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गन्ने की नर्सरी तैयार कर सशक्त हो रहीं महिला..मिल रही सराहना

मवाना की गन्ना सहकारी समिति की ओर से महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सिगल बड व सिगल बड चिप विधि से गन्ने की नर्सरी तैयार हो रही है। इसी क्रम में ढिकोली में पार्वती महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से सिगल बड चिप विधि से गन्ना नर्सरी की स्थापना की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 08:55 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 08:55 PM (IST)
गन्ने की नर्सरी तैयार कर सशक्त हो रहीं महिला..मिल रही सराहना
गन्ने की नर्सरी तैयार कर सशक्त हो रहीं महिला..मिल रही सराहना

मेरठ, जेएनएन। मवाना की गन्ना सहकारी समिति की ओर से महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सिगल बड व सिगल बड चिप विधि से गन्ने की नर्सरी तैयार हो रही है। इसी क्रम में ढिकोली में पार्वती महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से सिगल बड चिप विधि से गन्ना नर्सरी की स्थापना की जा रही है। ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक शौबीर सिंह ने गुरुवार को ढिकोली पहुंचकर गन्ना नर्सरी का निरीक्षण किया।

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सिगल बडचिप विधि से गन्ना नर्सरी हो रही तैयार

ढिकोली में निरीक्षण दौरान गन्ना समिति के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक शौबीर सिंह ने बताया कि यहां पर समूह की अध्यक्ष सीमा सैनी व अन्य सदस्यों द्वारा मौके पर गन्ना प्रजाति सीओएस-0238, 0118 की पौध तैयार की जा रही है। बड कटर से एक आंख के टुकड़ों को कार्बेंडाजिम के घोल में उपचारित कर पोट-ट्रे में कोकोपिट मिक्सचर के साथ लगाया जा रहा है। मौके पर पहुंचे ग्राम किशनपुर वीराना के कृषकों रामानंद व अन्य के द्वारा इस तरह से गन्ना नर्सरी की स्थापना की प्रक्रिया को समझा। इस ग्रुप द्वारा कुल 10 लाख पौध तैयार की जाएगी, जिसकी बुकिग शुरू हो चुकी है।

पार्वती समूह की नर्सरी में 2 लाख पौधे उपलब्ध

मौके पर लगभग 25 दिन पूर्व तैयार नर्सरी में लगभग 2 लाख पौधे उपलब्ध हैं। इन पौधों की बिक्री 25-30 सितंबर से प्रारंभ होगी। विभाग द्वारा समूह को प्रति पौध रुपये 1.30 (सिगल बड) व 1.50 (सिगल बड चिप) की दर से अनुदान दिया जाएगा।

अन्य 28 समूह भी इसी सप्ताह लगाएंगे पौध

ढिकोली के अलावा समिति क्षेत्र में स्थापित अन्य 28 समूहों द्वारा भी इसी सप्ताह में नर्सरी की स्थापना की जाएगी। उक्त विधि से तैयार पौध द्वारा गन्ना उत्पादन में बढ़्रोतरी होगी।

ये हैं लाभ

इस विधि से गन्ने की नर्सरी के पौधे से बुवाई में बीज की बचत होगी और गन्ने की गुणवत्ता बढ़ेगी। साथ ही महिला समूह को आमदनी होगी।


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