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अगला किसने देखा है, इसी जनम में मिला करो

मेरठ के यशस्वी गीतकार श्रृंगार और प्रकृति के अनूठे चितेरे धर्मजीत सरल शुक्र

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 07:10 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 07:10 AM (IST)
अगला किसने देखा है, इसी जनम में मिला करो
अगला किसने देखा है, इसी जनम में मिला करो

मेरठ,जेएनएन। मेरठ के यशस्वी गीतकार, श्रृंगार और प्रकृति के अनूठे चितेरे धर्मजीत सरल शुक्रवार रात 10 बजे इस नश्वर संसार से विदा ले महाप्रयाण कर गए।देश में मेरठ का नाम रोशन करने वाले गीत ऋषि सरल जी आने वाली एक जून को 88वां जन्मदिन मनाने वाले थे। इससे पहले ही ईश्वर ने उन्हें बुला लिया। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उच्च कोटि के कवि गीतकार होने के साथ ही वे एक लोकप्रिय नाट्य कलाकार भी थे जिन्होंने वर्षों ईप्टा से जुड़कर सैकड़ों नाटकों में अभिनय किया। उनका जन्म एक जून 1933 को एक बलदेव सिंह व न्यादरी देवी के परिवार में पूर्वाशेखलाल मोहल्ला मेरठ में हुआ था। उन्होंने सीडीए में लगभग 36 वर्ष सेवाएं प्रदान की। धर्मजीत सरल के गीत की पंक्तियां, अगला जन्म बताओ तो कब किसने देखा है, मिलना है तो इसी जनम मिलने की बात करो, लोगों को बहुत पसंद आई थी।

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देश के बड़े बड़े साहित्यकारों गोपाल दास नीरज, सोहन लाल द्वेवेदी, संतोष आनंद, किशन सरोज, शिशुपाल निर्धन आदि के साथ कवि मंच साझा किया। इनका गीत संग्रह तुम पुकारते तो सही, काफी लोकप्रिय हुआ। उन्होंने बच्चों के लिए भी गीत लिखे। देश के अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं धर्मयुग, हिदुस्तान, कादंबिनी, सरिता आदि में अक्सर छपती रहती थी। उनकी कविताएं पाठयक्रम में बच्चों को पढ़ाई जा रही हैं। वे सुभाष नगर मेरठ में रहते थे। उनके पत्नी पूर्णिमा, पुत्र, पुत्रियां, नाती पोते भरा पूरा परिवार है। कई बार गीत चांदनी जयपुर में गए। 100 से अधिक नाटकों में अभिनय किया। शनिवार 29 मई को उनका नश्वर शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उत्तराखंड गंगोत्री धाम की मीनाक्षी शास्त्री ने बताया कि 85वीं जन्म तिथि पर गीत ॠषि धर्मजीत सरल के सम्मान में एक नगर अभिनंदन का कार्यक्रम किया गया था। जिसमें नगर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समर्पित आयोजन हुआ था। साथ ही डा. राम गोपाल भारतीय, डा.मीनाक्षी शास्त्री एवं सुमनेश सुमन द्वारा संपादित - अभिनन्दन ग्रंथ का विमोचन भी हुआ। इनके गीत संग्रहों में से, तुम पुकारते तो सही, बहुत लोकप्रिय हुआ। ऐसे गीत ॠषि धर्म जीत सरल की विदाई पर नगर के गणमान्य साहित्यकारों और कवियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।


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