नाहिद हसन की बहन इकरा, फूट-फूटकर रोने वाले अरशद और गुड्डू पंडित सहित कई का पर्चा खारिज, जानें क्या हैं कारण
UP Vidhan Sabha Election 2022 बुलंदशहर में स्याना सीट से निर्दलीय प्रत्याशी व स्याना हिंसा के आरोपित योगेश राज डिबाई सीट से शिवसेना के प्रत्याशी व पूर्व विधायक श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित का पर्चा निरस्त हो गया।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ सहित पांच जिलों में पहले चरण के विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को 26 सीटों पर नामांकन पत्रों की जांच के बाद 64 पर्चे खारिज कर दिए गए। बुलंदशहर में स्याना सीट से निर्दलीय प्रत्याशी व स्याना हिंसा के आरोपित योगेश राज का नामांकन भी निरस्त हो गया है। योगेश ने फार्म 26 जमा नहीं किया था। डिबाई सीट से शिवसेना प्रत्याशी व पूर्व विधायक श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित का पर्चा भी निरस्त हो गया, इन्होंने पार्टी सिंबल जमा नहीं किया था। खुर्जा सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल करने वाले नरेंद्र सिंह का नामांकन रद हो गया, यहां सपा प्रत्याशी पूर्व विधायक बंशी सिंह का नामांकन सही पाया गया। यहां सात सीटों पर कुल 19 पर्चे निरस्त हुए।
नाहिद हसन का पर्चा पाया गया वैध
शामली में कैराना सीट पर सपा प्रत्याशी नाहिद हसन की बहन इकरा हसन का नामांकन पत्र भी निरस्त हो गया। इकरा ने दो सेट जमा किए थे, एक पर सपा का सिंबल था। इसी को आधार मानते हुए पर्चा निरस्त किया गया। यहां से सपा के नाहिद हसन का पर्चा वैध पाया गया। शामली में छह प्रत्याशियों के पर्चे निरस्त हुए। मेरठ में 15 और बागपत में छह प्रत्याशियों के पर्चे निरस्त हुए हैं।
फूट-फूटकर रोने वाले अरशद का पर्चा निरस्त, पत्नी का पर्चा सही
मुजफ्फरनगर में एक वरिष्ठ बसपा नेता पर 67 लाख रुपये लेकर टिकट नहीं देने का आरोप लगाकर कोतवाली में रोने वाले अरशद का पर्चा निरस्त हो गया है। अरशद और उनकी पत्नी यासमीन ने कांग्रेस से पर्चा भरा था। पत्नी यासमीन का पर्चा सिंबल के कारण सही पाया गया। मुजफ्फरनगर में 17 प्रत्याशियों के पर्चे निरस्त हुए।
पर्चा निरस्त होने पर आत्मदाह का प्रयास
मुजफ्फरनगर में ही मीरापुर सीट से आप प्रत्याशी रिटायर्ड सूबेदार मेजर जोगेंद्र सिंह का पर्चा निरस्त होने पर उन्होंने कचहरी परिसर में हंगामा किया। प्रशासन पर दबाव में कार्य करने का आरोप लगाते हुए अपने ऊपर केरोसिन उड़ेलकर आत्मदाह का प्रयास किया। पुलिस ने केन छीनकर उन्हें रोका। पर्चा निरस्त करने का कारण आश्रित की आय का कालम खाली छोडऩा व एक स्थान पर हस्ताक्षर न करना बताया गया है।
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