कोरोना की आत्मकथा
सावधान! मैं चीनी यात्री कोरोना हूं। मुझे हल्के में मत लेना मैं खतरनाक खिलौना हूं। मुझको जिसने पैदा किया पहले उसी पर वार किया। एक नहीं हजारों की संख्या पर प्रहार किया। देश विदेश में घूम रहा हूं न जादू न टोना हूं।। सावधान! मैं चीनी यात्री कोरोना हूं।
सावधान! मैं
चीनी यात्री कोरोना हूं।
मुझे हल्के में मत लेना,
मैं खतरनाक खिलौना हूं।
मुझको जिसने पैदा किया,
पहले उसी पर वार किया।
एक नहीं, हजारों की
संख्या पर प्रहार किया।
देश विदेश में घूम रहा हूं,
न जादू न टोना हूं।।
सावधान! मैं
चीनी यात्री कोरोना हूं।
इटली, अमेरिका पर मैंने
ताबड़तोड़ प्रहार किया।
अपने नग्न तांडव से मैं,
लाखों का संहार किया।
मैं वायरस चमक रहा,
जैसे चांदी-सोना हूं।।
सावधान! मैं
चीनी यात्री कोरोना हूं।
मगर आज मैं भारत के,
चक्रव्यूह से दहल गया हूं।
फिर भी जितना बन पाया,
उतना ही मैं पहल किया हूं।
भारत के भविष्य को
हिला न पाया कोरोना हूं।
सावधान! मैं
चीनी यात्री कोरोना हूं।
सोचा था मोदी के
गोदी में जाकर बैठूंगा।
लाखों को सुरधाम पढ़ाकर,
अपनी मूंछ मैं ऐठूंगा।
छप्पन इंच सीना के सम्मुख,
बन गया आज मैं बौना हूं।
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कमलेश्वर प्रसाद'कमल'
- भरपुर, चुनार