मंडलीय, महिला चिकित्सालय में 20 बीमारियों की जांच नहीं
मंडल के तीन जनपदों के मरीजों का भार उठाने वाले मंडलीय एवं महिला चिकित्सालय में दर्जनों जरुरी बीमारियों की जांच महीनों से नहीं हो रही हैं।पूछने पर कर्मचारियों द्वारा बताया जा रहा हैं कि मशीन खराब हैं। इसलिए जांच नहीं हो रही हैं। कुछ ही जांच हैं जो यहां हो सकती
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : मंडल के तीन जनपदों के मरीजों का भार उठाने वाले मंडलीय एवं महिला चिकित्सालय में दर्जनों जरूरी बीमारियों की जांच महीनों से नहीं हो रही हैं। पूछने पर कर्मचारियों द्वारा बताया जा रहा हैं कि मशीन खराब हैं। इसलिए जांच नहीं हो रही हैं। कुछ ही जांच हैं जो यहां हो सकती हैं उसे कराना हैं तो करा लो। ऐसे में मरीजों को अपने बीमारी की जांच कराने के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा हैं। मजबूरी में निजी पैथालॉजी में हजारों रुपये खर्च करके जांच कराने को विवश हैं।
मंडलीय अस्पताल एवं जिला महिला चिकित्सालय में मीरजापुर, भदोही व सोनभद्र जनपद के करीब साढ़े तीन हजार मरीज प्रतिदिन उपचार कराने के लिए आते हैं। इसमें लगभग दो हजार मरीज मंडलीय चिकित्सालय और लगभग डेढ़ हजार गर्भवती व आम महिलाएं महिला चिकित्सालय में आती हैं जो कोई न कोई बीमारी से ग्रसित रहती हैं। जिनको वहां के चिकित्सक चेक करने के बाद शरीर में मौजूद बीमारी का पता लगाने के लिए विभिन्न जांच लिखते हैं। ताकि यह पता चल सके कि मरीज में कौन सी बीमारी हैं। गर्भवती महिलाओं को हर तीन महीने पर जांच कराना पड़ता हैं, लेकिन जब ये मरीज जांच कराने के लिए पैथालॉजी में जाते हैं तो पता चलता हैं कि जितनी जांच लिखी गई हैं उसमें से एक दो ही हो पाएगी अन्य यहां पर नहीं होगी। इसके लिए उनको निजी पैथालॉजी में जाकर जांच कराना होगा। ऐसे में मरीज अधिक पैसा खर्च होने की डर से एक दो जांच कराकर ही अपना इलाज शुरू करा देता हैं। जिससे उसकी बीमारी का पता नहीं चल पाता हैं और कभी कभी इसी कमी के चलते उसकी मौत हो जाती हैं। दोनों स्थानों पर 200 जांच होती हैं
मंडलीय और महिला चिकित्सालय में लगभग 200 जांचें होती हैं। इसमें प्रमुख रूप से थाईराईड, सीबीसी, गुर्दा, मलेरिया, हीमोग्लोबिन, पीलिया, टाइफाइड समेत अन्य जांच शामिल है। वर्तमान में मात्र हीमोग्लोबिन के साथ कुछ ही जांच हो रही है न थाईराइड, सीबीसी, गुर्दा समेत अन्य जरुरी रोगों की जांच नहीं हो रही है। पूछने पर कर्मचारियों द्वारा बताया जा रहा हैं मशीन दो महीने से खराब हैं, अभी बनी नहीं है जिससे जांच नहीं हो रहा है। क्या होता हैं खेल
सरकारी अस्पताल के पैथालॉजी, अल्ट्रासाउंड व एक्सरे में बड़ा खेल चलता हैं। अस्पताल तो सरकारी हैं लेकिन उसे संचालन निजी पैथालॉजी के लोग कराते हैं। क्योंकि यहीं लोग अपने फायदे के लिए जांच में गोलमाल कराने का काम करते हैं। जिससे मरीज उनके यहां आए और वे उनसे मोटी रकम वसूल सके। वर्जन
जांच की कुछ मशीनें खराब हैं, जिसको बनाने के लिए कंपनी को पत्र लिखा गया है। अभी तक इंजीनियर नहीं आया हैं जिससे मशीन नहीं बन पाई हैं। जल्द ही मशीन बनवाकर जांच शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा हैं।
--एके सिन्हा प्रभारी प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक मंडलीय चिकित्सालय