Year Ender 2021: जहन में छाप छोड़ गया पूरे साल चला किसान आंदोलन, ऐसे बटोरी सुर्खियां
Year Ender 2021 तीनों कृषि कानूनों के विरोध में मेरठ में सड़क से लेकर जिला मुख्यालय तक कई बार गरजे किसान। भाकियू की तीन बड़ी ट्रैक्टर रैलियां मेरठ से होकर गाजीपुर बार्डर पहुंची साल के अंत में स्थगित हुआ आंदोलन। किसान अपने घरों को लौटै।

मेरठ, जागरण संवाददाता। वर्ष 2021 अब जाने की दहलीज पर बैठा है। यह वर्ष कई खट्टे मीठे अनुभवों वाला रहा। बात किसानों की करें तो साल 2021 में तीनों कृषि कानून साल भर पूरी तरह से चर्चा में बने रहे। इस कानून के लिए किसानों का संघर्ष को हमेशा ही याद रखा जाएगा। साल के आखिर आते-आते एक तरफ जहां सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का निर्णय लिया। तो वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी पर मजबूती से मांग भी रखी। तीनों कृषि कानून वापस होने के बाद अब किसानों को एमएसपी पर कानून के आने से एक नई उम्मीद की प्रतीक्षा है। लेकिन कुछ भी हो किसान पूरे साल कृषि कानून को वापस लेने की अपनी मांग पर डटे रहे।
राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान आंदोलन
26 नवंबर 2020 को तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आंदोलन शुरू हुआ। भाकियू ने गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत के नेतृत्व में कमान संभाली। 2021 में साल भर मेरठ से प्रतिदिन कोई न कोई भागीदारी गाजीपुर बार्डर पर लगातार बनी रही। मेरठ के भाकियू कार्यकर्ता राशन सामग्री आदि लेकर प्रतिदिन गाजीपुर बार्डर पहुंचकर प्रतिभाग करते थे।
भारतीय किसान यूनियन ने तीन बड़ी ट्रैक्टर रैलियां निकालकर सरकार को किसानों की ताकत का अहसास कराया। यह तीनों रैलियां मेरठ के बीच से होकर गुजरी। कृषि कानूनों के विरोध में ही मेरठ समेत कई जिलों में भाकियू समेत कई किसान संगठनों ने मुख्य राजमार्गों पर कई बार चक्का जाम किया। साल भर भाकियू समेत कई किसान संगठन कृषि कानूनों को लेकर सरकार व प्रशासन के आमने-सामने रहे। कृषि कानूनों के विरोध में फरवरी और अक्टूबर माह में रेलवे स्टेशनों पर भी चक्का जाम हुआ।
आंदोलन से सिवाया टोल भी रहा चर्चाओं में
एक तरफ जहां दिल्ली की सीमाओं पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने डेरा डाला था। वहीं, मेरठ में सिवाया टोल पर 26 मई 2021 को भारतीय किसान यूनियन ने दो लेन घेरते हुए धरना प्रदर्शन शुरू किया। आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत कई बार मेरठ सिवाया टोल पहुंचे और धरने पर किसानों को संबोधित किया। गाजीपुर बार्डर से घर वापस लौटते वक्त राकेश टिकैत ने ही दिसंबर में सिवाया टोल पर धरना समाप्ति की घोषणा की।
खूब गरजा भाकियू का रणसिंघा, राकेश टिकैत का बढ़ा कद
सियासी उथल-पुथल के बीच भाकियू ने समय-समय पर अपनी ताकत दिखाई। खासकर तीनों कृषि कानून के विरोध में भाकियू पूरे साल दिल्ली से लेकर मुजफ्फरनगर तक डटी रही। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने पूरे साल दिल्ली बॉर्डर पर धरने की कमान संभाली। वह तीनों कृषि कानून की वापसी के बाद ही सिसौली लौटे। इसी बीच उन्हें उठाने का प्रयास भी किया गया। तब रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह का साथ मिला और जयंत चौधरी अगले दिन राजकीय इंटर कालेज में हुई भाकयू की सभा में शामिल हुए। जिसमें भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने भाजपा को समर्थन और वोट देने पर अफसोस जताया।
जयंत चौधरी ने भी खूब राजनीतिक रोटियां सेकी। इसके बाद आंदोलन परवान चढ़ा। साल के मध्य में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भाकियू ने राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में बड़ी सभा की, जिसमें तीनों कृषि कानूनों का विरोध किया गया। इसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, यूपी और दिल्ली के किसान शामिल हुए। यह किसान महापंचायत ऐतिहासिक रही। इतनी भीड़ इससे पूर्व कभी इस मैदान में नहीं रही।
Edited By Prem Dutt Bhatt