विलायत से डिग्री लेने के बाद भारत की धरती की सेवा में जुटा योद्धा
मांगेराम ने पॉलिथीन को लेकर एक अभियान पिछले कई वर्षों से चलाया हुआ है।
मेरठ (जेएनएन)(वीरपाल ¨सह)। समाज सेवा का जज्बा सीखना तो दोघट के मांगेराम आर्य से प्रेरणा लीजिए। उन्होंने लंदन से पढ़ाई कर डिग्री ली। अगर चाहते तो ऐश ओ आराम की ¨जदगी गुजार सकते थे, लेकिन समाज के लिए कुछ करने की चाहत उन्हें गांव की ओर ले आई। उन्होंने समाजसेवा करने का लक्ष्य बनाया। वह स्वच्छता अभियान के साथ समाज को पालीथिन मुक्त बनाने में जुटे हुए हैं।
दोघट की पट्टी तिरौसिया निवासी मांगेराम आर्य की उम्र 70 वर्ष है। मांगेराम ने एमए के बाद आइजीडी, आरडीएस की पढ़ाई लंदन से की है। पढ़ाई के बाद से ही उनकी रुचि समाज सेवा में रही और जिसका नतीजा यह रहा कि आज क्षेत्र में समाज सेवी के नाम से मांगेराम को हर कोई जानता है। मांगेराम ने पॉलिथीन को लेकर एक अभियान पिछले कई वर्षों से चलाया हुआ है। वह बाजार में दुकानदारों से अपील कर उन्हें समझाते भी हैं कि यदि धरती को बचाना है, तो पॉलिथीन को छोड़ना ही पड़ेगा। समय-समय पर अधिकारियों से भी इस तरफ ध्यान देने की अपील करते रहते हैं। वह मुख्यमंत्री को इस संबंध में शिकायत भेज चुके है कि पॉलीथिन पर प्रभावी पाबंदी लगाई जाए।
जहां दिखी पालीथिन, लग जाते उठाने
वह घर से यदि निकले हैं और गली में पॉलिथीन पड़ी दिखाई दे गयी तो उसे उठाकर एक तरफ कूड़े के ढेर पर डाल देते हैं तथा आसपास के लोगों को सलाह देते हैं कि पॉलीथिन को गहरे गड्ढे में दबाएं या फिर खाली पड़े स्थान पर उसे नष्ट करें। उन्होंने क्षेत्र में सड़क निर्माण का मामला रहा हो या कहीं गंदगी का हो या फिर गन्ना समस्या का, ऐसे भी अनेकों मामलों में शिकायत कर संबंधित अधिकारियों से कार्य कराए हैं। यही नहीं, वह सुबह उठकर अपनी 30 से 40 घरों की गली में झाड़ू भी खुद लगाते हैं।
पूरा परिवार सरकारी सेवा में
मांगेराम के चार बेटे हैं, जिनमें बड़ा बेटा दिल्ली पुलिस में दरोगा, उससे छोटा प्रोफेसर, पुत्र वधु हरियाणा में प्रोफेसर, एक बेटा बीएसएफ में, एक खेती करता है। खुद मांगेराम भी पहले खेत में कार्य करते हैं फिर दिन भर समाज सेवा के कार्यों में समय लगाते है। परिवार भी उनके इस कार्य में सहयोग करता है। मांगेराम कहते हैं कि उनके पेट की भूख रोटी से नहीं समाज सेवा से मिटती है। उन्हें जो आनंद समाज सेवा में आता है वह और कहीं नहीं मिलता है।