Move to Jagran APP

सुगंध की खेती से गांव फैला रहे हैं समृद्धि

गांव की आर्थिक सेहत सुधरेगी तो देश तरक्की करेगा। आज रोजगार की तलाश

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 07:40 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 07:40 AM (IST)
सुगंध की खेती से गांव फैला रहे हैं समृद्धि
सुगंध की खेती से गांव फैला रहे हैं समृद्धि

विवेक राव, मेरठ। गांव की आर्थिक सेहत सुधरेगी तो देश तरक्की करेगा। आज रोजगार की तलाश में बहुत से युवा अपने गांव को छोड़कर शहर की दौड़ लगा रहे हैं। ऐसे युवाओं को अपने गांव में ही रोजगार की राह दिखाने का काम कर रहे हैं मंडौरा गांव के किसान राकेश प्रधान। 30 साल से वह गांव में फूल की खेती करते और कराते हैं। उनके फूलों से दिल्ली की फूल मंडी भी महक रही है। युवाओं को आर्थिक स्वावलंबन भी मिला है। आज खेती से मुंह मोड़कर शहर भागने वाले युवाओं को इन फूलों की सुगंध और उससे हुई समृद्धि भाने लगी है।

loksabha election banner

मेरठ के सरधना विधानसभा क्षेत्र में मंडौरा गांव में प्रगतिशील किसान राकेश प्रधान करीब 30 साल से अपने गांव में ग्लेडियोल्स, रजनीगंधा के फूलों की खेती कर रहे हैं। शुरुआत में महज एक एकड़ में फूल उगाना शुरू किया। फिर अन्य लोगों को इसके लिए प्रेरित भी किया। राकेश की फूलों से आय बढ़ी तो देखते देखते गांव में कई किसान खासकर युवा अपने खेतों में फूल उगाने लगे। हर रोज गांव से किसान खेत से फूल को तोड़कर तैयार करते हैं। राकेश प्रधान और गांव के कुछ किसान फूलों को एकत्रित कर गाड़ी में भरकर दिल्ली के गाजीपुर फूल मंडी में बेचने जाते हैं। सुबह तीन बजे गांव से फूलों से भरी गाड़ी मंडी में पहुंचती है। किसानों के फूल को मंडी में आढ़ती तुरंत खरीद लेते हैं। फूल बेचने के बाद सुबह आठ बजे तक राकेश प्रधान वापस अपने गांव लौट आते हैं। आय कई गुना बढ़ी

राकेश प्रधान ने सालों पहले जो एक छोटी शुरुआत की थी। वह आज गांव में युवाओं और किसानों के लिए आर्थिक आधार बन गया है। पहले यहां के लोग गन्ने की खेती से जितना कमाते थे, उससे तीन से पांच गुना अधिक आय हो रही है। एक एकड़ में फूल की खेती से लाखों रुपये अर्जित कर रहे हैं। हजारों को प्रशिक्षित किया

राकेश प्रधान को देखकर आसपास के कई गांव में किसानों ने फूलों की खेती शुरू की। इसके लिए वह सब्सिडी भी दिला चुके हैं। कई युवा ग्रीन हाउस भी गांव में इससे बना रहे हैं। राकेश ने अभी हजारों युवकों और किसानों को फूल की खेती का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं। जो केवल गांव तक सीमित नहीं रहा है। प्रयागराज से लेकर, हरिद्वार, देहरादून में भी उन्होंने बहुत से युवाओं को प्रशिक्षित कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है। फूलों की मुंहमांगा दाम

कोरोना के समय कुछ माह तक फूल मंडी बंद होने से राकेश प्रधान और किसानों के फूल नहीं बिके, लेकिन लाकडाउन हटने के बाद फूलों की मुंह मांगा दाम मिल रहा है। राकेश प्रधान बताते हैं कि जितनी उम्मीद नहीं थी, उससे अधिक कीमत पर दिल्ली मंडी में फूल की मांग है। फूल से होने वाली आय को देखकर बहुत से युवा नौकरी छोड़कर इस काम में जुटे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.