Year Ender 2020: कोरोना काल में मेरठ मेडिकल कालेज ने कराई फजीहत, कभी बंदर सैंपल लेे भागे तो कभी बदल दिए गए शव
कभी बंदर कोरोना मरीज के ब्लड सैंपल लेकर पेड़ पर चढ़ गया तो कभी कोरोना मरीज के शव ही बदल दिए गए। वहीं कोविड वार्ड में गंदगी व इलाज में लापरवाही ने कई मरीजों की जान ले ली। ऐसे मामले मेरठ मेडिकल की लापरवाही को बयां कर रही है...
मेरठ, जेएनएन। वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान मेरठ मेडिकल कॉलेज यानी लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज की लापरवाही का नजारा कई बार सामने आया। जिसे लेकर पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा रहा। एक तरफ कोरोना वायरस ने शहर में तबाही मचा रखी थी और उपर से मेडिकल कॉलेज की लापरवाही ने शहर और प्रदेश की चिंता बढ़ा दी। इसका अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि जब भी छोटा से छोटा विवाद होता, अधिकारी लखनऊ से निरीक्षण करने को आ जाते। कई बार यहां के नोडल अधिकारी बदले गए। लेकिन मेडिकल की लापरवाही का सिलसिला जारी रहा। कभी बंदर कोरोना मरीज के ब्लड सैंपल लेकर भागने लगे तो कभी कोरोना मरीज के शव ही बदल दिए गए। वहीं कोविड वार्ड में गंदगी व इलाज में लापरवाही ने कई मरीजों की जान ले ली। आइए विस्तार से जानते हैं इन चर्चित मामलों की बारे में...
जब अव्यवस्था का हुआ था वीडियो वायरल
मेरठ मेडिकल कॉलेज की लापरवाही का पहला मामला जिसमें मरीजों की अव्यवस्था का वीडियो वायरल हो गया। घटना मई 2020 के दूसरे हफ्ते की है, जहां अव्यवस्था का आलम साफ तौर पर दिखा। मेडिकल कॉलेज में कोरोना के मरीजों को देखने के लिए डाक्टर नहीं पहुंच रहे थे। तस्वीरें देखने से लगता है कि सफाई महीनों से नहीं हुई थी। खाने के प्लेट ऐसे बिखरे पड़े थे जैसे कोविड वार्ड को कचरा वार्ड घोषित किया गया हो। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के पोस्ट होते ही खलबली मच गई थी। पूरे प्रदेश में इसकी चर्चा होने लगी। विधायक सोमेंद्र तोमर ने स्वास्थ्य मंत्री सुरेश खन्ना को जानकारी दी तो उन्होंने तत्काल जांच के लिए लखनऊ से विशेष टीम रवाना कर दी। टीम शाम को मेरठ पहुंच गई। मामला गंभीर होता देख तत्कालीन डीएम अनील ढींगरा ने सीएमओ और मंडलीय सर्विलांस अधिकारी की संयुक्त टीम गठित कर दी थी।
इलाज में हुई थी लापरवाही
अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि मेडिकल कॉलेज की अव्यवस्थता का दूसरा वीडियो सोशल मीडिया पा तेजी से वायरल होने लगा। वीडियो में मरीजों के आसपास के लोग चिल्लाते हुए नजर आ रहे थे। कोई खांस रहा था तो कोई तेज बुखार से कहार रहा था। इसके इतर डाक्टर इलाज के लिए नदारद थे। इसी बीच टीपीनगर के मरीज की मौत हो गयी। इस पर वार्ड में हंगामा हो गया। मरीजों ने सुबह का नाश्ता खाने से भी मना कर दिया। मरीजों का आरोप था कि इलाज में लापरवाही करने से मरीज की मौत हो गई। बताया कि मरीज के चिल्लाने और कहारने पर भी डाक्टर नहीं आए।
सीएम ने ली जानकारी
मेडिकल कॉलेज में मचे बवाल के बाद जब वीडियो वायरल हुआ तो इसकी गूंज सीएम तक पहुंची। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लेते हुए वीडियो कांफ्रेसिंग मीटिंग बुलाई। जिसमें उन्होंने अव्यवस्था के बारे में विस्तार से जाना और इसे सुधारने का निर्देश दिया। साथ ही कोविड की व्यवस्था आगे फिर न बिगड़े इसके लिए भी दिशानिर्देश दिए। निर्देश दिया था कि कोविड-19 पॉजिटिव रोगियों को शुद्ध, सात्विक भोजन दिया जाए। अस्पताल में साफ सफाई व्यवस्था अच्छी रखी जाए। सीनियर चिकित्सक एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नियमित रूप से स्वयं इसकी जांच करें।
बंदर कोरोना के ब्लड सैंपल ले भागा
मेरठ मेडिकल कॉलेज की घोर लापरवाही तब सामने आई जब कोरोना मरीज के ब्लड सैंपल बंदर पेड़ पर लेकर भाग गया। इस घटना ने न सिर्फ शहर बल्कि आसपास में दहशत फैला दी। लोगों के संक्रमण होने का खतरा बढ़ गया। आलम यह हो गया कि बंदर को देखकर ही लोग डर जाते। यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहा। सोशल मीडिया पर तो यह घटना महीनों तक छाई रही। यह घटना 28 मई की थी, जो सोशल मीडिया पर दो दिन बाद यानी गुरूवार को पोस्ट की गई। इस घटना के पोस्ट होते ही पूरे प्रदेश में खलबली मच गई। इसी घटना के बाद से कई अधिकारियों पर गाज गिरी।
बदल गए थे मरीजों के शव
मेडिकल कॉलेज की लापरवाही की हद तो तब हो गई जब कोरोना मरीज का शव ही बदल दिया। डाक्टरों ने सील किए गए शव को खोलने से मना किया। लेकिन स्वजनों ने मुखाग्नि देने से पहले अंतिम दर्शन के लिए सील खोल दी। जिसके बाद मामला उजागर हो गया। इस घटना से पूरे मामले में हड़कंप मच गया। शव कंकडखेड़ा निवासी युवक का था। जबकि मोदीनगर के गोविंदपुरी की हरमुखपुरी कॉलोनी निवासी 84 वर्षीय बुजुर्ग गुरुवचन का अंतिम संस्कार होना था। गुरुवचन की लगातार तबीयत बिगडऩे पर डाक्टरों की सलाह पर उनको तीन सितंबर को मेरठ मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लोगों में इस बात की आशंका होने लगी कि इससे पहले न जाने मेडिकल कॉलेज में कितने मरीजों का शव बदला होगा। इसी के बाद से कोरोना मरीजों के मौत पर केवल अस्थियां देने का प्रावधान किया गया था।