सत्ता के गलियारों में हुंकार भरती रही आधी आबादी, कम मौके मिलने पर भी तोड़ती रही पुरुष वर्चस्व
संघर्ष से महिलाओं ने राजनीतिक में पाया मुकाम। कम मौके मिलने पर भी तोड़ती रही पुरुष वर्चस्व। अतीत के पन्ने में मुजफ्फरनगर से कई महिलाओं ने राजनीतिक में दमदार दस्तक दी। पूर्व राज्य सभा सदस्य स्व. मालती शर्मा और पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी दो सदनों में पहुंचने में कामयाब हुई।
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान के लिए सालों से संघर्ष कर रही हैं। कभी ढाल बनकर तो कभी खुद सियासी मोर्चा पर आ खड़ी हुईं। अतीत के पन्ने में मुजफ्फरनगर से कई महिलाओं ने राजनीतिक में दमदार दस्तक दी है। पूर्व राज्य सभा सदस्य स्व. मालती शर्मा और पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी दो सदनों में पहुंचने में कामयाब हुई। मालती शर्मा जहां प्रदेश में शिक्षा मंत्री रहीं,वहीं अनुराधा चौधरी सिंचाई मंत्री रही हैं। इनके अलावा उमा किरण, सुशीला देवी और मिथलेश पाल ने भी राजनीति में पुरुष वर्चस्व को तोड़ने का काम किया है। हालांकि महिलाओं को राजनीतिक प्रतिभा दिखाने के बहुत कम अवसर मिले हैं। वर्तमान भी इससे अछूता नहीं है। मुजफ्फरनगर से संजीव तोमर की विशेष रिपोर्ट:-
आजादी के 20 साल बाद बनी महिला विधायकआजादी के बाद लंबे समय तक राजनीतिक दलों ने महिलाओं को चुनाव में तवज्जों नहीं दी। वर्ष 1951 में मुजफ्फरनगर सेंट्रल सीट से ज्योति प्रसाद ने चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे स्थान पर रही। एक दशक से अधिक समय तक पुरुषों का सभी विधानसभा सीटों पर वर्चस्व रहा। वर्ष 1969 में जनता जल से मालती शर्मा ने सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे स्थान पर रहीं। इसके बाद फिर वर्ष 1974 में लड़ी और दूसरे स्थान पर रहीं। मालती शर्मा ने हिस्सा में नहीं और वर्ष 1977 में जनता दल से फिर चुनाव और जीत हासिल की। मालती शर्मा के राजनीतिक कौशल के चलते बाद में उन्हें राज्यसभा भेजा गया। वह प्रदेश में शिक्षा मंत्री भी रहीं।
सियासी हुंकार भरती रहीं महिलाएं
मालती शर्मा ने राजनीतिक में महिलाओं को जो राह दिखाई, उस पर कई अन्य ने कदमताल की। वर्ष 1996 में सदर विधानसभा सीट से भाजपा ने सुशीला अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया। कांटे के मुकाबले में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सोमांश प्रकार को शिकस्त दी। वर्ष 1985 में कांग्रेस ने सदर सीट पर महिला कार्ड खेला और चारूशिला को प्रत्याशी बनाया। चारूशिला ने भाजपा प्रत्याशी रामकुमार को शिकस्त की। वहीं वर्ष 2002 महिला राजनीतिक के लिहाज से स्वर्णिम काल रहा। इस साल जनपद की दो महिलाएं विधानसभा पहुंचीं। बघरा विधानसभा सीट से रालोद से अनुराधा चौधरी विधायक बनीं। वहीं सुरक्षित सीट चरथावल से बसपा से उमा किरण चुनाव जीतीं। इसके बाद उमा किरण सपा में शामिल हो गई और प्रदेश में मंत्री बनीं। इसके दो साल बाद लोकसभा चुनाव में अनुराधा चौधरी कैराना लोकसभा सीट से रालोद के टिकट पर सांसद बनी। तब कैराना लोकसभा सीट मुजफ्फरनगर जनपद में थी। सांसद करने के साथ ही अनुराधा चौधरी कैबिनेट मंत्री भी रहीं। वर्ष 2009 के उप चुनाव में मोरना विधानसभा सीट से रालोद ने मिथलेश पाल पर भरोसा जताया। उप चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी को शिकस्त दी। हालांकि इसके बाद मिथलेश पाल को सफलता नहीं मिल पाई।
मालती शर्मा को मिले सर्वाधिक मौके
पूर्व मंत्री मालती शर्मा ने लगातार तीन बार और कुल चार बार विधानसभा चुनाव लड़ाया। वहीं मिथलेश पाल तीन बार चुनाव लड़ी हैं। वर्ष 2022 के चुनाव में जहां सपा-रालोद और बसपा ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है। वहीं भाजपा ने पूर्व राज्यमंत्री विजय कश्यप की धर्मपत्नी सपना कश्यप को चरथावल विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है।
महिला विधायक वर्ष राजनीतिक दल
मालती शर्मा 1977 जनता दलचारूशिला 1985 कांग्रेससुशीला अग्रवाल 1996 भाजपाअनुराधा चौधरी 2002 रालोदउमा किरण 2002 बसपामिथलेश पाल 2009 रालोद