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यूपी चुनाव 2022: मेरठ में इस बार कोरोना पाबंदियों ने फीका किया चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार

UP Chunav 2022 मेरठ में इस बार चुनावी रैलियों पर पाबंदी से न के बराबर हो रही बिक्री। माल मंगाकर रखा है नहीं पहुंच पा रहे खरीदार। शहर में ही आमतौर पर विधानसभा चुनावों में 1.5 से दो लाख रुपये का माल बिक जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 11:30 AM (IST)
यूपी चुनाव 2022: मेरठ में इस बार कोरोना पाबंदियों ने फीका किया चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार
UP Chunav 2022 कोरोना का असर इस बार चुनावी सामग्री के व्‍यापार पर भी पड़ा है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। UP Chunav 2022 चुनाव के उत्सव को आकर्षक बनाने में प्रचार सामग्री की अपनी भूमिका है। पार्टियों के रंग-बिरंगे झंडे, बैनर माहौल में चुनावी रंग घोलते हैं लेकिन कोरोना के चलते रैलियों पर लगी पाबंदी ने इस रंग को फीका कर दिया है। कारोबारियों को कोरोना काल की मंदी से उबरने के लिए विधानसभा चुनाव का इंतजार था। चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद आचार संहिता लागू होने से प्रचार सामग्री का रहा सहा धंधा भी ठंडा हो गया।

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इतने का माल बिक जाता था

कोरोना संक्रमण से पूर्व के विधानसभा व लोकसभा चुनावों में प्रचार सामग्री की दुकानों पर भीड़ उमड़ती थी। सभी दल चुनाव सामग्री खरीदते थे। गुलमर्ग सिनेमा के पास स्थित चुनाव प्रचार सामग्री के कारोबारियों के मुताबिक, आमतौर पर विधानसभा चुनावों में 1.5 से दो लाख रुपये का माल बिक जाता था। लोकसभा चुनावों में इसकी 50 से 70 फीसद तक बिक्री होती थी।

इन सबकी थी डिमांड

इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 10 से 20 फीसद ही बिक्री हुई है। कारोबारियों ने गठबंधन, सत्ता पक्ष के अलावा क्षेत्रीय दलों के झंडे, टोपी, पटका व बिल्ला आदि माल एडवांस में मंगाया था लेकिन चुनावी रैलियों पर पाबंदी से बाजार को झटका लग गया। चुनाव की तिथि घोषित होने से पहले तक कारों में पार्टियों के झंडे लगवाने की डिमांड थी। चुनाव तिथि घोषित होने के बाद आचार संहिता लागू होने के कारण लोग कारों में झंडे लगाने से भी बच रहे हैं। अब कारोबारी 22 जनवरी के बाद कारोबार की प्रतीक्षा में है।

ये बोले कारोबारी

गठबंधन व सत्ता पक्ष के ही कुछ ग्राहक आ रहे हैैं। पूर्व के विधानसभा चुनावों में तीन-चार दिन में माल मंगाना पड़ता था, लेकिन इस बार बिक्री न के बराबर होने के कारण रखा हुआ माल भी नहीं बिक रहा। पंचायत चुनावों के समय 40-45 फीसद तक बिक्री थी। अधिक प्रचार सामग्री खरीदने वाले बड़े दल सस्ते के चक्कर में सीधे सूरत व मथुरा के कारखानों में संपर्क कर लेते हैैं।

- शाहिद परवेज, एशियन चुनाव प्रचार सामग्री

बिक्री न होने के चलते कुछ ही पार्टियों का माल मंगाकर रखा है। छोटे दलों का माल आर्डर पर मंगवाया जा रहा है। दिल्ली के कारोबारी उधार माल देने को तैयार है लेकिन बिक्री न के बराबर होने के कारण हम माल नहीं ले रहे हैैं। तैयार माल की वापसी नहीं होती। इससे घाटा हो सकता है।

- आसिफ, चुनाव प्रचार सामग्री कारोबारी


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