मेरठ में महिलाओं ने संभाली गन्ना पौध नर्सरी की कमान तो, सात माह में हुई 65 लाख की आमदनी
कोरोना संकट के समय में गन्ना विभाग की पहल ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान बन गई है। लाकडाउन के समय जहां रोजगार पर संकट आ गया वहीं मेरठ में महिलाओं ने गन्ना नर्सरी प्लांट से मात्र सात माह में 65 लाख की आमदनी की।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संकट के समय में गन्ना विभाग की पहल ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान बन गई है। लाकडाउन के समय जहां रोजगार पर संकट आ गया, वहीं गन्ना विभाग की इस पहल ने ग्रामीण महिलाओं के समूह को आमदनी का नया अवसर प्रदान किया है। गन्ने की उत्पादकता व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बुवाई का पंरपरागत तरीका बदलकर सिंगड बड एवं बड चिप के माध्यम से नर्सरी में पौध तैयार कराई जा रही है। इस कार्य की जिम्मेदारी महिलाओं को दी गई है। इससे दोहरा लाभ हुआ। गन्ना उत्पादन बढ़ने के साथ ही ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला।
महिलाओं के 50 समूह ने कमाए 65 लाख
मेरठ के जिला गन्ना अधिकारी डा. दुष्यंत कुमार ने बताया कि गन्ना विभाग की इस पहल को आगे बढ़ाते हुए मेरठ जिले में 130 समूह बनाए गए। जिसमें औसतन प्रत्येक समूह में 20 महिलाएं जुड़ी। इसमें 50 समूहों ने सितंबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक लगभग 65 लाख की आमदनी की है। एक समूह को औसतन 1.30 लाख की आमदनी प्राप्त हुई। गन्ना विकास परिषद ने अपने बजट में इसका प्रावधान किया।
सीडलिंग उत्पादन के लिए मिलता है 3.50 रुपये अनुदान
जिला गन्ना अधिकारी डा. दुष्यंत कुमार ने बताया कि सीडलिंग उत्पादन के लिए गन्ने की एक पौध पर कुल 3.50 रुपये अनुदान दिया जाता है। इसमें 1.50 रुपये प्रोत्साहन के तौर पर गन्ना विकास परिषद और शेष किसान खरीदने के समय महिला समूह को प्रदान करता है। इससे महिलाओं की आमदनी और अच्छे गन्ने का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होता है।
मेरठ में गन्ने की नर्सरी से जुड़े आंकड़ें
मेरठ जिले में बनाए गए महिला समूह - 130
आमदनी करने वाले मुख्य समूह - 50
सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक प्राप्त आय - 65 लाख
एक पौध पर मिलने वाला अनुदान - 3.50 रुपये
गन्ना विकास परिषद से प्राप्त अनुदान का अंश - 1.50 रुपये
अनुदान का शेष अंश - 2 रुपये
एक समूह में जुड़ने वाली औसतन महिलाएं - 20