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इस आपदा पर विजयी होकर, अवसर है विश्वगुरु बनने का

आज एक बार फिर नागरिक अपने घर में ही कैद है। हो भी क्यों न जो उसने सूल्तान की दरियादिली और कोरोना के कहर को हल्के में ले लिया है। बीते एक जून से लाकडाउन में थोड़ी सी राहत मिली तो नागरिक बगैर कामकाज के सड़कों पर लगे चक्रमण करने। अरे भई कोरोना के कहर से देश-दुनिया में लोग हलकान हैं तो नागरिकों को भी सब्र व संयम से रहना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 06:10 AM (IST)
इस आपदा पर विजयी होकर, अवसर है विश्वगुरु बनने का
इस आपदा पर विजयी होकर, अवसर है विश्वगुरु बनने का

आज एक बार फिर नागरिक अपने घर में ही कैद है। हो भी क्यों न, जो उसने सूल्तान की दरियादिली और कोरोना के कहर को हल्के में ले लिया है। बीते एक जून से लॉकडाउन में थोड़ी सी राहत मिली तो नागरिक बगैर कामकाज के सड़कों पर लगे चक्रमण करने। अरे भई, कोरोना के कहर से देश-दुनिया में लोग हलकान हैं तो नागरिकों को भी सब्र व संयम से रहना चाहिए। जान रहेगी तभी जहान का आनंद ले सकेंगे, लेकिन इससे बेफिक्र नागरिक बीते एक महीने में शहर की गलियों से लेकर गांवों की पगडंडियों तक धमा-चौकड़ी मचाता रहा। सो सूबे के सूल्तान को खुद नागरिक के जान की परवाह करते हुए एक बार फिर सिर्फ दो दिन के लिए लॉकडाउन लगाकर उन्हें घर में कैद रहने के लिए मजबूर करना पड़ा।

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तकरीबन डेढ़ माह बाद आज भोर में एक बार फिर नागरिक के कानों में सायरन की आवाज गूंजी तो सकपका कर बिस्तर से उठ खड़ा हुआ। उसने अपनी खिड़की से झांका तो देखा कि पुलिस के वाहन हूटर बजाते हुए सड़कों पर रफ्तार भर रहे हैं। अरे यह क्या, गाड़ियों के गुजरने के बाद खाकी वर्दी वाले कदमताल कर रहे हैं। यह तो आगे चल रहे चेहरे जाने-पहचाने लग रहे हैं। ओहो, ये तो आइजी व जिले के कप्तान अन्य अधिकारियों के साथ लोगों को घरों में ही रहने के लिए ताकीद कर रहे हैं तो दूसरी तरफ जिले के हाकिम भी नागरिकों को बाहर न जाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। ये लीजिए, है न हैरतअंगेज करने वाली बात, अब जिले के हाकिम व कप्तान को नागरिकों को जागरूक करने के लिए सड़कों पर कदमताल करना पड़ रहा है। यह सब देख नागरिक बीते पांच सप्ताह खुलेआम तफरी करते रहने के लिए खुद को कोसता रहा।

चहारदीवारी के बीच सिमटा नागरिक अपने कर्तव्यों को लेकर सोच में डूब गया। तभी बेटी चाय लेकर पहुंची और बोली, चाय पीजिए पापा, आज आपको घर में ही हमारे साथ रहना है। वह खुशी से चहक रही थी कि एक बार फिर महीनेभर बाद पापा उसके साथ वॉलीबाल, लूडो व कैरम घर में ही खेलेंगे। बच्चे की खुशी देख नागरिक का भी मन हल्का हो गया। तभी बेटी ने टीवी ऑन कर दिया। टीवी के सामने बैठा नागरिक देश-दुनिया की खबरें देखने लगा। उसे लगा कि काश हम देश के प्रधान सेवक व सूबे के सूल्तान की बात मान लेते तो आज ये नौबत न आती जो हमें लोगों से दूर एक बार फिर अपने ही घर में चहारदीवारी के बीच कैद होकर रहना पड़ता। तभी बेटी लूडो लेकर आ गई तो नागरिक उसे दुलारते हुए लूडो की गोटियां बिछाने लगा और फिर खेलते हुए गुनगुनाते लगा-

इस आपदा पर विजयी होकर, अवसर है विश्वगुरु बनने का।

बस कुछ दिनों की बात है, बस कुछ दिनों की बात है।।

- नागिरक


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