Move to Jagran APP

एक रात में चले 30 किमी पैदल और जीत लिया किला

भारत और पाकिस्तानी सेना के बीच वर्ष-1971 का युद्ध दुश्मन देश को आजीवन बुरे स्वप्न देता रहेगा। जितना अत्याचार पाकिस्तानी सेना ने आम लोगों का किया था उतनी ही करारी हार उसे भारतीय सेना के हाथों मिली।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 09:15 AM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 09:15 AM (IST)
एक रात में चले 30 किमी पैदल और जीत लिया किला
एक रात में चले 30 किमी पैदल और जीत लिया किला

मेरठ, जेएनएन। भारत और पाकिस्तानी सेना के बीच वर्ष-1971 का युद्ध दुश्मन देश को आजीवन बुरे स्वप्न देता रहेगा। जितना अत्याचार पाकिस्तानी सेना ने आम लोगों का किया था, उतनी ही करारी हार उसे भारतीय सेना के हाथों मिली। पूर्वी पाकिस्तान में घुटने के बल गिरी नापाक सेना ने अपनी खीझ निकालने के लिए पश्चिम में औचक हवाई हमले किए, लेकिन उनकी नापाक हरकतों से भलीभांति परिचित भारतीय सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर भी दुश्मन को औंधे मुंह गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विश्व प्रसिद्ध टैंक बैटल लोंगेवाला से महज 30 किलोमीटर दूर था। डेजर्ट के इस्लामगढ़ में सेना के राजपूत वीरों ने पाकिस्तानी सेना का किला ध्वस्त कर दिया था।

loksabha election banner

एक रात में 30 किमी चल कर जीता किला

राजपूताना राइफल्स के कमान अधिकारी रहे कर्नल नरेंद्र सिंह के अनुसार बटालियन को इस्लामगढ़ को कब्जा करने का आर्डर तीन दिसंबर की शाम को मिला। इस्लामगढ़ किला अंतरराष्ट्रीय बार्डर से 16 किमी दूर था। राजस्थान सेक्टर के किशनगढ़ में तैनात बटालियन को वहां तक पहुंचने के लिए एक रात में 30 किमी चलकर जीतना भी था। राजपूतों की टोली चार दिसंबर को शाम शाम साढ़े पांच बजे रवाना हुई। उसी रात इस्लामगढ़ पहुंचे और दुश्मन के लाइन आफ कम्युनिकेशन कहे जाने वाले इस किले को ध्वस्त कर छह दिसंबर तड़के ही अपने कब्जे में ले लिया।

न टैंक मिले और न ही आर्टीलरी

उसी रात लोंगेवाला में पाकिस्तानी हमला होने के कारण डिवीजन की डिफेंसिव फोर्स को उधर भेजना पड़ा। कमान अधिकारी ले. कर्नल एमएमके बकाया की अगुवाई में जवान अलग-अलग दिशा में आगे बढ़े। सेकेंड-इन-कमांड मेजर राम चंद्र को पता चला कि रेंज से दूर होने के कारण हमला नहीं हो सकता। उजली रात में राजपूतों ने कदम बढ़ाया ही था कि चांद की तेज रोशनी ने दुश्मन को चौकन्ना कर दिया। आटोमेटिक हथियार और आर्टीलरी से सुसज्जित दुश्मन सेना ने आगे बढ़ते भारतीय सैनिकों को निशाना बनाने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। राजपूतों ने भी फायरिग की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया और किले तक पहुंच गए।

12 हजार वर्ग मीटर जगह पर किया कब्जा

पाकिस्तान के पंजाब स्थित इस्लामगढ़ से उत्तर में पाकिस्तान के रहीम यार खान और भारत से जैसलमेर की ओर रास्ता जाता है। पाकिस्तानी सेना द्वारा यहां माइन बिछाने के कारण टैंक आगे नहीं बढ़ सके। रात तीन बजे चारों ओर से पैदल ही किले पर चढ़े भारतीय सैनिकों पहले गोलीबारी और उसके बाद करीब एक घंटे तक आमने-सामने की लड़ाई लड़कर दुश्मन को मार गिराया और किले पर कब्जा कर लिया। तीसरी राजपूत बटालियन यह विजय के साथ ही दुश्मन का करीब 12 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अपने कब्जे में ले लिया था। लोंगेवाला की वीरता की दास्तां में भले ही इस युद्ध को इतिहास में उतना स्थान न मिला हो, लेकिन सेना की सफलताओं में पैदल चलकर किले को फतह करने का कारनामा स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.