Women Empowerment: एक कमरा, पांच साल और बन गई 300 बेटियां आत्मनिर्भर, बबली के जज्बे को सलाम
समाज में बेटियों को मान-सम्मान उनके शिक्षित व आत्मनिर्भर होने पर ही मिलेगा। इसी सोच को लेकर ग्रामीण अंचल की बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महिला बबली जुटी हुई है।
बागपत, [राजीव पंडित]। Women Empowerment समाज में बेटियों को मान-सम्मान उनके शिक्षित व आत्मनिर्भर होने पर ही मिलेगा। इसी सोच को लेकर ग्रामीण अंचल की बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महिला बबली जुटी हुई है। बबली पिछले पांच साल से एक कमरे में सिलाई का काम सिखाकर 300 बेटियों को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। आज बेटियां सिलाई के जरिए अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार का पालन पोषण कर सम्मानजनक जिंदगी गुजार रही हैं।
बेटियों को बनाया आत्मनिर्भर
छपरौली क्षेत्र के ककौर कलां गांव की रहने वाली बबली उपाध्याय ने बताया कि गांव में पिछले पांच साल पहले उसने अपने घर के एक कमरे में चार मशीनों से सिलाई का सेंटर शुरू किया था। उद्देश्य था कि गांव की ज्यादा से ज्यादा बेटियों को सिलाई का काम सिखाना, जिससे बेटियां आत्मनिर्भर हो सकें। इसमें वह सफल भी हुई है। बेबी, फानी, सीमा, राखी आदि जैसे कितने ही ऐसे नाम हैं जिन्होंने सिलाई का प्रशिक्षण लिया। कुछ बेटियां अपने घरों में, तो कुछ ससुराल में सिलाई का काम करती है। ज्योति, राजन, अंकिता, गुडड्न, आरती आदि अभी भी सिलाई का प्रशिक्षण ले रही हैं। बबली बताती है कि वह पांच साल में लगभग 300 बेटियों को सिलाई का काम सिखा चुकी है, इनमें से कई बेटियां आत्मनिर्भर बन गई है, जो कपड़ों की सिलाई कर अपने परिवार का खर्च चला रही है।
प्रशिक्षण के साथ-साथ घर पर भी शुरू किया सिलाई का काम
सिलाई का प्रशिक्षण ले रही ज्योति व अंकिता ने बताया कि बबली की सोच से वह प्रभावित है और उनके पास से गांव की काफी युवतियां सिलाई का काम सीख चुकी है, उनमें से कई सिलाई का काम कर रही है। वह भी बबली के पास सिलाई का काम सीख रही है। वह सिलाई सीखने के साथ अब अपने घर पर भी कपड़ों की सिलाई करने लगी है।
इनका कहना है
बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की बबली का प्रयास सराहनीय है। ऐसी सोच दूसरी महिलाओं की भी होनी चाहिए, जिससे बेटियां आगे बढ़ सके।
- डॉ. प्रीति शर्मा, प्रधानाचार्य, राजकीय बालिका इंटर कालेज बागपत।