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पछुआ हवा : साहब आप आते तो Meerut News

स्‍वास्‍थ्‍य मेला में आयोजित कार्यक्रमों में डाक्‍टरों की लापरवाही हस्तिनापुर के बारे में जानकारी गंगा यात्रा पर कुछ टिप्‍पणियां और मेरठ की संस्‍कृति पर आधारित रिपोर्ट।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 04:07 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 04:07 PM (IST)
पछुआ हवा : साहब आप आते तो Meerut News
पछुआ हवा : साहब आप आते तो Meerut News

मेरठ [संतोष शुक्‍ल] सेवाभाव की शपथ लेकर भगवान का दर्जा पाने वाले चिकित्सक एक बार जरूर सोचें। सीएमओ डा. राजकुमार अपील करते रह गए किंतु कोई निजी डाक्टर कैंप में मरीज देखने नहीं गया। गत वर्ष दिसंबर में मेडिकल कालेज में स्वास्थ्य मेला लगा। इसे गरीब मरीजों के लिए वरदान माना गया। कैंसर, किडनी, हार्ट और हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज की उम्मीद जगी। किंतु तत्कालीन आइएमए अध्यक्ष डा. शिशिर जैन की टीम ने मेले में जाने का वादा करके भी दूरी बना ली। अब डा. एनके शर्मा आइएमए अध्यक्ष हैं। सीएमओ ने दो फरवरी को आरोग्य मेले में भी आइएमए से सहभागिता की अपील की। करीब पांच हजार मरीज देखे गए, किंतु यहां भी कोई निजी डाक्टर नहीं गया। जबकि सेमिनारों में यही डाक्टर जनता की सेवा का शाब्दिक दरिया बहा देते हैं। बेहतर होता कि इन कैंपों में मरीज देखकर डाक्टर साहब सेवाभाव का सुख उठाते। एक नजीर भी बनती।

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टीलों से झांका इतिहास

टीवी सीरियलों में हस्तिनापुर का वैभव देखिए और एक बार हस्तिनापुर घूम भी आइए। आंखों को भरोसा नहीं होगा। बेशक सीरियलों में कल्पनाओं का मंच सजता है, लेकिन हस्तिनापुर में तो नाम के अतिरिक्त कोई साम्यता भी नहीं मिलेगी। रामायण और महाभारत के अतिरिक्त भी इतिहास की कई करवटें यहां के टीलों में दफन हैं। संसद से लेकर विधानसभा तक हस्तिनापुर की मुक्ति के लिए आवाज उठाई गई। सुनवाई नहीं हुई तो लोगों ने इस द्रौपदी का श्रप भी माना। इतिहासकार बताते हैं कि अगर पुरातात्विक विभाग टीलों की खोदाई करता तो हस्तिनापुर की धरती सभ्यताओं का इतिहास बदल देती। उसी दिन चंडीगढ़ की नींव रखी गई, और ये देश का सबसे होनहार शहर बन गया। अब केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर के पर्यटन में डुबकी लगाया है। टीलों में सो रहे इतिहास को झकझोरने का वक्त आ गया है। इसमें शायद विश्व के सबसे बड़े धर्मयुद्ध का केंद्र मिल जाए।

मालिनी का दूसरा घर

देश की बहुरंगी संस्कृति में भावनाओं के रेशमी धागे भी बुने हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी कई संस्कृतियों और बोलियों का समागम है। किंतु सम्मान की सरगम से भावनात्मक तार कहीं भी झंकृत हो सकते हैं। स्वभाव से उष्ण और जुबान से कड़क मिजाज मेरठ ने अपनी खूबियों से कइयों का दिल भी जीता है। प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी मेरठ को अपना दूसरा घर बताती हैं। मालिनी पूर्वाचल की माटी में पली बढ़ी हैं। कन्नौज से रामपुर तक संगीत की सुरमई डोर से जुड़ी हैं। मिट्टी की सुगंध बिखेरती विधा यानी लोकसंगीत से जुड़ी हैं। देश-दुनिया में जानी जाती हैं, किंतु मेरठ उनकी जुबान पर राज करता है। कभी यहां संगीत का अखाड़ा लगता था, यानी लोग दिल से सरल और सुरीले थे। मालिनी यहां एक बिंब भी हैं, किंतु वो मेरठ की छवि एक संवेदनशील और अतिथि को देवतुल्य मानने वाली भावना को प्रोत्साहित भी तो करती हैं।

गंगा की लहरों पर

मुख्यमंत्री की गंगा यात्र ने मेरठ के महात्म्य को नई उम्मीदों से सींचा। सीएम योगी नहीं आए, लेकिन उनके दूत बनकर कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने कलश थामकर कानपुर तक यात्र की। मेरठ के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा तो मकदूमपुर में गंगा का सौन्दर्य देखकर निहाल हो गए। कहां इतना नैसर्गिक दृश्य। गंगा की लहरों पर नाचता उल्लास। भाजपा के सभी बड़े चेहरे गंगा तट की तरफ दौड़ पड़े। गंगा आरती की। मीलों तक नदी का लहरता आंचल। नदी में घड़ियालों का बढ़ता जीवनचक्र और डाल्फिन की उछलकूद। बगल से गुजरता अभ्यारण्य। अचानक कैबिनेट मंत्रियों को गंगा के साथ पर्यटन की गंगा बहाने का आत्मबोध हुआ। काश ये माननीयों में मन में जलती आरती की लौ अनवरत जलती रहे। ऐसा हुआ तो सदियों से उपेक्षित गंगा के इस खूबसूरत किनारे पर पर्यटकों के रूप में नए भागीरथ पहुंचेंगे। धर्म और पर्यटन आपस में गले मिलते नजर आएंगे।


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