Yoga In Meerut: योग और सूक्ष्म आसन के नियमित अभ्यास से वैरिकोज विंस में पाएं आराम
वाल्व रक्त को केवल ऊपर की ओर जाने देते हैं। जब वाल्व दुर्बल हो जाते हैं तो रक्त अच्छे से ऊपर नहीं चढ़ पाता है और कभी-कभी नीचे की ओर बहने लगता है। ऐसी दशा में शिराएं फूल जाती हैं और लंबाई बढऩे से टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है।
मेरठ,जेएनएन। मेरठ में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित योग शिविर में शुक्रवार को अपस्फीत शिरा रोग यानी वैरिकोज वेंस के बारे में जानकारी दी गई और इसके निवारण के लिए योगाभ्यास कराया गया। योग होने पर इसकी पहचान के लिए लक्षण आदि के बारे में लोगों को बताया गया। योग गुरु पंकज योगी ने बताया कि शिरा ऊतकों से रक्त को हृदय की ओर ले जाती है। शिराओं को गुरुत्वाकर्षण के विपरीत रक्त को टांगों से हृदय में ले जाना पड़ता है। ऊपर की ओर के इस प्रवाह की सहायता के लिए शिराओं के भीतर वाल्व होते हैं।
दुर्बल हो जाते हैं वाल्व
वाल्व रक्त को केवल ऊपर की ओर जाने देते हैं। जब वाल्व दुर्बल हो जाते हैं तो रक्त अच्छे से ऊपर नहीं चढ़ पाता है और कभी-कभी नीचे की ओर बहने लगता है। ऐसी दशा में शिराएं फूल जाती हैं और लंबाई बढऩे से टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। यह स्थिति वैरिकोज विंस कहलाती है। उन्होंने बताया कि इससे पीडि़त व्यक्ति की नसें नीली या गहरी बैंगनी, पैरों में भारीपन, मांसपेशियों में ऐंठन पैरों के निचले हिस्से में सूजन और रस्सियों की तरह दिखने वाली सूजी हुई नसें आदि।
ये आसन कराए गए
इसके बाद योग शिक्षक बब्लू ठाकुर ने वैरिकोज विंस को ठीक करने के लिए सबसे पहले कुछ सूक्ष्म आसनों जैसे पादांगुली, नमनासन, पाद पृष्ठ, गुल्फ शक्ति वर्धक कराईं। विकास क्रियाओं में सुप्त जानु संचालन क्रिया, उत्तान जानु संचालन आदि के बारे में बताया। इस समस्या को दूर करने के लिए पाद वृत्तासन, अर्ध हलासन, विपरित करणी मुद्रा, हलासन, सर्वागासन, नौकासन व प्राणायामों में भस्त्रिका, कपाल भाति, अनुलोम-विलोम आदि का अभ्यास कराया। रोज पैरों को थोड़ा ऊपर तकिए पर रखकर दस-पंद्रह मिनट रखने की सलाह दी।
ऐसे आ जाता है अवसाद
अवसादग्रसित व्यक्ति को कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि हताशा एवं निराशा अकारण ही मन को आच्छादित करती जा रही है, जिसमें वह लाचार व दु:खी हो रहा है। लगातार असफलता से निराशा अत्याधिक गहरी होकर अवसाद का रूप ले लेती है। योग शिक्षक कमल वर्मा ने अवसाद दूर करने के लिए लोगों को सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, त्रियक ताड़ासन, पूर्णकटि चक्रासन, मार्जरी आसन, गौमुखासन, सिंह गर्जना आदि आसन कराए।