दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन हुई ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना
दिगंबर जैन समाज ने दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की उपासना की। अनंत चतुर्दशी पर लोगों ने व्रत रखा। आज भक्त व्रत का पारण करेंगे।
जेएनएन, मेरठ। दिगंबर जैन समाज ने दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की उपासना की। अनंत चतुर्दशी पर लोगों ने व्रत रखा। आज भक्त व्रत का पारण करेंगे। मुजफ्फरनगर से मुनि प्रणम्य सागर का आनलाइन संबोधन देश ही नहीं विदेश में लोग सुन रहे हैं। मुनि ने कहा कि काम ऐसा रोग है, जो व्यक्ति की वर्षों की यात्रा को शून्य पर ले आता है। उन्होंने कहा कि 10 वेगों को शांत करना ही ब्रह्मचर्य है। तीन सितंबर को क्षमा वाणी पर्व मनाया जाएगा। बताते चलें कि दिगंबर जैन समाज में दशलक्षण पर्व का आरंभ क्षमा धर्म और समापन भी क्षमावाणी से होता है। सदर जैन समाज के विनेश जैन ने बताया कि मुनि के ऑनलाइन शिविर में 12000 लोग प्रतिभाग कर रहे हैं। असौड़ा हाउस दिगंबर जैन मंदिर में स्वर्ण कलश से विनोद जैन और रजत कलश से आशीष जैन ने पाद प्रक्षालन किया। उत्तम ब्रह्मचर्य की पूजा हुई। कुसुम जैन ने कहा कि आत्मरमण, आत्मलीनता, आत्मचर्या का नाम ही ब्रह्मचर्य है। शाम को मंगल आरती हुई। म्यूजिकल तंबोला में 150 लोगों ने भाग लिया। भक्तों ने घर के आसपास पौधारोपण किया। आस्था, संवेग, सारिका, रिशु, कविता, दीप्ति, सीमा, राकेश जैन ने भाग लिया। आनंद पुरी दिगंबर जैन मंदिर में भगवान वासु पूज्य के निर्वाण दिवस पर 12 किलो लाडू का भोग लगाया गया। डाली जैन ने लाडू चढ़ाया। अरुण जैन, मनीष जैन मौजूद रहे। तीन सितंबर को क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा। विनय गुण से परिपूर्ण व्यक्ति ही विद्वान : ज्ञानमती माताजी जेएनएन, मेरठ। जंबूद्वीप स्थित आचार्य शांतिसागर प्रवचन हॉल में इंद्र ध्वज महामंडल विधान में मंगलवार को रूचकगिरि पर्वत के जिनालयों की पूजन की गई। मंडल पर चारों दिशाओं में चार अर्घ्य समर्पित किये गये। दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के बारे में श्रद्धालुओं को बताया गया। विधान के मध्य गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी ने प्रवचन में कहा कि आत्मा को सर्वशक्तिमान ब्रह्म स्वरूप कहा गया है। जो मुनिराज अपने चित्त को स्थिर करके ब्रह्म स्वरूप आत्मा में विचरण करते हैं व आत्मा का ¨चतन करते हैं वे सद्गुण रूपी संपत्ति को प्राप्त करने के लिए मुनिसंघ में रहकर सदा श्रुत का अध्ययन, मनन, ¨चतन करते रहते हैं। आत्मस्वरूप में लीन रहना ही है उत्तम ब्रह्मचर्य है। आज रत्नात्रय के द्वितीय दिवस सम्यक ज्ञान का दिवस है। जिसमें ज्ञान पर आवरण डालना ज्ञानावरण कर्म को बंद कराता है। व्यक्ति विद्वान वही है जो विनय गुण से परिपूर्ण है। इस प्रकार से रत्नात्रय धर्म का पालन करना चाहिए। दोपहर में अनंत चतुर्दशी व्रत के उपलक्ष्य में भगवान अनंतनाथ विधान संपन्न किया गया। मंगलवार को जैनधर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूच्यनाथ का निर्वाण कल्याणक महोत्सव मनाया और निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। प्रात:काल भगवान वासुपूच्य के अभिषेक से प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात भगवान का महामस्तकाभिषेक किया गया। अंत में विश्व में शांति की कामना के लिये भगवान की शांतिधारा की गई। शांतिधारा पीठाधीश रवींद्र कीíत स्वामीजी द्वारा मंत्रोच्चार के साथ कराई गई। सांयकाल में मंडल विधान, भगवंतों व माताजी की आरती की गई।