अब घर बैठे निकलेंगे पैसे, माइक्रो एटीएम पहुंचेगे आपके गांव Meerut News
मेरठ में अब पैसे निकालने के लिए बैंकों में लाइन लगाने की जरुरत नहीं होगी क्योकि अब आपके गांव माइक्रों एटीएम पहुंचेगा। साथ ही छुट्टी के दिन भी एसी सुविधा रहेगी।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संकट के बीच गांव में रहने वाले गरीब, मजदूर व अन्य किसी भी व्यक्ति को अब पैसा निकालने के लिए बैंक तक जाने की जरूरत नहीं होगी। जिला प्रशासन ने जनपद की सभी 481 ग्राम पंचायतों में लोगों तक इसकी सुविधा पहुंचाने की तैयारी कर ली है। डाक विभाग के 121 माइक्रो एटीएम गांव-गांव भेजे जाएंगे। इसके लिए जारी किया गया रोस्टर बुधवार से शुरू होगा। प्रत्येक गांव में हर पांचवे दिन माइक्रो एटीएम पहुंचेगा।
सीडीओ ईशा दुहन ने माइक्रो एटीएम लेकर गांवों में जाने वाले डाककर्मियों के लिए 15 अप्रैल से 3 मई तक का दैनिक रोस्टर जारी कर दिया है। इसमें डाककर्मियों के नाम, उनके प्रतिदिन के गांव, गांव पंचायत सचिव और संबंधित डाकघर के पोस्टमास्टर के नाम व मोबाइल नंबर भी जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार ने लाभार्थी परक योजनाओं के तहत खातों में पहुंचने वाली राशि को लॉकडाउन के दौरान बैंक न जाकर घर पर ही निकालने की व्यवस्था की है। सुबह 10 से 2 बजे के बीच डाककर्मी गांव पहुंचेगा। जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक सिन्हा ने बताया कि उक्त स्थल पर सैनिटाइजर और साबुन की व्यवस्था सचिव को करानी होगी। पैसा निकालने के लिए बैंक खाते से लिंक आधार कार्ड और मोबाइल साथ लाना होगा।
छुट्टी के दिन भी पहुंचे बैंक
मंगलवार को आंबेडकर जयंती के चलते बैंकों में अवकाश रहा। इसके बावजूद जनधन खाताधारक कई बैंकों पर पहुंचे। बुधवार को बैंक खुलेंगे। एक दिन के अवकाश के बाद बैंक खुलने से जनधन खाताधारकों की भीड़ ब्रांचों पर बढ़ सकती है। बैंकों की ओर से लगातार कोशिश हो रही है कि शारीरिक दूरी बनाकर ग्राहक बैंकों में लेनदेन करें। सभी बैंकों ने इसके लिए निशान भी बनाएं हैं। बैंक अधिकारियों का कहना है कि छुट्टी के दिन भी ग्राहक सेवा केंद्र खुले रहे हैं। ग्राहकों को अपने नजदीक के केंद्र पर जाकर पैसे की निकासी करना चाहिए।
फीस को लेकर स्कूल प्रबंधन और स्वजन आए आमने-सामने
प्रदेश सरकार ने पब्लिक स्कूलों को एक साथ तीन महीने की एडवांस फीस लेने से मना किया है। इसके बदले स्कूलों को स्वजनों से एक-एक महीने की फीस लेने की हिदायतें हैं। उधर, स्कूलों की ओर से स्वजनों से अप्रैल महीने की फीस मांगी जा रही है। कुछ स्कूलों ने तीन महीने और एक महीने दोनों की जानकारी स्वजनों को देते हुए उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार फीस भुगतान करने को कहा है। ऐसे में पूरी तरह से लॉकडाउन के दौरान जिन स्वजनों के रोजगार का साधन बंद हैं, उनके लिए फीस जमा करना भी चुनौती बन गई है। ऐसे में स्कूल से फीस की मांग उनके लिए बोझ बनती जा रही है वे इसकी शिकायत भी कर रहे हैं। स्वजनों का कहना है कि स्कूल खुलने पर फीस ली जानी चाहिए, जबकि स्कूलों का तर्क है कि ऑनलाइन शिक्षण के जरिए नया सत्र शुरू हो चुका है। फीस नहीं मिलने से शिक्षकों के वेतन अटके हैं। किसी स्वजन पर दबाव नहीं डाला जा रहा है, लेकिन जो लोग दे सकते हैं ऑनलाइन फीस दे देंगे तो स्कूल की अन्य गतिविधियां भी चलती रहेंगी।