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ज्‍योति पर्व पर आखिर क्‍यों जलाया जाता है दीपक, आइए जानते और समझते हैं इसके महत्‍व को

जल्‍द ही ज्‍योति पर्व आने वाला है। ऐसे में हर घर में दीपक जलाने की परंपरा है। ऋग्वेद के अनुसार दीपक में देवताओं का तेज रहता है इसलिए किसी शुभ आयोजन पर सकारात्मक ऊर्जा संचार के लिए घी अथवा तेल के दीपक जलाने का विधान है।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 09:00 AM (IST)
ज्‍योति पर्व पर आखिर क्‍यों जलाया जाता है दीपक, आइए जानते और समझते हैं इसके महत्‍व को
दीपावली पर दीपक को जलाने के पीछे की वजह को जानने की कोशिश करते हैं।

मेरठ, [निशि पाल]। दीपावली अर्थात दीपकों में जगमग करती ज्योति का महान पर्व, अधर्म पर धर्म की विजय का पर्व, असत्य पर सत्य की शाश्वत जीत का पर्व। धर्मग्रंथों में दीपक का अदभुत महत्व बतलाया गया है। ऋग्वेद के अनुसार दीपक में देवताओं का तेज रहता है, इसलिए किसी शुभ आयोजन पर सकारात्मक ऊर्जा संचार के लिए घी अथवा तेल के दीपक जलाने का विधान है। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने, और द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने पर लोगों ने खुशियों के दीपक जलाए थे। दीपावली मनाई थी। आज भी ज्योति पर्व पर पांच दिन तक दीपक जलाने का विधान है। इसके साथ ही अग्नि पुराण, ब्रम्हवैवर्त पुराण, देवी पुराण, उपनिषद और वेदों में भी गाय के घी और तिल के तेल का दीपक जलाने का वर्णन मिलता है।

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मिट्टी का दीपक है पंचतत्वों का प्रतीक

सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज ने बताया कि मिट्टी का दीपक पंचतत्व का प्रतीक है। मिट्टी को पानी में गलाकर दीपक बनाते हैं, जो भूमि और जल तत्व का प्रतीक है। इसे बनाने के बाद धूप और हवा में सुखाया जाता हैं, जो आकाश और वायु तत्व के प्रतीक हैं। अंत में अग्नि में तपाकर दीपक पूरी तरह तैयार होता है।

जानिए, दीपक क्यों जलाएं

- घी का दीपक जलाने से वायुमंडल शुद्ध होता है।

- धर्मग्रंथ्रों के अनुसार दीपक जलाने से ऊर्जा चक्र जागृत होते हैं।

- घी के दीपक में लौंग डालकर जलाने से कीटाणु नष्ट होते हैं।

- पुराणों के अनुसार दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।

- घी का दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

- अग्निपुराण के अनुसार संध्याकाल में मुख्यद्वार पर दीपक जलाने से रोगों से मुक्ति मिलती है, माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

- कभी भी खंडित दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दीपक जलाने के लिए रूई का ही प्रयोग करना शुभ रहता है।

ज्योति पर्व के लिए बढ़ी मिट्टी के दीपक की मांग

ज्योतिपर्व में पांच दिन दीपक जलाए जाते हैं, मुख्य पर्व दीपावली को पड़ता है। घर आंगन को रोशन करने के लिए लोगों ने मिट्टी के दीपकों की खरीदारी शुरू भी कर दी है। पूजा अर्चना के लिए जहां सामान्य छोटे दीपक की मांग है, वहीं घर आंगन को सजाने के लिए डिजाइनर दीपक भी काफी पसंद किए जा रहे हैं। इसमें लाल, पीले, नीले, गुलाबी, हरे और सफेद रंग के दीपक सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। इनपर सुनहरा रंग भी किया गया है। इनकी कीमत 10 से लेकर 50 रुपये तक है। इनके अलावा हैंगिंग में ओम, स्वास्तिक और लक्ष्मी-गणेश वाले दीपक भी लोगों को खूब लुभा रहे हैं। इनकी कीमत 30 से सौ रुपये तक है।

इन्होंने कहा

लोग सामान्य दीपक से अधिक अब रंग-बिरंगे दीपकों की मांग करते हैं। ऐसे में छोटे बड़े सभी आकार में रंग-बिरंगे दीपक तैयार किए हैं। इनके अलावा डिजाइनर दीपक भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं।

- मनोज प्रजापति, अजंता मूर्ति कला केंद्र थापरनगर, मेरठ


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