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शौचालय में रखा है कीमती सामान, शौच तो कहीं भी कर लेते हैं

वर्ष 2014 में केंद्र में सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया था। पांच साल में केंद्र सरकार ने देश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 06:21 AM (IST)
शौचालय में रखा है कीमती सामान, शौच तो कहीं भी कर लेते हैं
शौचालय में रखा है कीमती सामान, शौच तो कहीं भी कर लेते हैं

मेरठ, जेएनएन : वर्ष 2014 में केंद्र में सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया था। पांच साल में केंद्र सरकार ने देश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया। हर घर में शौचालय बनाने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया। अफसरों ने लक्ष्य के मुताबिक शत प्रतिशत शौचालयों के निर्माण की रिपोर्ट भी सरकार को भेज दी। जबकि मौके पर हालात उल्टे हैं। शहर हो या गांव बड़ी संख्या में शौचालय या तो अधूरे हैं अथवा उन्हें लोगों ने स्टोररूम बना दिया है। नये शौचालयों में घर का कीमती सामान भरा भरा है और परिवार के लोग आज भी शौच खुले में ही करने जाते हैं।

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झूठा निकला नगर निगम का ओडीएफ का दावा

स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम को 12,020 शौचालय बनाने थे। तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज चौहान ने वर्ष 2018 में शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया था। कमिश्नर की जांच में टीएसी को मौके पर शौचालय ही नहीं मिले। ओडीएफ का दावा फर्जी निकला। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने शासन को गोपनीय रिपोर्ट भेजकर कार्रवाई की संस्तुति की है। वहीं डेढ़ साल में भी नगर निगम 229 शौचालयों को नहीं खोज पाया है। जबकि उनके फोटो वेबसाइट पर अपलोड हैं।

गांवों में भी शौचालय अधूरे, जो बने वे बने स्टोररूम

गांवों में जिला पंचायत राज विभाग ने शौचालय निर्माण कराया। शत प्रतिशत निर्माण की रिपोर्ट दी गई। लेकिन ओडीएफ गांवों का नजारा रिपोर्ट से उलट है। मवाना कार्यालय के मुताबिक राफन गांव में 143 शौचालय बनाये गये। रोहताश पुत्र इतवारी व चंद्रभान के घर में जगह नहीं थी। गढ्डे कच्चे थे उन्हें भर दिया गया। दो भाईयों विनोद और पप्पू के शौचालय में गोबर के उपले भरे हैं। रमेश ने शौचालय को बाथरूम बना लिया है। बड़ी संख्या लोग शौच के लिए जंगल जाते हैं। भैंसा गांव में 399 शौचालय बने। वाल्मीकि बस्ती में शौचालय बंद पड़े हैं। जुनेश के शौचालय में ईटें भरी हैं। शिव कुमार, जगपाल, शिव कुमार के शौचालय भी बंद हैं। मवाना खुर्द गांव में 205 शौचालय बनाये गये। गजराज, विमला, राजेंद्र, सचिन आदि के शौचालय बंद हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय के गड्ढे छोटे हैं और कच्चे हैं। इसलिए बंद करना पड़ा है।

सार्वजनिक शौचालयों में लगे ताले

सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। शहर में मवाना बस अड्डा, आशियाना कालोनी और नौचंदी मैदान में सार्वजनिक शौचालयों में ताले पड़े हैं। जनता को इनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरूरपुर प्रतिनिधि के मुताबिक करनावल नगर पंचायत में सार्वजनिक शौचालयों के मुख्य द्वार पर ताले लगे हैं। जनता खुले में शौच को मजबूर हैं। दबथुवा प्रतिनिधि के अनुसार गाडि़या लुहारों की बस्ती प्रताप गढ़ में बने सार्वजनिक शौचालय भी उपेक्षा के शिकार हो रहे है। लोगों ने शौचालयों के भवन में घरेलू सामान भर रखा है।

शौचालय निर्माण का लक्ष्य शत प्रतिशत पूर्ण है। लाभार्थी खुद शौचालय बनाता है। जिसके फोटो अपलोड किये जाते हैं। शौचालय का सत्यापन कराया जाता है। कहीं शौचालय अधूरा है अथवा अन्य कोई परेशानी है तो उसकी जांच कराकर कार्रवाई कराई जाएगी।

आलोक सिन्हा, जिला पंचायत राज अधिकारी


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