बालमन की भावनाओं ने बनाया इको पार्क मॉडल
शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आधुनिकता की अंधी दौड़ देखी जा रही है जिसका प्रभाव इंसान की सेहत के साथ ही पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। इससे व्यथित बच्चों की कोमल भावनाओं ने तकनीक का सहारा लिया और एक इको पार्क माडल तैयार कर सांइस फेस्टिवल में पेश में किया। इस माडल को वैज्ञानिकों ने सराहा और कहा कि ऐसे पार्क हर ब्लाक में तैयार किए जाएं तो पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : शहर नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आधुनिकता की अंधी दौड़ देखी जा रही है। इसका प्रभाव इंसान की सेहत संग पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। इससे व्यथित बच्चों की कोमल भावनाओं ने तकनीक का सहारा लिया और एक इको पार्क मॉडल तैयार कर सांइस फेस्टिवल में पेश में किया। इस मॉडल को वैज्ञानिकों ने सराहा, कहा कि ऐसे पार्क हर ब्लाक में तैयार किए जाएं तो पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
कक्षा छह, सात और आठ में पढ़ने वाले बच्चों ने मन में उठ रहे भावों को जब तकनीक से जोड़ा तो एक ऐसे पार्क की परिकल्पना साकार हो गई, जो न सिर्फ पर्यावरण को बचाने हेतु लोगों को प्रेरित करता है। यह जानकारी भी देता है कि घास से लेकर जानवर व इंसान सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं। ऐसे में किसी एक का अस्तित्व खतरे में पड़ेगा तो दूसरा भी उससे प्रभावित होगा। बच्चों ने इको पार्क तकनीक से शहर को सजाने की योजना बनाई है। उनका मानना है कि यदि इसे सही तरह से लागू किया जाए तो बदलाव होगा, हमारा पर्यावरण बेहतर बनेगा। कक्षा छह के छात्र प्रियांश ने बताया कि इको पार्क को विकसित करने के लिए ज्यादा धन की आवश्यकता नहीं पड़ती है और लाभ भी ज्यादा होता है। छात्र रित्विक ने बताया कि हमने इको पार्क में गांव को सुंदर बनाने की योजना तैयार की है।
वैज्ञानिकों ने सराहा
नेशनल साइंस फेस्टिवल में इस मॉडल को पेश किया गया जिसमें चयन करने वाले वैज्ञानिकों ने इसकी सराहना की। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी छात्रा मंजुला ने बताया कि गांव में सूर्य की रोशनी से लेकर पशु़ओं के गोबर तक से कुछ न कुछ बेहतर कराया जा सकता है। छात्रा का कहना है, जिस तरह पहले की अर्थव्यवस्था गांव आधारित रहती थी, जिसमें गांव का पैसा गांव तक ही रहता है। उसी को फिर से पुर्नजीवित करना है।