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Young Achievers: ओलंपिक कोटा में 26 सेकंड की बाधा दूर करने में जुटी हैं मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी

Young Achievers मेरठ की एथलीट पारुल चौधरी 3000 मीटर स्टेपल चेज और 5000 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग करती हैं। 3000 मीटर स्टेपल चेज में ओलंपिक क्वालीफाइंग टाइम 93000 मिनट का है। वही पारुल क बेस्ट टाइम 95600 मिनट है।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 09:00 AM (IST)
Young Achievers: ओलंपिक कोटा में 26 सेकंड की बाधा दूर करने में जुटी हैं मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी
एथलीट पारुल पूरे लॉकडाउन अपनी रफ्तार को बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में जुटी रही हैं।

मेरठ, [अमित तिवारी]। Young Achievers मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी इस बार ओलंपिक कोटा पाने के लिए क्वालीफाइंग मार्क को छूना चाहती हैं। ओलंपिक कोटा को हासिल करने के लिए निर्धारित समय से महज 26 सेकंड दूर पारुल पूरे लॉकडाउन अपनी रफ्तार को बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में जुटी रही हैं। पारुल चौधरी 3000 मीटर स्टेपल चेज और 5000 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग करती हैं।

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3000 मीटर स्टेपल चेज में ओलंपिक क्वालीफाइंग टाइम 9:30:00 मिनट का है। वही पारुल क बेस्ट टाइम 9:56:00 मिनट है। इसी तरह 5000 मीटर की दौड़ में ओलंपिक क्वालीफाई टाइम 15:10:00 मिनट है, जबकि पारुल चौधरी यहां भी महज 26 मिनट सेकंड ही पीछे हैं। पारुल का बेस्ट समय 15:36:03 मिनट है। वह लगातार अपनी रफ्तार पढ़ाते हुए 26 मिनट के गैप को पूरा कर आगे बढ़ने का परिश्रम कर रही हैं।

पूरे लोग डाउन नहीं किया आराम, दौड़ती रही पारुल

वर्ल्ड रेलवे गेम्स में 3000 मीटर और 800 मीटर में स्वर्ण पदक जीत चुकी मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलिट पारुल लॉकडाउन के दौरान ऊंटी के कुन्नूर में थी। ओलंपिक क्वालीफाई करने के लिए भारतीय खिलाड़ियों की टीम वहां कैंप में शामिल होने गई थी, लेकिन कैंप शुरू होने से पहले ही लॉकडाउन होने के कारण कैंप शुरू नहीं हो पाया था। यह कैंप अनलॉक होने पर शुरू हुआ लेकिन लॉकडाउन के दौरान भी पारुल ने अन्य खिलाड़ी साथियों के साथ हॉस्टल कक्ष में ही सुबह और शाम करीब दो-दो घंटे स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दर्जनों स्वर्ण पदक और अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत व कांस्य पदक जीत चुकी पारुल की निगाहें ओलंपिक कोटे पर ही टिकी हुई है। वह हर दिन सुबह दो घंटे फिजिकल ट्रेनिंग कर रही थी और शाम को स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करती थी।

पारुल ने फर्राटा भर दर्ज की स्वर्णिम उपलब्धियां

पारुल चौधरी ने अगस्त 2019 में ओलंपियन सुधा सिंह को 3000 मीटर स्टीफल चैस में हराकर अपने नाम स्वर्ण पदक किया था। पारुल की उपलब्धियों में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पदकों की भरमार है, जो ने रफ्तार में उन्हें अलग पहचान दिलाती हैं। वर्ष 2019 में पारुल ने 23वें एशियन चैंपियनशिप दोहा में 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था। यह दौड़ पारुल ने रिकॉर्ड 15:36:03 मिनट में पूरी की थी। इसके बाद नेपाल में हुए सैफ गेम्स में भी 5000 मीटर की दौड़ पारुल ने 16:57:49 मिनट में पूरी कर रजत पदक जीता था। भारतीय रेलवे में कार्यरत पारुल ने यूरोप में हुए वर्ल्ड रेलवे एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3000 मीटर और 800 मीटर में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।

इनके अलावा पिछले साल प्रदेश व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी पारुल का दमदार प्रदर्शन रहा। सीनियर फेडरेशन कप पटियाला में 3000 मीटर की स्टेपल चेस और 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक, सीनियर इंटर स्टेट लखनऊ में भी 3000 मीटर रेस में स्वर्ण व 5000 मीटर दौड़ में भी स्वर्ण पदक जीता था। सीनियर ओपन नेशनल रांची में पारुल ने 3000 मीटर स्टेपल चेस और 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर मेरठ नाम ऊंचा रखा। अब पारुल को एथलेटिक्स की अगली प्रतियोगिता का इंतज़ार है जिसमें उन्हें ओलिंपिक कोटा भी हासिल करना है।


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