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सीसीएसयू मेरठ में हुई वेब गोष्ठी में बोले वक्‍ता- भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने वाली है नई शिक्षा नीति

सीसीएसयू मेरठ में हुई गोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ड्राफ्ट कमेटी के सदस्य प्रोफेसर टीवी कट्टीमनी ने कहा कि कि इस नीति के तहत विज्ञान व गणित जैसे विषयों को बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ेंगे तो वह उसे जल्दी सीखेंगे।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 06:10 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 06:10 PM (IST)
सीसीएसयू मेरठ में हुई वेब गोष्ठी में बोले वक्‍ता- भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने वाली है नई शिक्षा नीति
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति को लेकर वेब गोष्ठी का आयोजन।

मेरठ, जेएनएन। भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को स्वीकृत कर लिया गया है। इसे लागू करने की प्रक्रिया जारी है। विभिन्न प्रदेशों ने इस नीति को अगले सत्र 2021-22 से लागू करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश सरकार युद्ध स्तर पर विभिन्न समितियों के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर कार्य कर रही है। इसी क्रम में भारत सरकार के नीति आयोग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समुचित प्रसार, जागृति और क्रियान्वयन के लिए भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों और स्कूलों में क्रियान्वयन के लिए कार्यक्रम, कार्यशाला, संगोष्ठी आयोजित कर रही है। बुधवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति को लेकर वेब गोष्ठी का आयोजन हुआ।

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नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर जोर

जिसमें वक्ताओं ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत को एक बार फिर विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर करेगी। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता केंद्रीय ट्राईबल विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश के कुलपति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ड्राफ्ट कमेटी के सदस्य प्रोफेसर टीवी कट्टीमनी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर जोर दिया गया है। अगर विज्ञान व गणित जैसे विषयों को बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ेंगे तो वह उसे जल्दी सीखेंगे। विश्वविद्यालय स्तर पर नई शिक्षा नीति में अपेक्षा की गई है कि वह अपने आसपास के इंडस्ट्रीज की मांग के हिसाब से छात्रों में इसके डेवलप करें। मेरठ विश्वविद्यालय के आसपास का क्षेत्र कृषि आधारित है ऐसे में लैब टू लैंड के आधार पर शिक्षा होनी चाहिए। विश्वविद्यालय में ऐसे शोध कार्य हो जिसका उपयोग इन क्षेत्रों को भी मिल सके। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। उन्हें इन्नोवेशन टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ना होगा। शोध संस्थान जलगांव महाराष्ट्र की प्रख्यात प्रोफेसर गीता धर्मपाल ने कहा कि हमारी पूर्व की शिक्षा बहुत उन्नति थी उसमें किसी तरह की कोई कमी नहीं थी बाद में अंग्रेजी शिक्षा की वजह से उसमें विकृति आई।

सीसीएसयू नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में अग्रसर

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर एनके तनेजा ने ने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में अग्रसर है कॉमन मिनिमम सिलेबस तैयार होने के बाद लागू किया जाएगा नई शिक्षा नीति के तहत इंडस्ट्रीज से विश्वविद्यालय के शिक्षक संपर्क भी कर रहे हैं। जल्दी इसकी रिपोर्ट बनाकर उच्च शिक्षा विभाग को भेजा भी जाएगा। विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फूड टेक्नोलॉजी, डाटा साइंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। विश्वविद्यालय में फूड टेक्नोलॉजी को डेवलप करने से आसपास के कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर हवाई विमला ने कहा नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष जोर है। इससे छात्र बहुत आसानी से विषय को समझ सकेंगे। हिंदी भाषी क्षेत्र में जहां कई बोलिया अवधी, भोजपुरी आदि भी हैं अगर शिक्षण के दौरान इन बोलियों में उदाहरण देकर भी विषय को समझाया जाए तो बच्चे बहुत आसानी से सीखेंगे। नई शिक्षा नीति में इस पर जोर है शिक्षा हम किसी भी माध्यम से ग्रहण करें जरूरी है कि हम उसे कितना समझते हैं। विदेशी शिक्षा की जगह पर हमें अपनी भाषा और परंपरा को लेकर शिक्षा ग्रहण करना होगा। शिक्षाविद डा. दर्शन लाल अरोड़ा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शोध कार्य उच्च स्तर का हो इस पर जोड़ दिया गया है। शोध ऐसा होना चाहिए जो समाज के लिए सदुपयोगी हो। शिक्षा देने का यह भी अभिप्राय होना चाहिए कि वह छात्रों को कितना नैतिक बनाता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि वह छात्रों के अंदर देशभक्ति की भावना को भी जगाएं। जिससे छात्र यह समझ सकें कि जो ज्ञान उन्होंने हासिल किया है वह देश और समाज के लिए क्या उपयोगी हो सकता है। कार्यक्रम के समन्वयक भारतीय शिक्षण मंडल, मेरठ प्रांत के उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा और संयोजक राजनीति विज्ञान विभाग के राजेंद्र पांडे रहे। इस संगोष्ठी में चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के संस्थानों, महाविद्यालय के प्राचार्य व निदेशकों ने प्रतिभाग किया।


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