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विकास व शिक्षा में मील का पत्थर साबित हो रहा बीएचयू साउथ कैंपस

तंत्र के गण---- फोटो 34--------- विध्य क्षेत्र - मध्य प्रदेश बिहार छत्तीसगढ़ समेत पूर्वांचल के

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 07:26 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:26 PM (IST)
विकास व शिक्षा में मील का पत्थर साबित हो रहा बीएचयू साउथ कैंपस
विकास व शिक्षा में मील का पत्थर साबित हो रहा बीएचयू साउथ कैंपस

तंत्र के गण---- फोटो 34---------

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विध्य क्षेत्र

- मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत पूर्वांचल के पिछड़े क्षेत्रों के लिए संजीवनी

- प्रो. पंजाब सिंह रहे नायक, केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह ने रखी थी आधारशिला

- पशु विज्ञान व पशु चिकित्सा संकाय के साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र से बड़ा फायदा सतीश रघुवंशी

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मीरजापुर : ऊंचे पहाड़, झरने व हरे-भरे वादियों के बीच बरकछा के पास स्थापित बीएचयू का साउथ कैंपस जनपद के साथ ही मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत पूर्वांचल के आसपास के पिछड़े इलाकों के छात्रों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। करीब 2700 एकड़ में फैले परिसर से ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को विषम परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहर जाना पड़ता है, जो अधिकांश अभिभावकों के लिए वित्तीय बोझ बनता था। क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रो. पंजाब सिंह ने बरकछा में बीएचयू की स्थापना कराई ताकि मीरजापुर के भी बच्चे आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सकें और इस पिछड़े क्षेत्र का भरपूर विकास हो सके। अब तो कई प्रदेशों के छात्र यहां से तकनीकी ज्ञान लेकर जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं।

जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर सोनभद्र मार्ग पर बरकछा में 30 मई 2005 को पहली बार काशी हिदू विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. पंजाब सिंह परिसर पहुंचे थे। वर्ष 2006 में यहां भूमि पूजन किया गया। उसी समय इसका नाम राजीव गांधी दक्षिणी परिसर रख दिया गया। छह पाठ्यक्रम के साथ शुरू हुए दक्षिणी परिसर में वर्तमान में कुल 26 पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इस समय करीब तीन हजार छात्र-छात्राएं वहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बीएचयू दक्षिणी परिसर में दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के अलावा स्नातक व परास्नातक के पाठ्यक्रम संचालित होते हैं। पूर्वांचल का यह पहला संस्थान है जहां पशु विज्ञान व पशु चिकित्सा संकाय के तहत बीएससी वेटेनरी साइंस की पढ़ाई की जाती है। दक्षिणी परिसर में अपना जल शोधन संयंत्र है जिससे पूरे परिसर में जलापूर्ति की जाती है। कृषि कार्यों की बेहतरी के लिए यहां कृषि विज्ञान केंद्र भी शुरू किया गया है। इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है। ---

साउथ कैंपस के नायक रहे बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. पंजाब सिंह कछवां के अनंतपुर गांव निवासी प्रो. पंजाब सिंह केंद्र सरकार के कृषि नीति के निर्माण की दिशा में सलाहकार के रूप में विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हैं। प्रो. सिंह ने सहायक अध्यापक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक के पद को भी सुशोभित किया। प्रो. पंजाब सिंह को बीएचयू के दक्षिणी परिसर बरकछा की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह से संपर्क कर यहां बीएचयू साउथ कैंपस के लिए स्वीकृति कराई थी। ऐसे में जनपद के लोग आज भी उन्हें शिक्षा के लिए नायक के रूप में देखते हैं। ---

पिछड़े क्षेत्र के विकास के लिए शिक्षा को तरजीह

साउथ कैंपस के आचार्य प्रभारी प्रो. वीके मिश्र के मुताबिक पिछड़े क्षेत्र के विकास के लिए शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। ऐसे में यहां इंटर तक की मुफ्त शिक्षा के लिए काम किया जा रहा है। पूर्वांचल के पहले कृषि विज्ञान केंद्र से भी किसानों को काफी लाभ हो रहा है। निश्चित रूप से बीेएचयू का साउथ कैंपस मीरजापुर के साथ ही पूर्वांचल समेत आसपास के प्रदेशों के लिए भी मील का पत्थर साबित हो रहा है।


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