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ट्रांसपोर्ट जगत को भारी नुकसान, 1000 ट्रकें सरेंडर

जागरण संवाददाता मीरजापुर आरबीआई के निर्देशों का पालन बैंकों द्वारा नहीं करने के का

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 05:21 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 05:21 PM (IST)
ट्रांसपोर्ट जगत को भारी नुकसान, 1000 ट्रकें सरेंडर
ट्रांसपोर्ट जगत को भारी नुकसान, 1000 ट्रकें सरेंडर

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : आरबीआई के निर्देशों का पालन बैंकों द्वारा नहीं करने के कारण जनपद का ट्रांसपोर्ट जगत तबाह होने के कगार पर पहुंच गया है। पिछले पांच माह से किश्त जमा न कर पाने के कारण बैंकों द्वारा वाहन मालिकों की संपत्ति कुर्क करने या उनका वाहन खींचने का फरमान जारी करने पर मालिकों ने लगभग एक हजार ट्रकों को सरेंडर कर दिया है। यही नहीं कई वाहन मालिक ट्रकों का किश्त बकाया होने के चलते उनके खींचने के डर से अपने घरों पर खड़ा कर दिया है।

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जिले के पुराने वाहन मालिकों के अलावा लगभग दो सौ लोगों ने अपने खेत बेचकर या अन्य किसी जुगाड़ से पिछले साल लगभग दो हजार बड़े वाहनों को खरीदा था जिससे ट्रांसपोर्ट जगह में वे अपना व्यापार कर सके। इसमें जनपद के विनोद, राकेश, रामसिंह, हरीश कुमार, सहित आदि लोग शामिल हैं। सबकुछ ठीक भी चल रहा था। व्यापार अच्छे से आगे बढ़ रहा था। धीरे-धीरे वे प्रगति भी कर रहे थे। इसी बीच कोरोना बीमारी आ गई। लाकडाउन कर दिया गया और सारे कार्य ठप कर दिए गए। वाहनों का संचालन भी रोक दिया गया। इससे पूरा व्यापार चौपट हो गया। वाहनों का संचालन ठप होने से किश्त टूट गई जिससे उनपर ब्याज बढ़ता गया। मजबूरन वाहन मालिकों ने अपने वाहन सरेंडर कर दिए।

लॉकडाउन में ठप नहीं हुई किश्त

लॉकडाउन में सबकुछ ठप हो गया लेकिन बैंकों की किश्त ठप नहीं हुई। हां कुछ दिन ब्रेक जरुर हुई लेकिन जब लौटी तो अधिक ब्याज के साथ। इसके चलते वाहन मालिकों सहित अन्य लोन लेने वालों पर किश्त का बोझ अचानक बढ़ गया। इसके नीचे दबकर वे आज तक उभर नहीं पाए हैं।

ट्रांसपोर्ट जगत का बड़ा हब है मीरजापुर

मीरजापुर ट्रांसपोर्ट जगत का एक बड़ा हब है। यहां पर लगभग दस हजार से अधिक बड़े वाहन हैं, जो खनन, बालू व सीमेंट के व्यापार से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा देश के महाराष्ट, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, नेपाल, पंजाब, हरियाणा, पंश्चिम बंगाल, बिहार आदि स्थानों के व्यापार से भी जुड़े हुए हैं। यहां के अधिकांश लोग ट्रांसपोर्ट का धंधा करते हैं। इसी से उनकी रोजी-रोटी चलती है।

मोटोरियम का बैंकों ने नहीं दिया लाभ

वाहन मालिकों ने एचडीबी, टोला मंडलम आदि बैंकों से अपने वाहनों को फाइनेंस कराया था। 30 से 40 लाख रुपये में आने वाले बड़े वाहनों के 30 प्रतिशत तक धनराशि जमा कर शेष राशि को फाइनेंस करा दिया था जिसकी किश्त 50 से 80 हजार रुपये आ रही थी। लाकडाउन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर ने मोटोरियम का लाभ लोन लेने वाले लोगों को देने को कहा था। बैंकों को निर्देशित किया था कि कोई भी बैंक छह महीने तक किसी से किश्त नहीं वसूलेगा। साथ ही चक्रवृद्धि ब्याज भी नहीं लेगा। कुछ बैंकों ने इसका पालन किया जबकि अधिकांश बैंकों ने इसको अनसुना कर पूरे ब्याज सहित किश्त वसूला।

भटौली व चुनार पुल पर वाहनों के रोक से हो रहा नुकसान

जनपद के शास्त्री, भटौली व चुनार पुल से बडे़ वाहनों के आवागमन पर रोक लगाए जाने से ट्रांसपोर्ट जगत को बड़ा नुकसान पहुंचा है। अगर इन पुलों से वाहनों का आवागमन चालू कर दिया जाए तो यह फिर से फलने-फूलने लगेंगे। इसके लिए चुनार और भटौली पुल पर जाने के लिए सड़कों का एक से दो मीटर चौड़ीकरण करना पड़ेगा जिससे बड़े वाहन आराम से आ जा सके।

- वर्जन

जनपद के ट्रांसपोर्ट जगत को बड़ा नुकसान हुआ है। वाहन मालिक लगभग एक हजार वाहन किश्त जमा न कर पाने के कारण सरेंडर कर चुके हैं। जबकि पांच सौ वाहन अपने-अपने घरों पर खड़ा किए हुए हैं। लाकडाउन में उनको बड़ा नुकसान हुआ है। इसमें उनकी संपत्ति तक बिक गई है।

- राजू चौबे, अध्यक्ष, विध्य ट्रकर एसोसिएशन, मीरजापुर


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