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बिना फिटनेस और बीमा खड़े वाहन, चुनावी कार्य में कैसे भेजें, सहारनपुर में स्‍कूल संचालकों के सामने बड़ा सवाल

सहारनपुर में 14 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए परिवहन विभाग द्वारा वाहनों को जुटाने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सात सीटों पर करीब 2950 बूथ बनाए गए हैं। विभाग के अनुसार छोटे-बड़े ढाई हजार से ज्यादा वाहन चुनाव के लिए जरूरी होंगे।

By Parveen VashishtaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 02:40 PM (IST)
बिना फिटनेस और बीमा खड़े वाहन, चुनावी कार्य में कैसे भेजें, सहारनपुर में स्‍कूल संचालकों के सामने बड़ा सवाल
बिना फिटनेस और बीमा वाहन स्‍कूलों में खड़े हैं

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। विधानसभा चुनाव के लिए स्कूलों के वाहनों के अधिग्रहण की तैयारी चल रही है, जबकि ज्यादातर स्कूली वाहन कोरोना संकट के कारण बिना फिटनेस और बीमा के स्कूलों में खड़े हैं। ड्राइवर भी वेतन न मिलने से रोजी-रोटी के लिए अन्य कामकाज में लग गए हैं।

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जिले की 7 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए परिवहन विभाग द्वारा वाहनों को जुटाने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सात सीटों पर करीब 2950 बूथ बनाए गए हैं। विभाग के अनुसार छोटे-बड़े करीब 25 सौ से ज्यादा वाहन चुनाव के लिए जरूरी होंगे। नगर में ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के 12 सौ वाहनों को परिवहन विभाग द्वारा चुनावी कार्य के लिए अधिकृत किया जाना है, इसके लिए स्कूल संचालकों को नोटिस भेजे गए हैं। 

बस के बीमा और फिटनेस खर्च 58 हजार तक

स्कूल संचालकों के समक्ष समस्या गहरा रही है कि कोरोना संकट के कारण वाहन पिछले 2 वर्षों से स्कूलों में ही खड़े हैं। उनकी बीमा और फिटनेस भी खत्म हो चुकी है तथा ड्राइवर वेतन न भे मिलने के कारण अब अन्य कामकाज में लग चुके हैं। 32 और 50 सीटर बस के बीमा और फिटनेस का 1 वर्ष का खर्च करीब 48 से 58 हजार तक का आता है। स्कूलों में नियमित रूप से फीस न आने के कारण स्कूल संचालक फिटनेस और बीमें पर भारी-भरकम खर्च करने में असमर्थता जता रहे हैं। कई स्कूल संचालकों द्वारा इस बारे में परिवहन विभाग को पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है कि सरकारी स्तर से बीमा और फिटनेस आदि का खर्च उठाया जाए।

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अशोक मलिक ने जिला प्रशासन से मांग की है कि कोरोना के कारण स्कूलों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह खराब हो चुकी है। वाहनों के फिटनेस और बीमें आदि का खर्च की व्यवस्था सरकारी स्तर पर कराई जानी चाहिए। स्कूल संचालक चुनाव कार्य में प्रशासन को हर प्रकार के सहयोग के लिए तत्पर हैं।


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