Year Ender 2021: जानिए कोरोना की दूसरी लहर में कैसी रही मेरठ में चिकित्सा व्यवस्था
Year Ender 2021 कोविड-19 ने 2020 के बाद 2021 में भी भारी तबाही मचाई। मेरठ उत्तर प्रदेश का हाट स्पाट बना और दूसरी लहर में यहां बड़ी संख्या में मौतें हुईं। अप्रैल-जून के बीच चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई।

मेरठ, जागरण संवाददाता। कोविड-19 ने 2020 के बाद 2021 में भी भारी तबाही मचाई। मेरठ उत्तर प्रदेश का हाट स्पाट बना, और दूसरी लहर में यहां बड़ी संख्या में मौतें हुईं। अप्रैल-जून के बीच चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई। एक दिन में कोरोना संक्रमितों की संख्या दो हजार का आंकड़ा पार गई। आक्सीजन का भारी संकट खड़ा हुआ। जून से स्थिति संभली, लेकिन दिसंबर में कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का खतरा मंडराने लगा।
सालभर चिकित्सा महकमा कोरोना के साये में लड़खड़ाता-संभलता रहा। निजी डाक्टरों ने मास्क और प्लास्टिक शीट लगाकर ही मरीजों को देखा। उधर, डीएम के बालाजी और सीएमओ डा. अखिलेश मोहन सभी कोविड केंद्रों में लगातार निगरानी करते रहे।
30 कोविड अस्पतालों में भर्ती हुए सैकड़ों मरीज
मेरठ में पहली लहर में 26 मार्च 2020 को पहला मरीज मिला। इसके बाद जून और सितंबर में संक्रमण खतरनाक स्तर पर पहुंचा। नवंबर 20 से फरवरी 2021 तक राहत के बाद दूसरी लहर का विस्फोट मार्च 21 में हो गया। अप्रैल-मई के दौरान मेडिकल कालेज में 400 बेडों का कोविड वार्ड पूरी तरह भर गया। आइसीयू के 200 बेडों पर गंभीर मरीज भर्ती किए गए, वहीं 60 वेंटिलेटरों पर भी मरीज भर्ती होते रहे। उधर, सुभारती व एनसीआर मेडिकल कालेज में बड़ी संख्या में मरीज भर्ती किए गए। निजी क्षेत्र के 30 अस्पतालों में आइसीयू बेड बनाए गए। जिले में 3200 से ज्यादा कोविड बेड बनाने के साथ ही 250 वेंटिलेटर भी चालू किए गए। हालांकि इस दौरान फेफड़ों में निमोनिया से बड़ी संख्या में मरीजों की जान गई। मेडिकल कालेज में एक सप्ताह में सौ से ज्यादा मरीजों ने दम तोड़ा।
आक्सीजन संकट से आइसीयू में व्यवस्था
मार्च 2021 में कोरोना की नई लहर आने के दौरान मेडिकल कालेज में छह टन क्षमता का एक फिलिंग टैंक था। सुभारती समेत कई अन्य अस्पतालों में भी फिलिंग टैंक था। जिले में जनरेशन प्लांट नहीं थे। संक्रमण तेज होने पर अस्पताल मरीजों से भर गए, और परतापुर से लेकर बिजौली तक लगाए गए औद्योगिक आक्सीजन के प्लांटों पर गैस के लिए लंबी लाइन लगी। झारखंड और कोलकाता से ट्रेन से गैस मंगानी पड़ी। कई बार आनंद, न्यूटिमा, आर्यावर्त व केएमसी जैसे अस्पतालों ने आक्सीजन संकट को लेकर आवाज भी उठाई।
लहर थमी और 30 आक्सीजन प्लांट भी लगे
मई के अंत में लहर कमजोर पड़ने लगी, साथ ही मेडिकल कालेज समेत छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आक्सीजन प्लांट लगाए गए। 24 निजी अस्पतालों ने अपने कैंपस में जनरेशन प्लांट लगवाया। अब जिले में कुल 30 प्लांट हैं। प्रशासन का दावा है कि पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध हो गई है।
ओमिक्रोन पर 50 अस्पताल अलर्ट
ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर जिला प्रशासन ने 50 निजी अस्पतालों को संबद्ध करने की पहल की है।
82 फीसद तक पहुंचा टीकाकरण
16 जनवरी 2021 से कोरोना टीकाकरण शुरू किया गया। अब तक 25.72 लाख आबादी के सापेक्ष 21.08 लाख को यानी 83 प्रतिशत लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। वहीं, दूसरी डोज सिर्फ 59.3 प्रतिशत ने ली है। अब तक सिर्फ 4.64 लाख तक टीकाकरण नहीं पहुंचा है, जिसके लिए प्रशासन लगा है।
ब्लैक फंगस ने भी डराया
कोरोना की रफ्तार थमने के साथ ही ब्लैक फंगस के मरीज बड़ी संख्या में सामने आए।
तीन बार हुई माक ड्रिल, बच्चों का कोविड आइसीयू बना
कोरोना की लहर थमने के बावजूद जिले में इलाज की तैयारियों को परखने के लिए तीन बार माक ड्रिल की गई।
Edited By Taruna Tayal