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Year Ender 2020: विदाई की वेला में भी उद्योग को चोट दे गया वर्ष 2020, कच्‍चा और तैयार माल जहां था वहीं रह गया

Impact of Lockdown on Industries लाकडाउन में कई माह तक उद्योग धंधे और बाजार बंद होने से करोड़ों का कारोबार प्रभावित हुआ है। कच्चा माल के साथ ही तैयार माल भी जहां था वहीं पर कई माह तक रुका रहा। कई आर्डर कैंसिल भी करने पड़े।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 06:41 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 06:41 AM (IST)
Year Ender 2020: विदाई की वेला में भी उद्योग को चोट दे गया वर्ष 2020, कच्‍चा और तैयार माल जहां था वहीं रह गया
लाकडाउन में कई माह तक उद्योग धंधे और बाजार बंद

मेरठ, जेएनएन। कोरोना ने उद्योग-धंधों और बाजार पर भी जबरदस्त असर डाला है। लाकडाउन में कई माह तक उद्योग धंधे और बाजार बंद होने से करोड़ों का कारोबार प्रभावित हुआ है। कच्चा माल के साथ ही तैयार माल भी जहां था वहीं पर कई माह तक रुका रहा। कई आर्डर कैंसिल भी करने पड़े। छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों को भी नुकसान पहुंचा। लाकडाउन खत्म होने के कई माह बाद तक उद्योग धंधे व बाजार पटरी पर नहीं लौट सके। अनलाक चार के बाद कामकाज शुरू हुआ, रौनक भी दिखी लेकिन अभी भी कारोबार पूरी तरह व्यवस्थित नजर नहीं आ रहा। उद्योगों के लिए यह साल दुखदाई रहा यही नहीं जाते-जाते भी झटका दे गया। कोरोना के नए स्टेन के आ जाने से विभिन्न देशों से दिसंबर में फिर निर्यात बंद हो गया। एयरपोर्ट व बंदरगाहों पर माल फंस गए। कई देशों से आर्डर रद हो गए हैं। आइए देखते हैं उद्योग-बाजार के लिए कैसा रहा यह साल।

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पांच महीने बंद रहीं फैक्ट्रियां, 20 फीसद गिरा कारोबार

21 मार्च को ही फैक्ट्रियों पर ताला लग गया था उसके बाद शर्तों की फेहरिस्त की निगरानी में जून के आखिर में दिल्ली रोड के कुछ उद्योगों को चलाने की अनुमति मिली। बागपत रोड व शहर के अंदर के अन्य उद्योगों को संचालित करने की अनुमति मिली अगस्त में। इस तरह से विधिवत रूप से उद्योग अगस्त महीने में ही चल सके। लगातार पांच महीने तक उद्योग बंद रहने से करोड़ों का कारोबार प्रभावित हुआ। बहरहाल, परतापुर स्थित खेल उत्पाद की कुछ कंपनियों को सीमित श्रमिकों के साथ सिर्फ निर्यात करने वाले उत्पादों के लिए अनुमति जून के पहले सप्ताह तक ही मिल गई थी।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन मेरठ चैप्टर के चेयरमैन अनुराग अग्रवाल ने के मुताबिक करीब 20 फीसद कारोबार गिर गया है। इसे संभलने में अभी वक्त लगेगा।

पेपर इंडस्ट्री तीन महीने चली, फिर बंदी का संकट

कोरोना ने पेपर इंडस्ट्री को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया। लाकडाउन व अनलाक के दौरान पांच महीनेे तक उद्योग बंद ही रहे। उसके बाद काम शुरू हुआ। पेपर इंडस्ट्री के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि उसका 75 फीसद कच्चा माल विदेश से आता है। अमेरिका, यूरोप व अरब देशों से ये कच्चा माल आता है। शुरुआत में कच्चा माल आने में परेशानी आई। अपने देश में सिर्फ 25 फीसद ही कच्चा माल उपलब्ध हो पाता है। इस साल लाकडाउन के बाद सिर्फ तीन महीने ही पेपर इंडस्ट्री चल सकी है। एक महीने से कच्चे माल की उपलब्धता में फिर संकट आ गया है। कोरोना की दूसरी चेन शुरू हो जाने से एक महीने से परेशानी आ रही है। यूरोप, अमेरिका से कच्चा माल नहीं आ पा रहा है। समुद्री मार्ग से परिवहन महंगा हो गया है। कई शिङ्क्षपग कंपनियों ने माल पहुंचाने का काम ही बंद कर दिया है। उसका फर्क स्थानीय स्तर के कच्चा माल पर पड़ा है। यहां का कच्चा माल महंगा हो गया है। पेपर इंडस्ट्री के जाने-पहचाने उद्यमी अरङ्क्षवद पसवाड़ा का कहना है कि कच्चा माल 90 फीसद तक महंगा हो गया है। महंगाई के साथ-साथ उपलब्धता भी कम है। स्थिति ऐसी आ गई है कि अब फिर से पेपर इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच गई हैं।

विदेश में टेबिल टेनिस बिका, देश में कैरम

लाकडाउन के दौरान खेल इंडस्ट्री भी बुरे दौर से गुजरी लेकिन उसमें टेबिल टेनिस के कारोबार को एक सुनहरा मौका भी मिला। विदेशों में घर में कैद लोगों ने टेबिल टेनिस के खूब आर्डर किए। वहीं भारत में सबसे ज्यादा मांग कैरम बोर्ड की रही। स्टेग इंटरनेशनल के एमडी राकेश कोहली के मुताबिक विदेश में टेबिल टेनिस की अच्छी मांग रही। हालांकि उत्पाद पहुंचाने में समस्या आती रही। निर्यात के उत्पाद को भेजने की अनुमति देरी से मिली।

पीपीई किट, मास्क से भी चपत लगी

कोरोना संक्रमण के समय एक अवसर आया पीपीई किट और मास्ट के व्यापार का। मेरठ में भी करीब 50 उद्यमियों ने पीपीई किट बनाने का काम शुरू किया। पहले लगा सब ठीक है, व्यापार चल निकलेगा। लेकिन उसी बीच बड़े उद्योग भी इसी व्यवसाय में उतर आए। इससे यहां के लघु उद्यमियों को आर्डर नहीं मिला। कुछ ने जो माल बेचा था वह कम गुणवत्ता बताते हुए वापस आ गया। पीपीई किट का ही व्यवसाय अरुण अरोड़ा ने शुरू किया था। उन्हें तैयार किट को बाद में किग्रा के भाव घाटा सहकर बेचना पड़ा। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के मेरठ चैप्टर के अध्यक्ष अनुराग अग्रवाल बताते हैं कि मास्क का व्यवसाय जिसने भी शुरू किया उन्हें बंद करना पड़ा। जब घर-घर मास्क बनने लगे तो उद्यमियों से मांग कम हो गई।

दिसंबर के संकट से फंस गए निर्यात वाले उत्पाद

अमेरिका व यूरोप के देशों में कोरोना का नया रूप संकट बनकर सामने आया है। इससे वहां लाकडाउन की स्थिति आ गई है। ऐसे में मेरठ से निर्यात होने वाले उत्पाद फंस गए। खेल उत्पाद के साथ ही कारपेट व हैंडीक्राफ्ट के सामानों के तमाम आर्डर रद हुए या फिर माल एयरपोर्ट पर फंस गया है।

मेरठ के ये उत्पाद जाते हैं विदेश

-खेल उत्पाद

-कारपेट

-हैंडीक्राफ्ट

-जिम उपकरण 


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