करोड़ों खर्च के बाद भी सामुदायिक भवन बदहाल
विकास खंड क्षेत्र के अधिकांश सामुदायिक भवन ध्वस्त होने के कगार पर हो गए है। सामुदायिक भवन बनते समय तो ग्रामवासियों को ढेर सारे लालीपाप दिखाए गए थे। भवनों का निर्माण हो जाने के बाद तमाम भवन तो विभाग हैंडओवर भी नहीं किया और ध्वस्त भी हो गए।
जासं, पटेहरा (मीरजापुर) : विकास खंड क्षेत्र के अधिकांश सामुदायिक भवन ध्वस्त होने के कगार पर हो गए है। सामुदायिक भवन बनते समय तो ग्रामवासियों को ढेर सारे लालीपाप दिखाए गए थे। भवनों का निर्माण हो जाने के बाद तमाम भवन तो विभाग हैंडओवर भी नहीं किया और ध्वस्त भी हो गए। क्षेत्र के लोगों ने संबंधित विभाग व ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच कर कार्रवाई करने की मांग करते हुए दुरूस्त कराकर हैंडओवर कराने की मांग की है।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जहां सरकारी सामुदायिक भवनों में गांव के विकास और अनुश्रवण होने थे अब वहां जानवरों का अड्डा बन गया है तथा बेसहारा पशुओं का आश्रय स्थल बन कर रह गया है। कई सामुदायिक भवन तो प्रधानों की धरोहर बन कर रह गए है। जिनमें अमोई पुरवा, लालापुर, खनवर मझारी, राहकला के सामुदायिक भवन तो केवल विभाग और ठेकेदारी प्रथा को मजबूती देने के लिए ही बने थे। इन भवनों के रख रखाव के अभाव में खिड़की दरवाजे पंखे सब तितर-बितर होकर गायब भी हो गए है। जिनका थाने में एफआइआर तक कराना ग्राम पंचायत जरूरी नहीं समझा। काश यदि इन भवनों के करोड़ों रुपये बचा कर कोई सिचाई या पेयजल संकट में खर्च हुआ होता तो ग्रामवासियों को सूखा या पेयजल संकट से निजात मिल ही जाती। इस संबंध ें सहायक विकास अधिकारी पंचायत पीके सिंह ने बताया कि सामुदायिक भवन हो चाहे पंचायत भवन सभी का अनुश्रवण ग्राम पंचायतों को राजवित्त या केंद्रीय वित्त से रख रखाव में करना था हो सकता है भवन अभी ग्राम पंचायतों को हैंडओवर न हुए हो।