चलती कारों में इस वजह से लग रही आग, ये सावधानियां बरतें
चलती कारों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जरा-से लालच में हम अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
मेरठ (जेएनएन)। कुछ दिनों से चलती कार में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पुरानी ही नहीं, बल्कि नई कार भी आग का गोला बन रही हैं। आमतौर पर शॉर्ट सर्किट की वजह से आग बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है, लेकिन इस घटना के लिए हमन खुद जिम्मेदार हैं। ऑटो एक्सपर्ट्स की मानें तो थोड़े से लालच के लिए हम अपने वाहन के साथ ज्यादती करते हैं और कभी-कभी इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है। लिहाजा सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है, क्योंकि सावधानी से ही सफर और परिवार सुरक्षित होगा।
कार में आग लगने की वजह
- लोग पैसे बचाने के चक्कर में अपनी कारों में स्टीरियो, सिक्योरिटी सिस्टम, रिवर्स पार्किग सेंसर जैसी एसेसरीज बाहरी दुकानों से लगवाते हैं। यह नहीं देखते कि इन्हें लगाने वाला व्यक्ति ट्रेंड है या नहीं। वायरिंग में टेंपरिंग करके उक्त एसेसरीज लगा दी जाती हैं, जो ढीली होकर स्पार्किग का कारण बनती है।
- नई कार की फ्री सर्विस खत्म होने के बाद लोग कार की सर्विस बाहरी मैकेनिकों से कराते हैं। अप्रशिक्षित मैकेनिक सिर्फ फिल्टर, ऑयल बदलकर इसे सर्विस का नाम दे देते हैं। वे गाड़ी की अन्य खराब चीजों की तरफ ध्यान नहीं देते। यह लापरवाही घटना की वजह बन जाती है।
- एजेंसी या अधिकृत डीलर के यहां सीएनजी या एलपीजी किट लगवाना थोड़ा महंगा होता है, लेकिन अक्सर लोग अनधिकृत डीलरों से किट फिट करा लेते हैं। किट लगाने के लिए वायरिंग में कट लगाया जाता है, जो शॉर्ट सर्किट की वजह बन जाता है।
आग लगने पर यह होता है
कार में आग लगने के बाद पावर विंडो और सेंट्रल लॉक सिस्टम फेल हो जाते हैं। ऐसा होने पर कार से बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है। समय से आग की जानकारी न लगने पर कार्बन मोनो ऑक्साइड बन जाती है, जिससे कार में सवार लोगों की जान तक जा सकती है।
ऐसे करें बचाव
- सही समय पर ऑयल फिल्टर, कूलेंट और इंजन ऑयल बदलवाने पर कार की सेहत ठीक रहेगी।
- कार में अनावश्यक एसेसरीज लगवाने से बचें।
- सीएनजी या एलपीजी किट अधिकृत डीलर से लें और फिट कराएं।
ये सामान भी कार में रखें
- शीशा तोड़ने के लिए हथौड़ा
- सीट बेल्ट लॉक होने पर उसे काटने के लिए कैंची
- आग से बचाव के लिए अग्निशमन यंत्र
एक्सपर्ट्स की राय
कंपनी कपलर टू कपलर फिटिंग देती है, जिसमें शॉर्ट सर्किट की संभावना न के बराबर रहती है। कारों में 55 बाई 60 वाट के बल्ब होते हैं, लेकिन लोग अधिक रोशनी के लिए 90 बाई 100 वाट के (ट्रक वाले) बल्ब लगवा लेते हैं, जो वायरिंग की क्षमता से अधिक के होते हैं। इसके लिए लगने वाली रिले भी ज्यादा कामयाब नहीं हैं। समय पर सर्विस कराने से मैकेनिक सभी कमी पकड़ लेते हैं। ऐसे में सर्विस का ध्यान रखना जरूरी है। अतिरिक्त बेस ट्यूब, एंपलीफायर आदि भी वायरिंग से अधिक लोड की होती हैं।
-पवन शर्मा, पूर्व जीएम (सर्विस) राज स्नेह ऑटोमोबाइल्स
आम तौर पर लोग सात-आठ लाख रुपये की कार तो खरीद लेते हैं, लेकिन उसके मेंटीनेंस में तीन से चार हजार रुपये खर्च करने से बचते हैं। लोग सीएनजी या एलपीजी किट, एंप्लीफायर, बेस ट्यूब या इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक एसेसरीज लगवाने के लिए अधिकृत एजेंसी पर ही जाएं। क्वालिटी और सर्विस मेंटेन रहेगी तो कार में किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना न के बराबर रहेगी।
-जेएस राणा, जीएम (सर्विस), दास हुंडई
आग का गोला बनी कार, बाल-बाल बचीं इंजीनियर
मेडिकल थाना क्षेत्र के जागृति विहार में शुक्रवार सुबह सॉफ्टवेयर इंजीनियर की कार में आग लग गई। देखते ही देखते कार आग के गोले में तब्दील हो गई। महिला इंजीनियर सेंट्रल लॉक फेल होने से चंद सेकेंड पहले ही कार से उतर गईं, जिससे उनकी जान बची। सूचना पर पहुंची दमकल की गाडी ने आग पर काबू पाया। जागृति विहार, सेक्टर तीन निवासी आकांक्षा शर्मा पुत्री सुभाषचंद शर्मा सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे वह अपनी इंडिगो कार से वैशाली कालोनी के लिए निकली थीं। घर से कुछ ही दूर पहुंचने पर कार में धुआं उठना शुरू हुआ। कार रोककर वह नीचे उतरी ही थीं कि कार में आग लग गई। आकांक्षा ने बताया कि उनकी कार 2010 मॉडल की है। वह शुरुआत से ही कार की समय पर सर्विस करती हैं। गैस किट भी नहीं लगी है। फिर भी आग लग गई।
13 दिन में कार में आग की पांचवीं घटना
शुक्रवार की घटना ने चार पहिया वाहनों के मेंटीनेंस, तकनीकी खराबी और अन्य पहलुओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं। 13 दिनों में पांचवीं कार जलने की यह घटना सामान्य नहीं है।
इनका कहना है
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पा लिया था। आमतौर पर शॉर्ट सर्किट से ही आग लगने के मामले सामने आते हैं।
-अजय शर्मा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी