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Year Ender 2021: कोरोना ने शिक्षण ही नहीं परीक्षा का तरीका भी बदल दिया, वर्ष 2021 में हुए ये बदलाव

Year Ender 2021 साल 2020 कोविड से अत्यधिक प्रभावित रहने के बाद 2021 की शिक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव देखने को मिला। कोविड जैसी आपदा शिक्षा के क्षेत्र में कई नए अवसर भी लेकर आई। पढ़ने और पढ़ाने का केवल तरीका ही नहीं बदला परीक्षा का भी तरीका बदल गया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 29 Dec 2021 02:44 PM (IST)Updated: Wed, 29 Dec 2021 02:44 PM (IST)
Year Ender 2021: कोरोना ने शिक्षण ही नहीं परीक्षा का तरीका भी बदल दिया, वर्ष 2021 में हुए ये बदलाव
साल 2020 कोविड से प्रभावित रहने के बाद 2021 की शिक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव देखने को मिला।

मेरठ, जागरण संवाददाता। साल 2020 कोविड से अत्यधिक प्रभावित रहने के बाद 2021 की शिक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव देखने को मिला। कोविड जैसी आपदा शिक्षा के क्षेत्र में कई नए अवसर भी लेकर आई।

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पढ़ने और पढ़ाने का केवल तरीका ही नहीं बदला, परीक्षा का भी तरीका बदल गया। इस बदलाव का असर उच्च शिक्षा से लेकर माध्यमिक और प्राइमरी शिक्षा तक दिखा। संसाधन विहीन प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को भी आनलाइन शिक्षण से जोड़ने की कवायद हुई। माध्यमिक शिक्षा में यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आइसीएसई शिक्षा आनलाइन और आफलाइन को मिलाकर आगे बढ़ी। परीक्षाएं भी आनलाइन हुई तो आनलाइन मूल्यांकन में भी व्यवस्था की परख हुई। वर्ष 2020-21 की बोर्ड व विवि की वार्षिक परीक्षाओं में परीक्षार्थी बिना परीक्षा उत्तीर्ण हुए तो सत्र 2021-22 में स्कूली शिक्षा में दो सेमेस्टर बोर्ड परीक्षा की व्यवस्था भी हुई। उच्च शिक्षा में सबसे बड़ा बदलाव मेरठ में दिखा। प्रदेश में सबसे पहले चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने स्नातक में नई शिक्षा नीति को सत्र 2021-22 से ही लागू कर दिया। जिसमें सेमेस्टर आधारित पढ़ाई शुरू हुई। इस बदलाव के बीच पढ़ाई केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं रही, कालेजों की अधूरी पढ़ाई घरों से भी पूरी होती रही।

सीसीएसयू कैंपस में शुरू हुई स्नातक की पढ़ाई

2021 मेंकैंपस में सबसे बड़ा बदलाव स्नातक स्तर पर बीए, बीएससी की पढ़ाई से हुई। एक साल पहले जिन विभागों में एमफिल के पाठ्यक्रम को बंद किया गया था। उन सभी विषयों में नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक के पाठ्यक्रम शुरू किए गए। हालांकि इसके लिए अलग से कोई आधारभूत संरचना नहीं तैयार किया गया। इसकी वजह से छात्र अपनी कक्षा पूरी करने के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग में दौड़ लगाते रहे।

एक साथ दो विश्वविद्यालयों की दीक्षा

साल के अंत में चौधरी चरण सिंह विवि और कृषि विश्वविद्यालय में एक साथ 22 दिसंबर को दीक्षा समारोह हुआ। पहले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर को दीक्षा की तिथि तय हुई थी लेकिन राज्यपाल के कार्यक्रमों में हुए बदलाव के कारण दीक्षा समारोह एक दिन पीछे कर दिया गया।

रैंकिंग में फिसड्डी हुए विश्वविद्यालय

अखिल भारतीय स्तर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय की रैंकिंग आगे नहीं बढ़ी। सबसे अधिक गिरावट एक साल में कृषि विश्वविद्यालय की रही। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रैंकिंग में 17 नंबर से नीचे आकर 35 पर पहुंच गया। वहीं, दूसरी ओर चौधरी चरण सिंह विवि तो नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में प्रतिभाग तक नहीं कर पाया।

सीसीएसयू से बाहर हुए 264 कालेज

नवंबर 2021 में सहारनपुर राज्य विश्वविद्यालय के शिलान्यास के साथ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से तीन जिलों के कालेज अलग हो गए। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के 264 कालेजों को सहारनपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिया गया। इससे आने वाले समय में सीसीएसयू पर आर्थिक बोझ भी बढ़ सकता है।

टीवी पर घर पहुंची स्कूल की क्लास

बेसिक व माध्यमिक शिक्षा में संसाधन विहीन स्कूलों, छात्रों व अभिभावकों को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से टेलीविजन पर कक्षावार क्लास का प्रसारण किया गया। इस बाबत हर सप्ताह टाइम टेबल जारी हुआ जिसमें हर दिन हर विषय की कक्षाओं के लिए शिक्षकों के पढ़ाने का वीडियो बिंदु वार प्रसारित हुआ। ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चों को इसका लाभ मिला और पूरी तरह बंद पढ़ाई कुछ हद तक आगे बढ़ी। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने स्कूल के आस-पास के क्षेत्र के बच्चों के घर तक भी पहुंचने की कोशिश की और उन्हें सप्ताह में एक दिन पठन-पाठन की सामग्री मुहैया कराई गई। कोविड में कारोबार ठप रहने, रोजगार की हालत खराब होने, स्कूल में क्लास न चलने, आनलाइन में पढ़ाई ठीक से न होने को लेकर स्कूलों और अभिभावकों में फीस को लेकर खींचतान बनी रही। इस साल जुलाई में स्कूल खुलने शुरू होने पर भी अभिभावकों में पढ़ाई और कोविड से सुरक्षा के प्रति विश्वास देर से जागा।

दो बोर्ड परीक्षा, दो से अधिक प्री-बोर्ड परीक्षा

सीबीएसई और आइसीएसई की ओर से इस सत्र को दो सेमेस्टर में विभाजित किया गया। टर्म वन यानी पहली बोर्ड परीक्षा हो चुकी है और दूसरी मार्च-अप्रैल में होगी। टर्म-वन एमसीक्यू आधारित पर हुई। इसमें पढऩे, पढऩे, परीक्षा और मूल्यांकन सब कुछ बदल गया। परीक्षार्थी नए अनुभव के साथ आगे बढ़े। दो बोर्ड परीक्षा के लिए स्कूलों ने दो से अधिक प्री-बोर्ड परीक्षाएं कराईं जिससे परीक्षार्थी नई व्यवस्था से रूबरू हो सकें।


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