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World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस से बचने के लिए अपनाएं ये तरीकें, जानें डाक्‍टर की सलाह

हेपेटाइटिस के अधिकांश मामले अचानक रक्त की जांच कराने या किसी अन्य समस्या की जांच कराने पर सामने आते हैं। हेपेटाइटिस-बी व सी खासतौर पर साइलेंट किलर की तरह लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। आइए जानते हैं इससे बचने के तरीके।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 01:41 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 01:41 PM (IST)
World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस से बचने के लिए अपनाएं ये तरीकें, जानें डाक्‍टर की सलाह
हेपेटाइटिस से बचने के लिए ये तरीकें अपनाएं।

जागरण संवाददाता, मेरठ। हेपेटाइटिस के अधिकांश मामले अचानक रक्त की जांच कराने या किसी अन्य समस्या की जांच कराने पर सामने आते हैं। हेपेटाइटिस-बी व सी खासतौर पर साइलेंट किलर की तरह लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। कई बार इससे बीमार मरीज की हालत बिगड़ने पर ही इनका पता चलता है। मेडिकल कालेज की हेपेटाइटिस ओपीडी में मेरठ के आसपास के कुछ इलाकों से आने वाले मरीजों में हेपेटाइटिस-बी व सी के सामान्य से कुछ अधिक मामले हैं। ऐसे में इसे लेकर सतर्कता बरतनी जरूरी है।

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हेपेटाइटिस बीमारी की अनभिज्ञता खत्म करने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. अरविंद कुमार का कहना है कि लिवर शरीर के सबसे अहम अंगों में एक है। हेपेटाइटिस दूषित खानपान और असुरक्षित व्यवहार जैसे हेपेटाइटिस ग्रसित द्वारा इस्तेमाल की हुई सुई-ब्लेड, कैंची प्रयोग आदि से सबसे ज्यादा खतरा रहता है। हेपेटाइटिस बी व सी असुरक्षित व्यवहार की वजह से होता है। इसे ग्रामीण लोग काला पीलिया के नाम से जानते हैं। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस एक्यूट और क्रानिक दो प्रकार का होता है। एक्यूट हेपेटाइटिस पीलिया की तरह होकर कुछ समय बाद ठीक हो जाता है, लेकिन क्रानिक हेपेटाइटिस मरीज को लंबे समय तक प्रभावित करता है। अगर समय रहते इसका पता न चले तो सिरोसिस व कैंसर तक होने की आशंका रहती है। पीलिया के लक्षण दिखाए देने पर फौरन चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि अधिकांश मामले एसिम्टोमैटिक होने से मरीज इस समस्या से अनजान रहता है। ऐसे में बीमारी का दायरा और बढ़ने से मरीज की समस्या बढ़ जाती है। हेपेटाइटिस के लक्षण जैसे भूख कम होना, थोड़ा काम करने पर ही थकान महसूस होना, आंखों में पीलापन, त्वचा में पीलापन आदि से इसे पहचानें।

आयुर्वेदिक औषधियों से संभव है हेपेटाइटिस की रोकथाम

महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय में विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। प्राचार्य डा. देवदत्त भादलीकर ने बताया कि हेपेटाइटिस संक्रामक बीमारियों का समूह है, जिसे ए, बी, सी और ई के नामों से जाना जाता है। हेपेटाइटिस आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है, इसके अलावा अत्यधिक एल्कोहल का सेवन, टाक्सिन और कुछ दवा और खास मेडिकल स्थितियां हैं। क्रिया शरीर के डा. मंसूर अहमद का कहना है कि यह सबसे अधिक बारिश के मौसम में सक्रिय होता हैं। वेबिनार में डायरेक्टर जनरल सतीश राघव, सीईओ आशीष बालियान, डा. अजित सिंह और विक्रांत यादव भी उपस्थित रहे।

अनियंत्रित खानपान बंद कर स्वस्थ रखें लिवर

हेपेटाइटिस अर्थात लिवर में सूजन वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोगों को पीड़ित कर रहा है। खराब जीवनशैली, अनियंत्रित खान-पान, शराब के अधिक सेवन समेत अनेक कारणों से विभिन्न फैटी लिवर, लिवर का बढ़ना, लिवर में सूजन, लिवर का कम काम करना आदि समस्याएं हो रही हैं। यह कहना है आयुकेयर आयुर्वेद मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल के डा. धन्वंतरि त्यागी का। उन्होंने बताया कि लिवर प्रभावित होने पर पाइल्स (बवासीर) रोग की आशंका सर्वाधिक होती है। दर्द निवारक, कब्जनाशक दवाइयों, एसिडिटी की दवाइयों के अंधाधुंध सेवन से लीवर पर काफी दबाव पड़ता है तथा जिससे गुर्दे को अधिक काम करना पड़ता है। यदि ऐसी स्थिति लगातार बनी रहे तो गुर्दे कम काम करने लगते हैं। 


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