जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव : हार की गाज, शामली और मुजफ्फरनगर में हटाए गए रालोद के जिलाध्यक्ष, इन्हें मिली जिम्मेदारी
शामली में जिला पंचायत चुनाव के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। रालोद के जिलाध्यक्ष योगेंद्र चेयरमैन को पार्टी हाईकमान ने जिलाअध्यक्ष पद से हटा दिया है। अब मुकेश सैनी पार्टी के नए जिलाध्यक्ष होंगे। यहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
शामली,जागरण संवाददाता। शामली में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में हार की गाज रालोद के जिलाध्यक्ष योगेंद्र चेयरमैन पर गिरी है। पार्टी हाईकमान ने उन्हें जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया है। अब मुकेश सैनी पार्टी के नए जिलाध्यक्ष होंगे। बता दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा और विपक्ष (सपा+रालोद)के बीच सीधा और कांटे का मुकाबला हुआ था। इसमें भाजपा को 10 और रालोद को 9 वोट मिले थे। शामली में रालोद खेमे में सरगर्मी बढ़ गई है। वहीं दूसरी ओर जिला पंचायत चुनाव में करारी हार के बाद मुजफ्फरनगर में भी रालोद जिलाध्यक्ष अजीत राठी पर गिरी गाज। पंचायत चुनाव से पहले पार्टी में शामिल हुए प्रभात तोमर को बनाया जिला अध्यक्ष।
पहले से ही थीं चचाएं
शनिवार को हुए मतदान के दौरान से ही रालोद में चर्चाओं का बाजार गर्म था। एक वोट से हार के बाद हाईकमान ने इस मामले को गंभीरता से लिया था। इसी के दौरान बदलाव की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ लिया था और रविवार को ही रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने शामली जिलाध्यक्ष योगेंद्र चेयरमैन को बदल दिया। अब मुकेश सैनी को जिम्मेदारी दी गयी है। हालांकि पार्टी के पदाधिकारियों ने इसे रूटीन बदलाव करार दिया है।
सरकार-प्रशासन के गठजोड़ ने हराया प्रत्याशी
शामली में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर विपक्ष ने भाजपा व प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. सुधीर पंवार ने कहा कि सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी को भाजपा ने नहीं बल्कि सरकार एवं प्रशासन के गठजोड़ ने हराया है। समाजवादी पार्टी एवं राष्ट्रीय लोकदल के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी एवं राज्य निर्वाचन आयोग को पहले ही लिखित में दे दिया था कि जिला पंचायत सदस्यों को पात्रता न होने पर भी उनके वोट लेने के लिए सहायक दिए जा रहे हैं। उनकी यह आशंका आज सच साबित हुई। लोकतंत्र के साथ भाजपा का यह खिलवाड़ जनता याद रखेगी और विधानसभा सभा चुनावों में उसका जवाब देगी। वहीं पूर्व जिपं सदस्य अनिल टीनू व शेर सिंह राणा ने भी आरोप लगाया कि रालोद-सपा की संयुक्त प्रत्याशी अंजलि ने डीएम को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की थी।
गलत तथ्यों पर शपथ पत्र
प्रशासन ने भरोसा दिलाया था कि न्याय किया जाएगा, लेकिन बेवजह नियम विरूद्ध सहायक दिए गए। भाजपा सत्ता पक्ष की ओर से आठ जिला पंचायत सदस्यों के सहायक बनवाना सरासर गलत था। ये साक्षर और पूरी तरह से स्वस्थ हैं, लेकिन फिर भी आवेदन किया गया है। यह नियम विरूद्ध व गलत है। इन्होंने गलत तथ्यों के आधार पर शपथ पत्र बनवाए हैं। इनका ब्लड रिलेशन भी आपस में मेल नहीं खाता है। वहीं अन्य जनपदों के व्यक्तियों को सहायक के लिए आवेदन कराया गया है। जबकि, एक्ट में यह स्पष्ट है कि सहायक या साथी उन्हें ही मिल सकते है, जो पूर्ण रूप से निरक्षर, दृष्टिबाधित या अन्य अशक्त सदस्य के साथ सहायक के रूप में जाने के लिए उनके माता-पिता, पुत्री, भाई-बहन या पति-पत्नी में से किसी एक व्यक्ति को अनुमति मिल सकती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो सूची 19 सदस्यों की चस्पा है, उसमें केवल एक ही सदस्य निरक्षर है। उसे ही सहायक मिल सकता है।