हर्ड इम्युनिटी बनने से गिरती है वायरस की लहर, तीसरी लहर आने की आशंका कम
दूसरी लहर में 70 फीसद से ज्यादा में वायरस पहुंचने का अनुमान। वायरस को फैलने के लिए नया होस्ट नहीं मिलता ऐसे में गिरा संक्रमण। लाकडाउन ने भी वायरस की डगर रोक दी। ऐसे में तीसरी लहर आने की आशंका कम है।
मेरठ, जेएनएन। मार्च 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी और मई के मध्य तक धीमी पड़ने लगी। जून के पहले सप्ताह तक वायरस की ताकत काफी हद तक कम पड़ गइ। विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस की संक्रमण ताकत कम हो गई है, वहीं 70 फीसद से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने से कोरोना फैलने के लिए नया स्रोत नहीं मिल रहा है। लाकडाउन ने भी वायरस की डगर रोक दी। ऐसे में तीसरी लहर आने की आशंका कम है। यह तभी संभव है कि, जब वायरस का नया वैरिंएंट संक्रमित होगा।
मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग का कहना है कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर पांच गुना खतरनाक थी। लैब में संक्रमण दर 30 फीसद पार कर गई थी। माना जा सकता है कि 60-70 फीसद से ज्यादा लोगों को छूकर कोरोना वायरस निकल गया। इसीलिए नए मरीजों के मिलने की रफ्तार
कम हो गई। ज्यादातर लोगों में एंटीबाडी बन जाने की वजह से वायरस को बढऩे के लिए जगह नहीं मिलती, ऐसे में बीमारी थमने लगती है। इसे ही हर्ड इम्युनिटी कहते हैं। नौ जून से होने वाले सीरो सर्वे में तस्वीर साफ हो जाएगी।
वैरिएंट बदला तभी बढ़ेगा संक्रमण
फिजिशियन डा. एनके शर्मा ने बताया कि वायरस एक समय बाद अपनी ताकत खोने लगता है, और एंटीजेनिक ड्रिफ्ट यानी हल्के बदलाव के साथ फिर तेजी से बढ़ता है। दूसरी लहर में वायरस हल्के बदलाव के साथ आया इसीलिए पिछली लहर में संक्रमित होने वाले भी इस बार बीमार पड़े। वर्तमान डल्टा वायरस ज्यादा संक्रामक था, ऐसे में गांवों तक संक्रमण पहुंच गया। ऐसे में माना जा सकता है कि हर्ड इम्युनिटी बनने से तीसरी लहर की गुंजाइश नहीं रहेगी। यह एक आरएनए वायरस है, जो गले में कालोनी बनाता है। लेकिन जब यह फेफड़ों में पहुंचता है तो खतरा बढ़ जाता है।
लाकडाउन ने रोकी वायरस की डगर
फिजिशियन डा. तनुराज सिरोही का कहना है कि इस साल फरवरी-मार्च में लोगों ने बड़े पैमाने पर लापरवाही की। त्योहारों में शारीरिक दूरी का खयाल नहीं रखा गया। बाजारों में भीड़ उमड़ी, और नए म्यूटेंट वाले वायरस को मौका मिल गया। पिछली लहर से कई गुना संक्रामक होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग चपेट में आए, और मौतें भी ज्यादा हुईं। सख्ती से लाकडान का नतीजा रहा कि वायरस को और फैलने का अवसर नहीं मिला। हालांकि अब 60-70 फीसद लोगों में वायरस के प्रति एंटीबाडी बन गई होगी, ऐसे में आने वाले दिनों में बचाव जरूर मिलेगा।