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पर्यावरण मंत्रालय सें अनुमति मिलने के इंतजार में हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में रुका हुआ है नेशनल हाईवे-119 का पहिया।

हाईवे की राह में हैं हस्तिनापुर सेंचुरी के कई गांव। बिना अनुमति नहीं हो सकता अधिग्रहण, गजट हुआ जारी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 05:05 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 05:05 PM (IST)
पर्यावरण मंत्रालय सें अनुमति मिलने के इंतजार में 
हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में रुका हुआ है नेशनल हाईवे-119 का पहिया।
पर्यावरण मंत्रालय सें अनुमति मिलने के इंतजार में हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में रुका हुआ है नेशनल हाईवे-119 का पहिया।

नवनीत शर्मा, मेरठ। नेशनल हाईवे-119 का चौड़ीकरण अब हस्तिनापुर सेंचुरी में उलझ गया है। मेरठ और बिजनौर जनपद में हाईवे के किनारे डेढ दर्जन से अधिक गांव हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में आ रहे हैं। इस कारण इन गांवों में अधिग्रहण प्रक्रिया पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के संभव नहीं है। दूसरी ओर सेंचुरी क्षेत्र के गांवों का अधिग्रहण करने के लिए पूर्व में ही गजट आदि की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है।

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मेरठ से वाया बिजनौर पौड़ी तक राष्ट्रीय राजमार्ग-119 को फोर लेन बनाने के लिए चौड़ीकरण का काम शुरू हो चुका है। चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली भूमि का रिकार्ड पूरा कर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने 19 मार्च को गजट भी जारी कर दिया था। अवार्ड घोषित करने की प्रक्रिया जारी है। अब हाईवे की राह में हस्तिनापुर सेंचुरी ने ब्रेक लगा दिए हैं। मेरठ और बिजनौर जनपद में बड़े स्तर पर हस्तिनापुर सेंचुरी का क्षेत्र संरक्षित है। ऐसे में सेंचुरी क्षेत्र में अधिग्रहण की प्रक्रिया आसान नहीं है। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय के साथ अन्य विभागों से भी तमाम नियम-शर्ताें के बाद अनुमति प्रदान की जाती है। अभी तक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा एनएच-119 की राह में आए सेंचुरी क्षेत्र के गांवों में भूमि अधिग्रहण के लिए अनुमति की प्रक्रिया अधूरी है। एनएचएआई ने हाईवे चौड़ीकरण के लिए फिलहाल वन विभाग के पास मवाना मोड़ तक अधिग्रहण करने के लिए फाइल भेजी है। हस्तिनापुर सेंचुरी का क्षेत्र इससे आगे से शुरू होता है। ऐसे ही बिजनौर में भी 12 गांव हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र में आते हैं। वहां भी सेंचुरी क्षेत्र के गांवों में भूमि अधिग्रहण सेपहले की प्रक्रिया अधूरी ही है।

भूमि की प्रकृति भी बढ़ा रही उलझन

हाईवे-119 के किनारे की सरकारी भूमि पर कब्जा कर लोगों ने निर्माण किया हुआ है, इस कारण भूमि को गजट में शामिल नहीं किया। इसके अलावा रिकार्ड में कई खसरा नंबरों पर भूमि कृषि के रूप में दर्ज है, जबकि मौके पर उक्त भूमि पर अब आवास बने हुए हैं। ऐसे ही निजी और कृषि भूमि के मुआवजे की दर अलग-अलग होने को लेकर भी उलझन हो रही है। हाईवे के किनारे स्कूल, बंजर, वन विभाग और तालाब के साथ ग्राम पंचायत की जमीन की स्थिति भी अभी अस्पष्ट ही है।

जिले में यहां होगा अधिग्रहण

एनएच 119 के चौड़ीकरण के लिए मेरठ जनपद के गांव मुजफ्फरनगर सैनी, इंचौली, मसूरी, बना, नंगली ईसा, मवाना खुर्द, भैंसा, सालारपुर, कौल, कौला कोहला, झुनझुनी, बसी वीरान, राजूपुर, फजेहपुर (हंसापुर), बहसूमा, सदरपुर, मोड़ खुर्द, सैफपुर, फिरोजपुर, अम्हैडा आदिमपुर, मोड कला, मोहम्मदपुर शाकिस्त में फिर से भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इन गांवों में बहसूमा, सैफपुर, राजपुर, सदरपुर, मोड़ खुर्द, महमूदपुर सिखेड़ा आदि गांव सेंचुरी क्षेत्र में आते हैं।

परियोजना पर एक नजर

1250 करोड़ - कुल बजट होगा

158 हेक्टेयर- भूमि का होना है अधिग्रहण

69 गांव - से ली जानी है जमीन

25 गांव - मेरठ के हैं शामिल

550 किसान -की ली जाएगी जमीन

27.75 किमी- लंबा मार्ग होगा मेरठ में

डीएफओ मेरठ अदिति शर्मा ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय और वन विभाग की अनुमति के बगैर हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र के गांवों में अधिग्रहण संभव नहीं है। अभी एनएचएआई की ओर से मवाना मोड तक अधिग्रहण करने के लिए फाइल भेजी है। जिसका अवलोकन किया जा रहा है। वहीं एडीएम एलए ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि प्रशासन की ओर से एनएच-119 के चौड़ीकरण के लिए जरूरी भूमि का पूरा रिकार्ड एनएचएआई को उपलब्ध करा दिया गया है। तमाम प्रक्रियाएं पूर्ण कर हस्तिनापुर सेंचुरी से बाहर की भूमि का मुआवजा वितरण भी शीघ्र शुरू किया जाएगा।


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