Corona Vaccine: कोरोना से उबरे लोगों को दोहरी सुरक्षा देगी वैक्सीन, जानें इसके साइड इफेक्ट भी
कोरोना वैक्सीन आपकी प्रतिरोधक क्षमता यानी एंटीबाडी टाइटर बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज का काम करेगी। संक्रमण से शरीर में बनी कम एंटीबाडी को बढ़ा देगी वैक्सीन। एडीनो वायरस से बनी है कोविशील्ड निष्क्रिय वायरस से कोवैक्सीन। वैक्सीन के बारे में और जानिए।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। अगर आपको कोरोना हुआ था तो शरीर में एंटीबाडी बनने की वजह से वैक्सीन को ठुकरा मत देना। कोरोना वैक्सीन आपकी प्रतिरोधक क्षमता यानी एंटीबाडी टाइटर बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज का काम करेगी। विशेषज्ञों ने साफ किया है कि संक्रमण से बनने वाली एंटीबाडी कम बन रही है। छह माह में खत्म भी हो सकती है, जबकि वैक्सीन से सालभर की सुरक्षा मिलेगी। ऐसे में सरकार ने वायरस की कड़ी तोडऩे के लिए हर व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाने का प्लान बनाया है।
सालभर का सुरक्षा कवच
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि कोविशील्ड व कोवैक्सीन दोनों परखने के बाद ही लोगों को लगाई जा रही हैं। कोविशील्ड ने तीनों फेज का ट्रायल पूरा किया और 90 फीसद से ज्यादा कारगर मिली है। हालांकि, डाक्टर और हेल्थवर्कर वैक्सीन की गुणवत्ता पर असमंजस में भी हैं। इसी बीच, एम्स नई दिल्ली के डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरिया ने साफ किया है कि कोरोना संक्रमण के बाद कई लोगों में पर्याप्त एंटीबाडी टाइटर नहीं बन पाया है। जिन मरीजों में बना है, वो छह माह में खत्म हो सकता है। अगर शरीर में पर्याप्त एंटीबाडी उपलब्ध है, तब भी वैक्सीन बूस्टर डोज का काम करेगी। कई डाक्टरों का कहना है कि उन्हेंं कोरोना हो चुका है, ऐसे में शरीर में एंटीबाडी बनने से वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है।
ये हो सकते हैं साइड इफेक्ट
- वैक्सीन लगने की जगह खुजली, लालिमा
- हल्का बुखार, सिर दर्द, कभी-कभार चक्कर
ये हैं भारत में प्रयोग होने वाली दो वैक्सीन
कोविशील्ड : यह वैक्सीन आक्सफोर्ड विवि, इंग्लैंड में बनी है। पुणे में बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन हो रहा है। यह चिंपैंजी में फ्लू करने वाले एडीनो वायरस के डीएनए में कोरोना की स्पाइक प्रोटीन डालकर बनाई गई है। आदमी के शरीर में पहुंचकर मेसेंजर आरएनए बनाएगा, और एंटीबाडी बनेगी।
कोवैक्सीन : भारत बायोटेक द्वारा विकसित पूर्ण स्वदेशी वैक्सीन है। पुरानी तकनीक का प्रयोग किया गया है। कोरोना वायरस को निष्क्रिय किया गया। उसका जेनेटिक मैटेरियल नष्ट किया गया, जिससे संक्रमण न हो। फिर वैक्सीन बनाई गई है, जो सर्वाधिक सुरक्षित है।
एमआरएनए वैक्सीन
यह यूएसए की फाइजर कंपनी द्वारा दुनिया में पहला प्रयोग है। यह मैसेंजर आरएनए प्लेटफार्म पर बनाई गई है। वायरस के आरएनए के एक हिस्से को नैनो टेक्नोलोजी की मदद से शरीर के अंदर सेल में भेजते हैं। यह सेल को स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए उकसाता है। इसी के साथ एंटीबाडी बनने लगती है।
इनका कहना है
सामान्य रूप से वैक्सीन के लिए वायरस से एंटीजन लेते हैं, जो बाडी में पहुंचकर एंटीबाडी को पैदा करेगा। कोविड वायरस का एंटीजन स्पाइक प्रोटीन होता है। इसका छोटा हिस्सा वैक्सीन के माध्यम से शरीर में पहुंचाते हैं, जिससे एंटीबाडी बनती है।
- डा. अमित गर्ग, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलाजी विभाग, मेडिकल कालेज
कोरोना से शरीर में एंटीबाडी कम बन रही है या छह माह में खत्म हो रही है, ऐसे में वैक्सीन की जरूरत सभी को होगी। यह शरीर में बनी नेचुरल एंटीबाडी टाइटर को बढ़ा देगी। संक्रमण से लडऩे में शरीर ज्यादा सक्षम होगी।
- डा. सुनील जिंदल, सीनियर एंड्रोलाजिस्ट