अप्रैल में गेहूं की कटाई और बसंतकालीन गन्ने की बुवाई, जानिए विशेषज्ञों की सलाह
अप्रैल माह जिसे गांवों में चैत्र-बैशाख कहा जाता है। इस माह में खेतों में लहलहाती फसलें देखकर किसान खुशहाल दिखाई पड़ते हैं। एक तरफ जहां गेहूं की कटाई की तैयारी की जाएगी वहीं दूसरी तरफ गन्ने की बसंतकालीन बुवाई भी किसान करते हैं।
मेरठ, जेएनएन। अप्रैल माह जिसे गांवों में चैत्र-बैशाख कहा जाता है। इस माह में खेतों में लहलहाती फसलें देखकर किसान खुशहाल दिखाई पड़ते हैं। एक तरफ जहां गेहूं की कटाई की तैयारी की जाएगी, वहीं दूसरी तरफ गन्ने की बसंतकालीन बुवाई भी किसान करते हैं। लहलहाती फसलें अप्रैल माह की पहचान होती हैं। इसी माह आम के पेड़ों पर बौर को आम में बदलने का भी समय आ चुका होता है। धीरे-धीरे आम का बौर आम के फल में दिखाई देने लगता है।
गेहूं कटाई के बाद मूंग या चारा
अप्रैल माह में गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है। जो मई तक जारी रहती है। गेहूं की कटाई के बाद किसान खेत में मूंग या चारे की फसल को लगाते हैं। अप्रैल से मई तक किसान अपने गेहूं को काटकर अनाज और भूसे को व्यवस्थित कर लेता है। अप्रैल से तापमान में बेतहाशा वृद्धि होती है। जिससे गेहूं पक जाता है।
हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त समय
हल्दी एक उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र की फसल है। हल्दी के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान अंकुरण के लिए उपयुक्त रहता है। औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसान अप्रैल माह में हल्दी की बुवाई करते हैं।
कई प्रकार की सब्जियों की बुवाई
अप्रैल माह में लौकी, मक्का, बैंगन, भिंडी, अरहर, लोबिया व बेबी कार्न आदि सब्जियों की बुवाई मुख्य प्रकार से होती है। हालांकि, अप्रैल से पहले ही मार्च माह में अगेती सब्जियों को भी किसान बडे पैमाने पर लगाते हैं। सब्जियों के अच्छे दाम लेने के लिए कुछ किसान अगेती बुवाई पर अधिक ध्यान देते हैं।