गई और वह वर्दी का इंतजार करने लगा तो खबर मिली कि उसकी फाइल अभी पुलिस मुख्यालय भेजी ही नहीं गई। विगत पांच वर्षों से मृतक आरक्षी का बेटा सरकार के हर दरवाजे पहुंचा लेकिन कहीं भी उसे सहारा नहीं मिला।

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मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी मांग रहे 18 वर्ष के युवा देवमणि की उम्र अब 24 साल हो गई है। अवसाद ग्रस्त मां ने भी उसका साथ छोड़ दिया है। दो छोटे भाइयों व एक बहन के विवाह की जिम्मेदारी सिर पर ओढ़े देवमणि फाइलों का गट्ठर लादे कभी इस कार्यालय तो कभी उस कार्यालय के चक्कर लगा रहा है। सोनभद्र एसपी कार्यालय के बाबू, तत्कालीन अधिकारियों की एक गलती ने पूरा परिवार उजाड़ दिया, हालात यह हैं कि तनाव से ग्रस्त हो चुके देवमणि ने राष्ट्रपति से अपनी नागरिकता निरस्त तक करने की अपील कर डाली लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे पुलिस आरक्षी कैलाश प्रसाद पाठक की मृत्यु 2010 में हो गई थी। उसके बाद शुरू हुआ मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मांगने का अंतहीन सिलसिला जो आज तक जारी है। युवक को नौकरी तो नहीं मिली लेकिन अधिकारियों, नेताओं व पुलिस विभाग की इतनी प्रताड़ना जरुर मिली जिसने उसे अंदर तक तोड़ दिया है। युवा देवमणि ने बताया कि सभी जगह से इतना पत्राचार हुआ कि एक हजार पन्नों का पुलिदा ही उसके पिता की विरासत बन गया है जिसे ढोते-ढोते अब उसके कंधे छिल गए हैं लेकिन शासन कागज पर ही सवाल-जवाब का क्रम जारी रखे हुए है। युवक ने कहा कि उसने न्याय का हर दरवाजा खटखटाया जहां से उसे एक-एक चिट्ठी मिलती गई जिसका बोझ अब जिदगी से भी भारी हो गया है। 150 बार मुख्यमंत्री कार्यालय की दौड़

अपनी समस्या लेकर देवमणि अब तक 150 बार मुख्यमंत्री कार्यालय, आवास के चक्कर लगा चुका है। चार बार मुख्यमंत्री से मिल भी चुका है। चार सौ बार वह एसपी आफिस सोनभद्र के चक्कर काट चुका है। इतना ही नहीं राष्ट्रपति कार्यालय, पीएमओ, मानवाधिकार आयोग, गृहमंत्रालय, विदेश मंत्रालय, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट, पं. बंगाल के मुख्यमंत्री, यूपी के उप मुख्यमंत्री सहित सभी राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों तक अपनी शिकायत पहुंचा चुका है। वह बालीवुड के कई सुपरस्टार्स से भी मिलकर अपना दर्द बयां कर चुका है। पुलिस विभाग में एसपी आफिस सोनभद्र से लेकर डीआइजी उत्तर प्रदेश कार्यालय तक पहुंचा लेकिन समाधान नहीं मिला।


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