अवैध खनन में 14 पर एफआइआर, राजस्व क्षति का आकलन नहीं
जिलाधिकारी द्वारा अवैध खनन मामले में मड़िहान थाने पर 14 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई है लेकिन विभाग का मानना है कि कहीं अवैध खनन हो ही नहीं रहा। यदि विभाग की मानें तो यह सवाल उठता है कि फिर डीएम द्वारा क्यों एफआइआर दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं अवैध कितने क्षेत्रफल में हुआ, कितने घनमीटर खनन हुआ और इससे कितने करोड़ की राजस्व हानि हुई, इसका जिक्र भी एफआइआर में नहीं है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जिलाधिकारी द्वारा अवैध खनन मामले में मड़िहान थाने पर 14 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई है लेकिन विभाग का मानना है कि कहीं अवैध खनन हो ही नहीं रहा। यदि विभाग की मानें तो यह सवाल उठता है कि फिर डीएम द्वारा क्यों एफआइआर दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, अवैध कितने क्षेत्रफल में हुआ, कितने घनमीटर खनन हुआ और इससे कितने करोड़ की राजस्व हानि हुई, इसका जिक्र भी एफआइआर में नहीं है।
जिले के चुनार कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत लहौरा व रामपुर सक्तेशगढ़ क्षेत्र में भारी मात्रा में अवैध खनन चल रहा है। यहां क्रशर प्लांट भी धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। हालांकि इस क्षेत्र के एक सत्ताधारी के प्रभाव के कारण कभी भी विभाग द्वारा छापेमारी की हिमाकत नहीं की जाती। इस क्षेत्र में खनन का एक बहुत बड़ा हब है जहां पर 120 से 130 फीट की गहराई तक की खदानें देखी जा सकती हैं। जहां पर खनन माफियाओं ने लीज के अंदर तो मानक की धज्जियां उड़ाई ही हैं, साथ ही अगल-बगल के स्थानों को भी नहीं छोड़ा गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह स्थान बिल्कुल जंगल के किनारे है जिसके कारण यहां पर सुगमता से अवैध खनन का गोरखधंधा मड़िहान जंगल के रास्ते बड़ी आसानी से फल-फूल रहा है। जबकि जंगल के रास्ते परिवहन करने पर सरकार को टैक्स देने का प्रावधान है। इतना ही नहीं, अवैध खनन का इतना बड़ा खेल चल रहा है कि बाणसागर नहर के किनारे किसी भी पत्थर को छोड़ा नहीं गया है। बाणसागर से निकाले गए पत्थरों को तोड़कर उनका आसानी से परिवहन बिना परमिट के ही किया जा रहा है। हालांकि बाणसागर के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह काम किसी और का नहीं बल्कि सत्ता में रहने वाले लोगों का ही है। इसकी वजह से ही बाणसागर के पत्थरों की कभी नीलामी नहीं हो पाती।