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चुनावों में खून खराबा करने को बन रहे थे हथियार

हस्तिनापुर थाना पुलिस ने जलालापुर जोरा से नीम का जाने वाली सड़क पर स्थित जंगल में संचालित अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री पकड़ी हैं। पुलिस ने हथियार बनाने और ऑर्डर पर सप्लाई करने वाले दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जबकि दो बदमाश मौके से भाग गए। यह हथियार लोकसभा चुनावों में खून खराबे के लिए ऑर्डर पर तैयार किए जा रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 09:00 AM (IST)
चुनावों में खून खराबा करने को बन रहे थे हथियार
चुनावों में खून खराबा करने को बन रहे थे हथियार

मेरठ । हस्तिनापुर थाना पुलिस ने जलालापुर जोरा से नीम का जाने वाली सड़क पर स्थित जंगल में संचालित अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री पकड़ी हैं। पुलिस ने हथियार बनाने और ऑर्डर पर सप्लाई करने वाले दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जबकि दो बदमाश मौके से भाग गए। यह हथियार लोकसभा चुनावों में खून खराबे के लिए ऑर्डर पर तैयार किए जा रहे थे।

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मंगलवार को पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता के दौरान एसपी सिटी रणविजय सिंह ने हस्तिनापुर के जंगल में काफी समय से अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री संचालित थी। पुलिस ने मौके से गाजियाबाद की लोनी स्थित रामपार्क निवासी पांचवी पास सगीर और हापुड़ स्थित मौ. रफीकनगर निवासी चौथी पास हस्मुद्दीन को गिरफ्तार किया है। जबकि परीक्षितगढ़ के मिर्जापुर गांव निवासी सुक्की उर्फ सुखवंत पुत्र प्रेमसिंह और विनोद पुत्र इंद्रपाल फैक्ट्री से फरार हो गए। फैक्ट्री से 315 बोर के तैयार 50 तमंचे, 12 बोर के तैयार 4 तमंचे के अलावा दर्जनों अधबने तमंचे, जिंदा कारतूस और हथियार बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। डीआइजी-एसएसपी ने पांच हजार रुपये का पुलिस टीम को इनाम की घोषणा की है। हस्तिनापुर के अवैध हथियारों की नेपाल में भारी डिमांड

संजीव तोमर, मेरठ

हस्तिनापुर के जंगल में बन रहे अवैध हथियारों की देश ही नहीं, बल्कि नेपाल में भी भारी डिमांड थी। नेपाल के अलावा पश्चिमी उप्र., दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में हथियारों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही थी।

हथियार सप्लायर सगीर की मानें तो हथियार बनाने की फैक्ट्री को वह अपने दोस्त हस्मुद्दीन, सुक्की उर्फ सुखवंत व विनोद के साथ संचालित करता है। चारों दोस्त हथियारों को बनाने का काम जानते हैं, मगर हथियारों को ऑन डिमांड सप्लाई करने और तय ठिकाने तक पहुंचाने का भी वह आपस में बारी-बारी से करते थे। सबसे अधिक डिमांड नेपाल से आती थी। भारत से नेपाल में पहुंचाने के लिए नेपाल के कुछ युवक कमीशन लेकर साथ देते थे। वहीं 312 बोर के अलावा 315 बोर के तमंचों की डिमांड नागालैंड, मिजोरम में भी होती थी, जहां पहुंचाने के लिए कमीशन के आधार पर एजेंट शामिल हैं।

तो दो हजार में बेचते थे तमंचे

एसपी सिटी रणविजय सिंह ने बताया कि तमंचे बेचने का सौदा भी अजीब है। सगीर व हस्मुद्दीन के अनुसार, जरायम की दुनिया के बदमाश अगर एक दो तमंचे खरीदते हैं तो उन्हें पांच से छह हजार रुपये में बेचते थे, जबकि एक दर्जन से अधिक तमंचे खरीदते थे तो दो से तीन हजार रुपये में बेचते थे।


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