मां विंध्यवासिनी जयंती पर दिखेगा शास्त्रीय संगीत कलाकारों का अनूठ संगम
मां विंध्यवासिनी जयंती पर दिखेगा शास्त्रीय संगीत कलाकारों का अनूठा संगम
मां विंध्यवासिनी जयंती पर दिखेगा शास्त्रीय संगीत कलाकारों का अनूठ संगम
- स्वर लहरियों के बीच होगी मां विंध्यवासिनी की आराधना, जुटेंगे देश भर के कलाकार
- शृंगार, पूजन के साथ होगा अखिल भारतीय संगीत समारोह व सांस्कृतिक कार्यक्रम
जागरण संवाददाता, विंध्याचल (मीरजापुर) : मां विंध्यवासिनी के आंगन में जयंती पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शास्त्रीय संगीत कलाकारों का अनूठा संगम देखने को मिलेगा और स्वर लहरियों के बीच मां विंध्यवासिनी की आराधना होगी।
श्रीविंध्यवासिनी आराधना केंद्र विंध्याचल की ओर से 13 अगस्त को विंध्यवासिनी मंदिर पर मां विंध्यवासिनी जयंती समारोह के साथ भव्य श्रृंगार, पूजन, प्रसाद वितरण व अखिल भारतीय संगीत समारोह व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयाेजन किया जाएगा। संस्थापक बच्चा लाल पाठक ने बताया कि विंध्यवासिनी जयंती पर राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम होगा। इसमें दिल्ली, कोलकाता, प्रयागराज, वाराणसी समेत देश भर के कलाकार जुटेंगे।
इस दिन विंध्य पर्वत पर निवास करने आई थीं मां विंध्यवासिनी
पुराणों के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि को मां विंध्यवासिनी का अवतरण दिवस है। इस दिन देवी विंध्य पर्वत पर निवास करने आई थीं। इसलिए हर वर्ष बड़े ही धूमधाम से विंध्य क्षेत्र में विराजमान मां विंध्यवासिनी, काली खोह, अष्टभुजा देवी का भव्य श्रृंगार, पूजन व प्रसाद वितरण के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। विंध्यवासिनी जयंती समारोह मां विंध्यवासिनी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है और इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को जीवंत करने के लिए भी जाना जाता है। इसकी शुरूआत सन् 1971 में उत्तर प्रदेश सरकार ने की थी। स्थानीय लोगों के साथ बाहरी लोग भी इसका भरपूर आनंद उठाते हैं।
राजा कंतित नरेश की पुत्री कजली के जीवन की याद दिलाता है विंध्यवासिनी जयंती
विंध्यवासिनी जयंती राजा कंतित नरेश की पुत्री कजली के जीवन की याद दिलाता है। ऐसा माना जाता है कि राजकुमारी को उनके पति से अलग कर दिया गया था जिन्हें वे बेहद प्यार करतीं थीं। उन्होंने अपना शेष जीवन उनकी याद में गीत गाते बिताया।
विंध्य क्षेत्र से हुआ है लोकप्रिय कजली शैली का उद्गम
देश के लोकप्रिय गायकों और लोकगीत गायकों को विंध्यवासिनी जयंती आकर्षित करता है। देवी की याद में वे गाते हैं, नाचते हैं और अपनी प्रतिभा के जरिए दर्शकों की भरपूर वाह-वाही पाते हैं। लोकप्रिय कजली शैली का उद्गम विंध्य क्षेत्र से ही हुआ है।
प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति भी कर चुके हैं उत्साहवर्धन
महामंडलेश्वर स्वामी गुरुशरणानंद महाराज, रमणरेती मथुरा, फिल्म अभिनेता व पूर्व सांसद गोविंदा, डीके श्रीवास्तव लखनऊ श्रीविंध्यवासिनी आराधना केंद्र विंध्याचल के संरक्षक मंडल हैं। विंध्यवासिनी जयंती की सफलता के लिए प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक प्रशंसा पत्र के माध्यम से श्रीविंध्यवासिनी आराधना केंद्र का उत्साहवर्धन कर चुके हैं।