शीतला अष्टमी के दिन ठंडा भोजन का क्या है महत्व, जानिए- पूजन व प्रसाद की विशेषता
शीतला अष्टमी चार अप्रैल को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन देवी का पूजन कर ठंडा भोजन करना चाहिए। इसी लिए इस दिन एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन खाने का विधान है। इसे बसोड़ा अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
मेरठ, जेएनएन। शीतला अष्टमी चार अप्रैल को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन देवी का पूजन कर ठंडा भोजन करना चाहिए। इसी लिए इस दिन एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन खाने का विधान है। इसे बसोड़ा अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। ज्योतिषविद डा. अनुराधा गोयल ने बताया कि तीन अप्रैल को सप्तमी है। इसलिए आज ही प्रसाद के लिए ग्रहणियों को भोग तैयार करना होगा। तीन अप्रैल को बना भोजन ही चार अप्रैल को पूजन के बाद देवी को अर्पित किया जाएगा इसके बाद महिलाएं इस भोजन को ग्रहण करेंगी। भोग के लिए पुआ, पूरी, मिष्ठान्न, रोटी, सब्जी, शीतल पेय का भोग लगाना चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन रंग खेलने की भी परंपरा है। देवी हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण करती है। गर्दभ इनका वाहन है। मान्यता है देवी शक्ति की अवतार है। देवी बीमारी से विशेष रूप से बच्चों को होने वाली बीमारी से मुक्ति प्रदान करती है। इनकी आराधना से चेचक आदि रोग ठीक होते हैं।
महिलाएं संतानों और परिवार की लंबी आयु के लिए देवी की आराधना करती हैं। इनके पूजन में शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चा पार्क स्थित कंठी माता के मंदिर में शीतला देवी की मूर्ति स्थापित है। शारदा रोड स्थित शीतला देवी के मंदिर के प्रति भक्तों की गहरी आस्था है। यहां काफी संख्या में महिलाएं पूजन के लिए आती हैं।